ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान और कोच बॉब सिम्पसन का शनिवार (16 अगस्त) को 89 वर्ष की आयु में निधन हो गया। सिम्पसन ने ऑस्ट्रेलिया के क्रिकेट जगत में दबदबा कायम करने में अहम भूमिका निभाई। सिम्पसन का टेस्ट करियर दो दशकों से भी अधिक समय तक चला। 1987 में ऑस्ट्रेलिया पहली बार वर्ल्ड कप जीता तो वह टीम के कोच थे।

बॉब सिम्पसन ने 41 की उम्र में संन्यास के 10 साल बाद ऑस्ट्रेलियाई टीम की कमान संभालने के लिए वापसी की था। उन्होंने 1957 और 1978 के बीच 62 टेस्ट और दो एकदिवसीय मैच खेले। इसमें उन्होंने 4869 टेस्ट रन और 71 विकेट लिए। उन्होंने जिन 39 टेस्ट मैचों में कप्तानी की उनमें से 12 में ऑस्ट्रेलिया ने जीत हासिल की। सिम्पसन का रणजी ट्रॉफी से खास कनेक्शन रहा। वह 2000 के दशक में राजस्थान की टीम से बतौर सलाहकार जुड़े रहे।

41 की उम्र में संन्यास से वापसी

1968 में संन्यास लेने के बाद बॉब सिम्पसन को 1977 में 41 वर्ष की उम्र में ऑस्ट्रेलिया के लिए वापसी करने के लिए मनाया गया, जब टीम वर्ल्ड सीरीज क्रिकेट के कारण बिखरी हुई थी। उन्होंने 10 और टेस्ट मैच खेले, जिनमें दो शतक शामिल थे। 1977 में सिम्पसन का औसत 52.83 और अगले साल 32.38 था।

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पहले शतक को तिहरे शतक में बदला

सिम्पसन ने 1964 में ओवल में अपना पहला टेस्ट शतक लगाकर सात साल के सूखे को खत्म करते हुए कई रिकॉर्ड तोड़े। 13 घंटे से ज्यादा समय तक बल्लेबाजी करते हुए सिम्पसन ने अपने पहले शतक को तिहरे शतक (311) में बदला। उनके अलावा 2 अन्य खिलाड़ियों ने ऐसा किया है।

तिहरा शतक लगाने वाले पहले कप्तान थे सिम्पसन

सिम्पसन तिहरा शतक लगाने वाले पहले टेस्ट कप्तान भी थे। टेस्ट मैचों में 300 रन बनाने वाले सबसे कम उम्र के कप्तान के तौर पर सिम्पसन का रिकॉर्ड 61 साल से भी ज्यादा समय तक कायम रहा। जुलाई 2025 में साउथ अफ्रीका के वियान मुल्डर ने जिम्बाब्वे में टेस्ट कप्तानी के अपने पहले ही मैच में रिकॉर्ड तोड़ तिहरा शतक लगाकर उन्हें पीछे छोड़ा था।

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ऑस्ट्रेलिया के वर्ल्ड चैंपियन कोच

1978 में संन्यास के बाद सिम्पसन 1986 और 1996 के बीच ऑस्ट्रेलिया के कोच रहे। इस दौरान कई ऑस्ट्रेलिया को कई दिग्गज क्रिकेटर मिले। 1987 में ऑस्ट्रेलिया के पहला वर्ल्ड कप जीतने के दौरान वह कोच थे। सिम्पसन के कोच रहने के दौरान ऑस्ट्रेलिया ने 17 साल के सूखे के बाद 1995 में फ्रैंक वॉरेल ट्रॉफी भी हासिल की। ऑस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज के बीच टेस्ट सीरीज को फ्रैंक वॉरेल ट्रॉफी नाम से जाना जाता है।

रणजी ट्रॉफी से सिम्पसन का कनेक्शन

सिम्पसन को 2006 में ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट हॉल ऑफ फेम और 2013 में आईसीसी हॉल ऑफ फेम में शामिल किया गया था। सिम्पसन क्रिकेट के इतिहास में दो टाई टेस्ट मैचों का हिस्सा थे। 1960 में ब्रिस्बेन में वेस्टइंडीज के खिलाफ ओपनर बल्लेबाज थे। 1986 में चेन्नई में भारत के खिलाफ कोच थे। सिम्पसन ने 1990 के दशक में भारतीय क्रिकेट टीम के सलाहकार के रूप में भी काम किया। 2000 के दशक की शुरुआत में रणजी ट्रॉफी में राजस्थान क्रिकेट टीम के लिए भी इसी भूमिका में कुछ समय के लिए सेवा दी।