भारत के रवि कुमार दहिया ने मंगोलिया की राजधानी उलानबटोर में एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप में पुरुषों की 57 किग्रा फ्रीस्टाइल में स्वर्ण पदक जीता है। उन्होंने कजाखस्तान के खिलाड़ी रखत कालजान को टेक्निकल सुपरियोरिटी से हराया। वहीं बजरंग पुनिया को 65 किग्रा वर्ग में ईरान के रहमान मौसा से 1-3 से हारने के बाद एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप में सिल्वर से संतोष करना पड़ा।

रवि ने अपने सभी मुकाबलों में शुरू में बढ़त गंवा दी थी- टोक्यो ओलंपिक के रजत पदक विजेता रवि ने अपने सभी मुकाबलों में शुरू में बढ़त गंवा दी थी, लेकिन उन्होंने शानदार तरीके से वापसी करते हुए पुरुष फ्रीस्टाइल स्पर्धा में सभी प्रतिद्वंद्वियों को पछाड़ दिया। यह उनका सत्र का दूसरा फाइनल था। उन्होंने फरवरी में डान कोलोव स्पर्धा में रजत पदक जीता था।

जानाबाजार जंदनबुड को हराकर फाइनल में जगह बनाई- सोनीपत के नहरी गांव के रहने वाले ओलंपिक रजत पदक विजेता रवि ने एक बार फिर अपनी शारीरिक क्षमता और रणनीतिक श्रेष्ठता का परिचय दिया। उन्होंने पुरुषों के 57 किग्रा फ्रीस्टाइल में पहले जापान के रिकुतो अराई को हराया और बाद में मंगोलिया के जानाबाजार जंदनबुड पर 12-5 से शानदार जीत दर्ज कर फाइनल में जगह बनाई।

कालजान से मिली कड़ी टक्कर– खिताबी भिड़ंत में कलजान ‘टेक डाउन’ से आगे हो गए थे और काफी समय तक उन्होंने भारतीय पहलवान को कोई अंक नहीं लेने दिया। लेकिन अपनी शैली के अनुरूप रवि ने तकनीकी श्रेष्ठता की बदौलत मुकाबले पर दबदबा बनाना शुरू कर दिया।

भारत के लिए टूर्नामेंट का पहला स्वर्ण पदक- रवि ने छह लगातार ‘टू-प्वाइंटर’ हासिल किए और इस दौरान खुद को ‘लेफ्ट-लेग अटैक’ से भी बचाया, जिससे यह मुकाबला दूसरे पीरियड के शुरू में ही खत्म हो गया और भारत ने इस साल टूर्नामेंट का पहला स्वर्ण पदक जीत लिया। रवि ने दिल्ली में 2020 चरण में और पिछले साल अलमाटी में भी स्वर्ण पदक जीता था।

फाइनल तक पहुंचने में बजरंग को नहीं हुई परेशानी- टोक्यो ओलंपिक में कांस्य जीतने के बाद पहली बार किसी चैंपियनशिप में खेल रहे बजरंग (65 किग्रा) को फाइनल तक पहुंचने में कोई परेशानी नहीं हुई थी, लेकिन खिताबी मुकाबले में उन्हें हार मिली। उन्होंने उज्बेकिस्तान के अब्बोस रखमोनोव और ब्रूनेई के हाजी मोहम्मद अली को आसानी से हराकर स्वर्ण पदक के मुकाबले में प्रवेश किया था।