अभी दो सप्ताह से भारतीय बैडमिंटन में एक नाम बड़ा गर्व से लिया जा रहा है। यह नाम है अपने जीवन के मात्र 17वें वसंत में चल रही अनमोल खरब का। उन्होंने भारत के लिए इतिहास रचा है। दो सप्ताह पूर्व मलेशिया में संपन्न बैडमिंटन एशिया टीम चैंपियनशिप के खिताबी मुकाबले में जब थाइलैंड व भारत का मुकाबला 2-2 से बराबर था।
उस समय निर्णायक मुकाबले में भारतीय बैडमिंटन की इस नई सनसनी ने अपने शानदार खेल से थाइलैंड की 45वीं वरीयता की पी चोएलकिवांग के खिलाफ अप्रत्याशित जीत दर्ज कर भारत के नाम महिला वर्ग में पहली बार बैडमिंटन एशिया टीम चैंपियनशिप का ऐतिहासिक खिताब कर दिया। जो, अब तक साइना व सिंधु जैसी शानदार खिलाड़ी के एक ही समय खेलते हुए देश के नाम नहीं हो पाया था। हालांकि इस प्रतियोगिता में भारतीय टीम में पीवी सिंधु शामिल थीं।
हरियाणा के फरीदाबाद में जन्मीं अनमोल खरब ने बहुत कम उम्र में अपनी प्रतिभा का परचम फहराने का जो चामत्कारिक सफर शुरू किया है, उसके पीछे पिता देवेंद्र खरब का बहुत बड़ा योगदान है, जिन्होंने अपनी इस प्रतिभाशाली बेटी में खेल के प्रति दीवानगी को देखते हुए पहले स्केटिंग, फिर बैडमिंटन में आगे बढाने का निश्चय किया। अपने आवास के पास ही बैडमिंटन कोर्ट पड़ोसियों के सहयोग से बनाया, वह बेटी अनमोल के लिए सही साबित हुआ। अपने नियमित अभ्यास के अलावा, अनमोल ने अपने तकनीकी प्रशिक्षण के पूरक के लिए कुछ अपरंपरागत साधन भी अपनाए।
अनमोल खरब आज जिस विजय रथ पर सवार हो कर चर्चा में हैं उसमें मां राजबाला के योगदान को भी नहीं भुलाया जा सकता। जो अपनी लाडली बेटी को इस खेल में नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने के लिए अभ्यास हेतु फरीदाबाद से नोएडा तक प्रतिदिन तीन घंटे का सफर तय कर प्रशिक्षण के लिए ले जाती थीं।
माता-पिता के साथ आज अनमोल का खेल जो विश्व स्तर के खिलाड़ियों को पछाड़ने में सक्षम बन पा रहा है उसमें अनमोल के प्रशिक्षकों संजय सपरा, एक अकादमी के इंडोनेशियाई कोच मोहम्मद रज्जाक, नोएडा अकादमी की कोच सुमन सिंह व भारतीय टीम के कोच पी गोपीचंद के योगदान को भी नहीं भुलाया जा सकता, जिन्होंने इस युवा खिलाड़ी के खेल को अपने मार्गदर्शन से मांजकर खरा बनाने के लिए निरंतर प्रयास किया है और कर रहे हैं।
इसमें कोई दो राय नहीं है कि अनमोल का करिअर अब तक छोटा सा रहा है। लेकिन इसमें खेल के प्रति जो जुनून है व जीत की जो भूख है उसी का परिणाम है कि उसने अंडर-17, अंडर-19 व सीनियर नेशनल का खिताब अपने नाम करते हुए सबको चौंका दिया। बेहतरीन खेल का जलवा ही रहा कि अनमोल का चयन 2022 में अंडर 17 एशियाई जूनियर में भारतीय टीम में हुआ।
अनमोल ने बैडमिंटन एशिया टीम चैंपियनशिप में अपने कहीं ज्यादा वरीय अनुभवी अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी वू लुओ यू को प्रथम चरण में, जापान के खिलाफ हुए सेमीफाइनल में सिंधु की हार के दबाव के बाद भी निर्णायक सेट में 29वीं वरीयता की नत्सुकी निदाइरा को हराकर भारत को पहली बार इस प्रतियोगिता के फाइनल में पहुंचाने में बहुत बड़ा योगदान दिया।
अनमोल का जलवा फाइनल में भी देखने को मिला जब थाइलैंड व भारत 2-2 की जीत से बराबरी पर थे। पलड़ा थाइलैंड का भारी था, क्योंकि विश्व में 472 वरीयता की युवा अनमोल के सामने 45वीं वरीयता की थाइलैंड की चोएलकिवांग थीं। लेकिन अनमोल ने सेमीफाइनल की तरह अपने विजय रथ को रुकने नहीं दिया और खिताबी मुकाबले के निर्णायक सेट में 21-14, 21-9 से आसान जीत दर्ज कर सबको अचंभित करते हुए देश के नाम पहली बार यह खिताब कर अविस्मरणीय योगदान दे दिया।
अनमोल ने जिस तरह से इस बड़ी प्रतियोगिता में एशिया के नामी खिलाड़ियों के बीच अपनी प्रतिभा का परिचय दिया है, उसके बाद भारत के दिग्गज बैडमिंटन खिलाड़ियों व खेल प्रेमियों को लगता है वो साइना नेहवाल और पीवी सिंधु की तरह अंतरराष्ट्रीय बैडमिंटन में देश का नाम रोशन करने में जरूर कामयाब होगी।
भारतीय टीम के कोच पी गोपीचंद भी अनमोल के खेल के कायल हो गए हैं। इनका कहना है कि इस प्रतियोगिता में पहली ऐतिहासिक जीत में अनमोल के खेल से वो अभिभूत हो गए। जिस सहजता व बिना दबाव के वो अपने से अनुभवी खिलाड़ियों का बिना किसी दबाव के आराम से मुकाबला करती है। इससे इसमें मुझे साइना नेहवाल और पीवी सिंधु के बाद विश्व पटल पर लंबे समय तक भारतीय बैडमिंटन का झंडा लहराने की क्षमता नजर आ रही है।
जिस तरह से अपने से वरिष्ठ खिलाड़ियों के बीच इतनी कम उम्र व सीमित अनुभव के बाद भी अनमोल ने ऐतिहासिक प्रदर्शन कर देश के नाम पहली बार बैडमिंटन एशिया चैंपियनशिप का खिताब करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इससे वो रातोंरात देश की बेहतरीन खिलाड़ियों की तरह चर्चा में तो आ गर्इं। लेकिन यह कहना शायद जल्दबाजी होगी कि एकल में देश को साइना नेहवाल और पीवी सिंधु का विकल्प मिल गया है।