भारत के लिए 85 टेस्ट मैच खेलना और 5,000 से ज्यादा रन बनाना बड़ी उपलब्धि है, लेकिन अजिंक्य रहाणे को कभी सफलता का घमंड नहीं हुआ। साधारण परिवार से आने और क्रिकेट में सफल होने के लिए कड़ी मेहनत करने के कारण वह हमेशा शांत रहे। परिवार चालने के लिए उनके माता-पिता ने कड़ी मेहनत। इसके लिए उनकी मां ने आया का काम किया। इसके उनपर प्रभाव पड़ा और पैसा कैसे खर्च करना है इसका काफी ध्यान रखते हैं। वह अपने साथियों नीलेश कुलकर्णी, अविष्कार साल्वी या प्रवीण तांबे से लिफ्ट लेते थे। भारत के लिए खेलने के बाद उन्होंने सेकेंड हैंड कार ली।

द इंडियन एक्सप्रेस से अजिंक्य रहाणे ने अपने संघर्ष को बताते हुए कहा, “मैं डोंबिवली से आता हूं, मेरे लिए ट्रेन का सफर सबसे चुनौतीपूर्ण था और मैं 8 साल की उम्र से अकेले ही यात्रा करता था क्योंकि मेरे पिता को ऑफिस जाना पड़ता था। मैं एक लोअर मिडिल क्लास परिवार से आता हूं। मेरी मां अतिरिक्त पैसे कमाने के लिए बच्चों की देखभाल करती थीं क्योंकि मेरे पिता की तनख्वाह इतनी नहीं थी कि वे अपना खर्च चला सकें। वे यादें मेरे दिमाग में हैं और इसीलिए मैं जमीन से जुड़े रहने की कोशिश करता हूं। यह शोहरत और पैसा सिर्फ इस खेल की वजह से आया है।”

युवा खिलाड़ियों का मार्गदर्शन करते हैं रहाणे

यही कारण है कि अजिंक्य रहाणे युवा खिलाड़ियों का मार्गदर्शन करने की कोशिश करते हैं, जिन्हें अचानक बहुत सारा पैसा और प्रसिद्धि मिल जाती है और कई बार वे अपना रास्ता भटक जाते हैं। रहाणे इस बात पर जोर देते हैं कि किसी को अपनी जड़ों को कभी नहीं भूलना चाहिए। उन्होंने कहा, ” मैं उनके निजी जीवन में दखल देना पसंद नहीं करता, लेकिन एक लीडर के तौर पर अगर मुझे लगता है कि मुझे उन्हें कुछ बताना चाहिए तो मैं ऐसा करूंगा। मैंने कई ऐसे खिलाड़ी देखे हैं, जिनमें प्रतिभा तो थी, लेकिन गलत चुनाव और गलत दोस्तों ने उन्हें भटका दिया। यह भूलना महत्वपूर्ण है कि हम सब कहां से आए हैं। कई बार जब कोई खिलाड़ी शानदार प्रदर्शन कर रहा होता है तो आप देखते हैं कि लोग उसके साथ हैं। अचानक अगर चीजें गलत हो जाती हैं तो वही लोग गायब हो जाते हैं। इसलिए यह जानना बहुत महत्वपूर्ण है कि आपके सच्चे दोस्त कौन हैं।”

लोगों ने कहा कि बड़ी कार ले

रहाणे पैसा खर्च करने से पहले काफी सोच विचार करते हैं। यही वजह थी कि उन्होंने नई कार खरीदने से पहले काफी समय लिया। उन्होंने कहा, ” यहीं पर मेरे पारिवारिक मूल्य काम आए। उन्होंने कभी नहीं कहा कि खर्च मत करो। उन्होंने केवल इतना कहा कि अगर जरूरत हो तो करो। मैंने अपने जीवन में बहुत देर से कार खरीदी, मैं नीलेश कुलकर्णी, अविष्कार साल्वी या प्रवीण तांबे से लिफ्ट लेता था। जब मैं भारत के लिए खेला तो मैंने सेकंड-हैंड वैगनआर खरीदी। लोगों ने कहा कि बड़ी कार ले, लेकिन मैं केवल आराम से यात्रा करना चाहता था। मैं समझदारी से निवेश करना चाहता था। दो साल बाद मैंने होंडा सिटी खरीदी।” एक्सप्रेस से इंटरव्यू में रहाणे ने बताया है कि क्यों उनकी पीआर टीम नहीं है। पूरी खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें