22 साल के सरफराज खान ने सोमवार यानी 27 जनवरी 2020 को रणजी ट्रॉफी टूर्नामेंट में इतिहास रचा। वे तिहरा शतक लगाने के बाद डबल सेंचुरी लगाने वाले भारत के दूसरे बल्लेबाज हैं। उनसे पहले भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व क्रिकेटर और तमिलनाडु के ओपनर डब्ल्यूवी रमन (WV Raman) ने यह उपलब्धि हासिल की थी। सरफराज ने रणजी ट्रॉफी में 22 जनवरी को खत्म हुए उत्तर प्रदेश के खिलाफ मैच में नाबाद 301 रन की पारी खेली थी। यही नहीं, सरफराज पांचवें नंबर पर उतरकर ऐसी उपलब्धि हासिल करने वाले पहले भारतीय हैं। वे उत्तर प्रदेश के खिलाफ छठे नंबर पर बल्लेबाजी के लिए उतरे थे।
सरफराज खान की सफलता में आमिर खान स्टारर फिल्म दंगल की अहम भूमिका है। दिन का खेल खत्म होने के बाद सरफराज ने हमारे सहयोगी समाचार पत्र इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में यह राज उजागर किया। उन्होंने कहा, ‘अपनी लाइफ दंगल है, फुल दंगल।’ सरफराज दंगल फिल्म में दलेर मेहंदी के गाने को गाकर अपने हर दिन की शुरुआत करते हैं। वह गाना है, ‘मां के पेट से मरघट तक/ है तेरी कहानी पग पग प्यारे/ दंगल दंगल, दंगल दंगल/ सूरज तेरा चढ़ता ढलता/ गर्दिश में करते हैं तारे/ दंगल दंगल दंगल दंगल…’ सरफराज के मुताबिक, यह गीत संघर्ष और प्रेरणा की बात करता है। अब यह उनके जीवन का गीत बन गया है। सरफराज सोने से पहले भी इस गाने को गुनगुनाते हैं।
चार साल पहले सरफराज उत्तर प्रदेश से खेलने लगे थे, लेकिन एक साल के कूल-ऑफ पीरियड के बाद वे अब इस सीजन मुंबई के लिए खेल रहे हैं। शायद यही वजह है कि पिछले 4 साल में जो उन्होंने खो दिया, उसे जल्द से जल्द वापस पाने की उनकी अंदर ज्वलंत इच्छा है। सरफराज के दिल में दुनिया को गलत साबित करने की भूख और फिर से बड़े मंच पर जाने की महत्वाकांक्षा है।
DOUBLE HUNDRED: There’s no stopping Sarfaraz Khan
He has now crossed the 200-run mark in two successive innings in this @paytm #RanjiTrophy season.
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— BCCI Domestic (@BCCIdomestic) January 27, 2020
सरफराज क्रिकेट के दीवाने पिता और कोच नौशाद के बेटे हैं। नौशाद का सपना बच्चों को भारत के लिए खेलते देखना है। सरफराज भी अपने पिता का सपना पूरा करने में जी-जान से जुटे हैं। वे खुद को क्रिकेट की गीता और अपने सबसे छोटे भाई मुशीर को बबीता मानते हैं। मुशीर मुंबई अंडर-19 के लिए खेलते हैं। गीता और बबीता आमिर खान की फिल्म दंगल के वे पात्र हैं, जो एक वास्तविक जीवन में एक रेसलिंग परिवार पर आधारित है। हालांकि, सरफराज उनमें अपने जीवन का प्रतिबिंब देखते हैं।
सरफराज बार-बार इस शब्द को दोहराते हैं, ‘ईश्वर महान है, पिताजी महान हैं।’ वे कहते हैं, ‘और क्यों नहीं? जब मैंने खराब दिनों में हार मान ली थी, लेकिन उन्होंने तब भी नहीं मानी थी।’ उन्होंने बताया, ‘करियर के शुरुआती दिनों में, मेरे पिता मुझे उमस भरी असहनीय गर्मी में आजाद मैदान के कई चक्कर लगाने को कहते थे। तब मैं सोचता था, ये सब कर क्या होगा। कहां काम आएगा। कभी-कभी, जब मैं मना करता तो मुझे थप्पड़ पड़ जाते, कभी-कभी पूरा दिन बिना खाना खाए रहना पड़ता। तपती गरमी में कठिन परिश्रम ने मेरे पैरों को मजबूत बना दिया है। अब मैं उसका लाभ उठा रहा हूं। भगवान महान हैं, पिताजी महान हैं!’