एशियन गेम्स 2023 में विंडसर्फिंग में बॉन्ज मेडल जीतने वाले इबाद अली जब युवा थे तब अपने आदर्श मिल्खा सिंह की तरह दौड़ना चाहते थे। मिल्खा, भारतीय सेना के इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल इंजीनियर्स (EME)विंग से थे। अली ने भी उसी डिवीजन में दाखिला लिया और अब हवलदार है। इबाद ने मेडल जीतने के बाद कहा कि यह उनके,परिवार और इंडियन आर्मी का सपना सच होने जैसा है।

29 साल के इबाद अली अयोध्या के रहने वाले हैं। इंडियन आर्मी से जुड़ने के बाद भी उनका सपना मिल्खा सिंह की तरह दौड़ने की थी। साल 2015 में भोपाल में वह सेलिंग से जुड़े। सेलिंग को लेकर उन्होंने चीन से इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ” मैंने इस इवेंट को बड़े कैनवास और बोर्ड के साथ पानी पर दौड़ने जैसा देखता हूं। एशियन गेम्स में मिल्खा सर की तरह पदक जीतना मेरे और भारतीय सेना सहित मेरे पूरे परिवार के लिए एक सपने के सच होने जैसा है।”

दौड़ना चाहता था

अयोध्या के ऊंचगांव के रहने वाले इबाद अली ने कहा, “अपने आदर्श की तरह मुझे भी ईएमई, भोपाल में पोस्टिंग मिल गई। भारतीय सेना में शामिल होने से पहले भी सिर्फ दौड़ने का पता था। और जब जॉइन किया, तब भी दौड़ना ही चाहता था।” 2015 में भोपाल में हालात बदल गए जब सेलिंग में सलेक्शन ट्रायल में उनकी सफलता ने उन्हें लेफ्टिनेंट कर्नल आशुतोष त्रिपाठी के अंडर विंडसर्फिंग इवेंट में ट्रेनिंग के लिए प्रेरित किया। अपनी स्टेमिना और इंड्युरेंस के कारण अली अभी भी मैराथन की तैयारी करते थे। कोच उन्हें सेलिंग में के इसका उपयोग करने के लिए ट्रेनिंग देते थे। अली के पहले विंडसर्फर बोर्ड की लंबाई 286 सेमी और चौड़ाई 96 सेमी थी। इसका वजन 19 किलोग्राम से अधिक था।

इबाद अली ने सेलिंग चुनने के बारे में क्या बताया

इबाद अली याद करते हैं, ” शुरुआत में मैं कई बार गिर जाता था, लेकिन एक बार जब मैं संभल गया तो हमने इसके लिए और ट्रेनिंन शुरू की। जब लेफ्टिनेंट कर्नल आशुतोष त्रिपाठी ने 2015 में ट्रायल में विंडसर्फिंग के लिए मुझे चुना, तो मैंने इस इवेंट को बड़े कैनवास और बोर्ड के साथ पानी पर दौड़ने जैसा देखता था। लेकिन मुख्य चुनौती बोर्ड और पानी में नाव को संतुलित करना और हवा और पानी की गति के हिसाब से इसे चलाना था। दौड़ने के कारण मेरी स्टेमिना और इंड्युरेंस लेवल अच्छी थी।”