एशियन गेम्स के दूसरे दिन रोइंग के मेंस क्वाड्रपल स्कल इवेंट में सतनाम सिंह, जकर खान, सुखमीत सिंह की टीम ने भारत को ब्रॉन्ज दिलाया। पंजाब के मानसा के रहने वाले 23 साल के सतनाम सिंह के लिए राहें आसान नहीं थीं। एक दिन पहले डबल स्कल इवेंट के दौरान उनकी तबियत खराब हो गई थी। उन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था और भारत पदक से चूक गया था, लेकिन अगले ही दिन सतनाम ने दिखा दिया कि कैसे उन्होंने बेहद ही कम उम्र में अपनी प्रतिभा को लोहा मनवाया है। क्यों ओलंपियन स्वर्ण सिंह विर्क ने उन्हें सिंगल स्कल्स में खुद का उत्तारधिकारी चुना है।
हांगझू जाने से पहले सतनाम ने यूथ ओलंपिक में गए। वह इस साल की शुरुआत में प्रतिष्ठित राष्ट्रीय खिताब जीतने वाले नेवी के पहले खिलाड़ी बने। इससे पहले तक आर्मी का इस खिताब पर कब्जा था। ऐसे में उनकी प्रतिभा की चारों ओर चर्चा थी। एशियन गेम्स में रविवार, 26 सितंबर को हुए डबल स्कल्स इवेंट की बात करें तो उनके जोड़ीदार पदक विजेता इंद्रपाल सिंह के बेटे परमिंदर सिंह थे। सतनाम और परमिंदर की जोड़ी 1700 मीटर तक पदक की रेस में थी। इसके बाद सतनाम को अपनी गर्दन में जकड़न महसूस हुई। अचानक उनके शरीर ने काम करना बंद कर दिया। सिल्वर मेडल की दौड़ में भारत की यह जोड़ी अन्य नाव को आगे निकलते देखती रह गई। सतनाम को अस्पताल ले जाना पड़ा।
रातभर सो नहीं पाए
सतनाम इसके बाद रातभर नहीं सो पाएं। वह आंख बंद करके लेटे हुए थे,लेकिन उन्हें नींद नहीं आई। उन्होंने इसे लेकर कहा, ” ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था। मैंने बॉडी मूवमेंट से कंट्रोल खो दिया था। डॉक्टरों ने कहा कि मेरी गर्दन की नस खिंच गई है। क्वाड्रपल क्रू में मेरी जगह लेने की बात चल रही थी। हम पदक के दावेदार थे, लेकिन कुछ ही सेकंड में मैंने अपने जो नाम कमाया था वह सब व्यर्थ हो गया। मैंने इसके बारे में फिजियो या पार्टनर को नहीं बताया, लेकिन मैं पूरे समय परेशान था।”
Asian Games 2023 Live Streaming की पूरी डिटेल्स
Asian Games 2023: पढ़ें भारत का Day To Day शेड्यूल
Asian Games 2023: देखें खेल और भारतीय खिलाड़ियों की लिस्ट
Asian Games 2023: एशियन गेम्स से जुड़े अपडेट्स के लिए यहां क्लिक करें
पढ़ें एशियन गेम्स 2023 के तीसरे दिन से जुड़े अपडेट्स
आखिरी 300 मीटर में हमने अपने सपनों को टूटते हुए देखा
सतनाम के साथी परमिंदर कहते हैं, ” हारना अलग बात है, लेकिन 1700 मीटर (2 किमी की दौड़ में) में हारना, जब आपका शरीर पर कोई नियंत्रण नहीं है तो यह एक झटका है। आखिरी 300 मीटर में हमने अपने सपनों को टूटते हुए देखा।” परमिंदर इवेंट से एक दिन पहले रातभर नहीं सो सके थे। उनकी हार्ट रेट मीटर 95 पर बना हुआ था। वह अगली सुबह का इंतजार कर रहे थे। वह पदक जीतकर गौरव महसूस करना चाह रहे थे।
नाव से जिंदा तभी निकलेंगे अगर मेडल मिलेगा
सतनाम और परमिंदर सोमवार को क्वाड्रपल क्रू के अपने साथी अनुभवी सुखमीत सिंह और जकर खान के साथ थे। क्रू के कूल कैट जकर काफी कम बोलते ह। वह काफी दुबले-पतले हैं, लेकिन वह काफी पावर दिखाते हैं। खुद को गर्म खून वाला बताने वाले परमिंदर ने टीम से कहा था, “मैंने और सतनाम ने टीम से कहा कि जान भी निकल जाए, कोई समस्या नहीं। मेडल आना चाहिए। नाव से जिंदा तभी निकलेंगे अगर मेडल मिलेगा।”