भारत के महान हॉकी खिलाड़ी बलबीर सिंह सीनियर का सोमवार यानी 25 मई को निधन हो गया। तीन बार ओलंपिक गोल्ड मेडल जीतने वाले बलबीर सिंह पिछले दो सप्ताह से कई बीमारियों से जूझ रहे थे। भारत के पूर्व कप्तान और कोच का निधन पंजाब के मोहाली में हुआ। फोर्टिस अस्पताल के निदेशक अभिजीत सिंह के मुताबिक उनका निधन सुबह 6:30 बजे हुआ। 95 वर्षीय बलबीर के परिवार में बेटी सुशबीर और तीन बेटे कंवलबीर, करणबीर और गुरबीर हैं। बलबीर सिंह को भारत ‘मॉडर्न ध्यानचंद’ भी कहा जाता था।

बलबीर सीनियर को आठ मई को वहां भर्ती कराया गया था । 18 मई से उनके दिमाग में खून का थक्का जम गया था। उन्हें फेफड़ों में निमोनिया और तेज बुखार के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था। देश के महानतम एथलीटों में से एक बलबीर सीनियर अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति द्वारा चुने गए आधुनिक ओलंपिक इतिहास के 16 महानतम ओलंपियनों में शामिल थे। उन्हें 1957 में पद्मश्री से नवाजा गया था। वे 1975 में विश्व कप जीतने वाली भारतीय टीम के मैनेजर भी थे।

बलबीर सिंह का जन्म 31 दिसंबर 1923 को पंजाब में हुआ था। भारत के महान सेंटर फॉरवर्ड माने जाने वाले बलबीर सिंह ने 1948 लंदन ओलंपिक में अर्जेंटीना के खिलाफ पहला मैच खेला था। इसके बाद उन्हें फाइनल में ब्रिटेन के खिलाफ खेलने का मौका मिला और उन्होंने दो गोल दाग दिए। भारत 4-0 से फाइनल जीत गया। इसके बाद 1952 हेलसिंकी ओलंपिक में तो बलबीर सिंह ने इतिहास रच दिया। वे टीम के उपकप्तान और भारत के फ्लैग बैरियर थे। केडी सिंह कप्तान थे। बलबीर ने ब्रिटेन के खिलाफ सेमीफाइनल में हैट्रिक गोल किया। भारत मैच 3-1 से जीता।

बलबीर सिंह ने फाइनल में नीदरलैंड के खिलाफ 5 गोल दाग दिए। भारत 6-1 से जीता। अब तक कोई भी खिलाड़ी ओलंपिक फाइनल में उनके 5 गोल के रिकॉर्ड को नहीं तोड़ पाया। सिंह ने उस ओलंपिक में भारत के 13 में से 9 गोल किए थे। इसके बाद 1956 मेलबर्न ओलंपिक में वे टीम के कप्तान थे। अफगानिस्तान के खिलाफ पहले मैच में 5 गोल किए थे। वे फिर चोट के कारण सीधे सेमीफाइनल और फाइनल में खेले थे। भारत ने फाइनल में पाकिस्तान को 1-0 से हराया था। 8 ओलंपिक मैच में बलबीर ने 22 गोल किए थे।