भारत ने न्यूजीलैंड के खिलाफ टैस्ट और टी20 शृंखला जीत ली। शृंखला में सफलता इतने प्रभावशाली और सहज अंदाज में मिलेगी, किसी ने सोचा नहीं था। इस शृंखला में ऐतिहासिक प्रदर्शन हुआ, कई उपलब्धियां अर्जित की गईं। मगर सबसे अचंभित कर देने वाला प्रदर्शन रहा न्यूजीलैंड के खब्बू स्पिनर एजाज पटेल का जिन्होंने मजबूत भारतीय बल्लेबाजी में सेंध लगाकर अपनी फिरकी गेंदों से कमाल कर दिया।

कुछ वर्ष के प्रदर्शन पर नजर दौड़ाई जाए तो केन विलियम्सन की कप्तानी में कीवीज हर फार्मेट में एक मजबूत टीम के रूप में उभरी है। टैस्ट चैंपियनशिप की विजेता और हाल ही ट्वेंटी20 विश्व कप के फाइनल में पहुंचना गौरव की बात है। इन दोनों चैंपियनशिप में न्यूजीलैंड की टीम भारत की राह में बाधा बनी। इंग्लैंड में टैस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में उसने भारत को हराया जबकि संयुक्त अरब अमीरात में टी20 विश्व कप के लीग मैच में उसने भारत को शिकस्त देकर सेमी फाइनल की दौड़ से बाहर किया।

लेकिन राहुल द्रविड़ की कोचिंग में टीम इंडिया ने नए सफर की शुरुआत दमदार तरीके से की है। जब बदलाव होता है तो उसका असर टीम के प्रदर्शन पर पड़ता है। लेकिन यह बदलाव इतनी सुगमता से हो गया कि सफल प्रदर्शन की लय बन गई। इसमें खिलाड़ी उपलब्धियों से जुड़े, यादगार पदार्पण देखने को मिला, शानदार वापसी भी रही। इन सबके बीच खास बात यह रही कि जसप्रीत बुमरा, रोहित शर्मा, केएल राहुल, मोहम्मद शमी और विराट कोहली जैसे सितारे जब टीम में नहीं भी खेले तो भारत को कमी महसूस नहीं हुई। कप्तानी चाहे रोहित शर्मा ने की या अजिंक्य रहाणे और विराट कोहली ने, टीम इंडिया की मानसिकता जीत पाने की रही। यही सबसे सकारात्मक पहलू रहा। जब आपका रवैया इस तरह का रहता है तो राह में आने वाले संकट को खिलाड़ी अपने जज्बे और जुझारूपन से पार कर लेते हैं।

स्पिन गेंदबाजी भारत की ताकत रही है। लेकिन स्पिनरों के आगे भारतीय बल्लेबाजों का लड़खड़ा जाना कमजोरी बनता जा रहा है। यह चिंता का विषय है। क्या कोई कल्पना कर सकता है कि टीम इंडिया की पूरी पारी को कोई मेहमान टीम का स्पिनर समेट ले। भारतीय बल्लेबाज स्पिन खेलने में माहिर माने जाते हैं। लेकिन मुंबई में जन्मे न्यूजीलैंड के खब्बू स्पिनर एजाज पटेल ने वानखेड़े स्टेडियम पर पूरी भारतीय पारी को अकेले समेटकर करिश्मा कर दिया। वे दुनिया के तीसरे ऐसे गेंदबाज बन गए जो पारी के दस बल्लेबाजों का शिकार करने में सफल रहे। जिम लेकर ने 1955 और अनिल कुंबले ने 1999 में ऐसा कमाल किया था। इत्तफाक से ये दोनों भी स्पिन गेंदबाज रहे।

स्पिनरों को खेलने में हमारे बल्लेबाजों को क्यों परेशानी में आ रही है, यह समझ से परे है। संयुक्त अरब अमीरात में टी20 विश्व कप के पहले पाक स्पिनरों ने हमारे बल्लेबाजों को खुलकर खेलने से रोका तो बाद में न्यूजीलैंड के सैंटनर और ईश सोढ़ी ने भारतीय बल्लेबाजों पर अंकुश लगाया। इन दोनों गेंदबाजों ने विकेट तो लिए ही, रन भी ज्यादा नहीं दिए। आस्ट्रेलिया के एडम जंपा, नाथन लॉयन, इंग्लैंड के आदिल रशीद, मोइन अली और दूसरे देशों के स्पिनरों ने भी बल्लेबाजों को परेशानी में डाला है। इसलिए राहुल द्रविड़ को इस क्षेत्र में काम करना होगा।

यों टैस्ट शृंखला जिताने में भारतीय स्पिनरों की अहम भूमिका रही। रविचंद्रन अश्विन 14 विकेट लेकर टीम के सबसे सफल गेंदबाज रहे। इस प्रयास में हरभजन सिंह (417 विकेट) को पीछे छोड़कर वे देश के दूसरे सर्वाधिक विकेट लेने वाले स्पिनर बन गए। पहले नंबर पर अनिल कुंबले हैं जिन्होंने 619 विकेट चटकाए। साथ ही अश्विन स्वदेश में 300 विकेट लेने वाले दूसरे स्पिन गेंदबाज बन गए। अश्विन ने एक कैलेंडर वर्ष में चौथी बार 50 विकेट लेने का भी कमाल किया।

कानपुर टैस्ट में दो खब्बू स्पिनर खेले और मुंबई टैस्ट में दो आफ स्पिनर। वैसे दोनों टैस्ट मैचों में टीम इंडिया तीन स्पिनरों की रणनीति के साथ उतरी। हर गेंदबाज ने अपनी छाप छोड़ी। कानपुर में जहां अक्षर ने पहली पारी में पांच विकेट लिए तो रविंदर जाडेजा ने दूसरी पारी में चार विकेट लेकर टीम को जीत के करीब पहुंचाया।

तेज गेंदबाजी में ईशांत और उमेश यादव धारदार नहीं रहे। लेकिन दूसरे टैस्ट में सिराज अहमद के शुरुआती झटकों ने न्यूजीलैंड को बैकफुट पर ला दिया और टीम अपने न्यूनतम स्कोर (भारत के खिलाफ) 62 पर धराशायी हो गई। यह भारत में किसी भी मेहमान टीम का न्यूनतम स्कोर है। रनों के हिसाब से 372 रन की जीत भी सबसे बड़ी है। मुंबई टैस्ट में मयंक अग्रवाल ने 150 रन की धमाकेदार पारी खेलकर वापसी की। वे सीरिज में भारत की ओर से टाप स्कोरर रहे। पहले टैस्ट में पदार्पण पर श्रेयस अय्यर ने शतकीय पारी खेली।अब इसी माह दक्षिण अफ्रीका दौरे पर निगाहें रहेंगी।