नौकायन टीम के मुख्य कोच इस्माइल बेग हांगझू में 5 पदक जीतने के बाद राहत महसूस कर रहे हैं। हालांकि, उनकी नजरें अब पेरिस ओलंपिक क्वालिफायर पर टिकी हैं। इस्माइल बेग एशियाई खेलों में पिछले 25 साल में बतौर कोच भारत की झोली में दो स्वर्ण समेत 23 पदक डाल चुके हैं। भारत ने जकार्ता एशियाई खेलों की तुलना में अपने पदकों की संख्या में इजाफा किया। साल 2018 में जकार्ता में भारत ने 3 पदक मिले थे। हालांकि, इस बार स्वर्ण पदक नही मिला, जबकि जकार्ता में नौकायन में एक स्वर्ण और दो कांस्य पदक मिले थे।
भारत हांगझू में नौकायान में 5वें स्थान पर रहा, जो 2018 के प्रदर्शन से एक स्थान बेहतर है। भारतीय टीम के साथ 1998 में सहायक कोच और 2002 से मुख्य कोच के रूप में जुड़े इस्माइल बेग ने हांगझू से भाषा को दिए इंटरव्यू में कहा, ‘हमने इतनी कठिन प्रतिस्पर्धा में 5 पदक जीते जो बड़ी बात है। अब फख्र के साथ भारत लौट सकेंगे। बहुत राहत महसूस कर रहा हूं, लेकिन अभी मेहनत का सिलसिला थमना नहीं है।’
भारत ने इस साल सबसे बड़ा नौकायन दल (33 खिलाड़ी और 10 सहयोगी स्टाफ) भेजा था, जिसने 2 रजत और 3 कांस्य पदक जीते। इस्माइल बेग ने कहा कि पदकों का रंग बेहतर हो सकता था, लेकिन समग्र प्रदर्शन से वह संतुष्ट हैं। उन्होंने कहा, ‘एक कोच कभी संतुष्ट नहीं होता। मुझे लगता है कि कम से कम एक पदक का रंग बेहतर हो सकता था, लेकिन खेल में यह सब चलता है। हमने पांच साल इन खेलों के लिए मेहनत की है और सबसे बड़ा दल लेकर आए। मुझे खिलाड़ियों ने निराश नहीं किया।’
चीन को उसकी मेजबानी में टक्कर देना आसान नहीं: इस्माइल बेग
इस्माइल बेग ने कहा, ‘चीन को उसकी मेजबानी में टक्कर देना आसान नहीं है, लेकिन हम उसे इतने करीबी मुकाबले तक खींच लाए, यह बड़ी उपलब्धि है। उम्मीद है कि प्रदर्शन का ग्राफ और बेहतर होगा। कड़ी मेहनत, टाइमिंग मॉड्यूल में बदलाव और नई रणनीति के साथ आगे की तैयारी करेंगे।’
भारतीय पुरुष फोर टीम आखिरी 20 मीटर में मिलीसेकंड के अंतर से चीन से पिछड़कर रजत पदक से चूक गई। आगे की योजना के बारे में पूछने पर मुख्य कोच ने कहा, ‘इतनी मेहनत के बाद अब खिलाड़ियों को ब्रेक देना जरूरी है। अब पेरिस ओलंपिक की तैयारी करेंगे जिसके क्वालिफायर अगले साल अप्रैल में संभवत: कोरिया में होंगे। प्रतिस्पर्धा काफी कड़ी है लेकिन 2000 सिडनी ओलंपिक के बाद से हर बार हमने क्वालीफाई किया है और यह रिकॉर्ड बरकरार रखेंगे।’
इस्माइल बेग ने कहा, ‘पिछली बार टोक्यो में हमने डबल स्कल में बी फाइनल खेला था, लेकिन इस बार नजरें ए फाइनल पर रहेंगी।’ एशियाई खेलों की तैयारियों पर संतोष जताते हुए उन्होंने कहा, ‘इस बार तैयारियां पुख्ता थीं। भारतीय नौकायन महासंघ, भारतीय खेल प्राधिकरण और टारगेट ओलंपिक पोडियम (टॉप्स) का खास तौर पर शुक्रिया, जिन्होंने हर सुविधा मुहैया कराई। हमने पुणे और हैदराबाद के अलावा मई और जुलाई में क्रोएशिया और स्विटजरलैंड में भी अभ्यास शिविर लगाए।’
मेरे लिए बहुत गर्व की बात: इस्माइल बेग
इसके अलावा एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाले बजरंग ताखड़ समेत कई पदक विजेता सहायक कोच के रूप में टीम के साथ थे जिसका फायदा मिला। इस्माइल बेग ने कहा, ‘एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाले बजरंग ताखड़ (2006, 2010 और 2014) और इंदर पाल (2002) जैसे मेरे शिष्य इस बार सहायक कोच के रूप में साथ गए थे। यह मेरे लिए बहुत गर्व की बात है। इससे खिलाड़ियों को भी काफी सहूलियत हुई।’
उन्होंने अपने खिलाड़ियों की भी तारीफ करते हुए कहा, ‘सेना की पृष्ठभूमि से होने के कारण सभी खिलाड़ी काफी अनुशासित हैं और अभ्यास में कोई कोताही नहीं बरतते। एक कोच का काम इससे काफी आसान हो जाता है।’
भारतीय टीम के साथ 1998 में बैंकाक एशियाई खेलों में सहायक कोच के तौर पर जुड़े बेग का बतौर कोच यह सातवें एशियाई खेल थे। पिछले 21 साल से भारतीय नौकायन टीम के मुख्य कोच रहे बेग एशियाई खेलों में दो स्वर्ण और पांच रजत समेत 23 पदक दिला चुके हैं।