भारत के ट्रैक और फील्ड दल ने एशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप में शानदार प्रदर्शन किया। भारत 27 मेडल जीतकर तीसरे स्थान पर रहा। आखिरी दिन 8 सिल्वर और 5 ब्रॉन्ज मेडल जीता। पहले नंबर पर जापान (37 पदक) और दूसरे नंबर पर चीन (22 पदक) रहा। 4×400 मीटर रिले कंप्टीशन में अमोज जैकब, मुहम्मद अजमल, मिजो कुरियन चाको और राजेश रमेश की भारतीय पुरुष टीम 3:01.80 सेकंड के समय के साथ दूसरे स्थान पर रही, जबकि महिला टीम 3:33.73 सेकंड के समय के साथ निराशाजनक तीसरे स्थान पर रही।

महिला रिले टीम में रेजोआना मलिक हीना, ऐश्वर्या मिश्रा, ज्योतिका श्री दांडी और सुबा वेंकटेशन थीं। चीफ एथलेटिक्स कोच राधाकृष्णन नायर को रविवार को दोनों रिले स्पर्धाओं में स्वर्ण पदक की उम्मीद थी। वह इंडियन एथलीट्स के प्रदर्शन से खुश नहीं थे। उन्होंने कहा, “बेहतर योजना हमें दोनों रिले में स्वर्ण पदक दिला सकती थी। मैं प्रदर्शन से खुश नहीं हूं। खासकर महिलाओं के प्रदर्शन से। हमने हीना को जो,ड़ा लेकिन वह अच्छी तरह से नहीं दौड़ी। लेकिन एशियन गेम्स से पहले एक बेहतर टीम बनाने के लिए हमारे पास अभी भी समय है।”

बुडापेस्ट विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप के लिए क्वालिफाई करने का अच्छा मौका

मुख्य कोच ने कहा कि पुरुषों की 4×400 मीटर रिले में 19 अगस्त से हंगरी में शुरू होने वाली बुडापेस्ट विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप के लिए क्वालिफाई करने का अच्छा मौका है। 30 जुलाई को विश्व रैंकिंग के अनुसार शीर्ष 16 टीमें बुडापेस्ट में प्रतिस्पर्धा करने के लिए पात्र होंगी।अपनी वर्ल्ड रैंकिंग को और बेहतर बनाने के लिए रिले टीमें श्रीलंका में आगामी राष्ट्रीय प्रतियोगिता में प्रतिस्पर्धा करेंगी। भारतीय एथलीटों ने भी व्यक्तिगत स्पर्धाओं में अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन वे अपने प्रोफाइल में स्वर्ण पदक जीत नहीं सके।

ज्योति याराजी गोल्ड जीतने से चूकीं

भारत की 100 मीटर बाधा दौड़ विशेषज्ञ और स्वर्ण विजेता, ज्योति याराजी रविवार को अपने लक्ष्य से चूक गईं और स्वर्ण पदक नहीं जीत सकीं। उन्होंने 200 मीटर में 23.13 सेकंड के व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ समय के साथ सिल्वर मेडल जीता, जिसमें वह विशेषज्ञ नहीं हैं। ज्योति, घरेलू सर्किट पर भी अपनी गति पर काम करने और मीट के दौरान खुद को व्यस्त रखने के लिए 200 मीटर में प्रतिस्पर्धा करती हैं। पिछले महीने अंतरराज्यीय प्रतियोगिता में बाधा दौड़ में स्वर्ण पदक जीतने के बाद उन्होंने 200 मीटर में बहुचर्चित स्प्रिंट विशेषज्ञ सरबनी नंदा को हराकर स्वर्ण पदक जीता था।