2008 में 26/11 को मुंबई में आतंकी हमले के दौरान घायल होने मरीन कमांडो प्रवीण तेवतिया COVID-19 के खिलाफ लड़ाई में धन जुटाने के लिए मैराथन पदकों की नीलामी कर रहे हैं। हालांकि, वे पीएम केयर्स रिलीफ फंड में पहले ही 2 लाख रुपए का दान कर चुके हैं। प्रवीण भारतीय नौसेना के MARCOS मरीन कमांडो में से एक थे। वे 2008 में मुंबई के ताज होटल में ‘ऑपरेशन ब्लैक टॉरनेडो’ का हिस्सा भी थे।
शौर्य चक्र पुरस्कार विजेता प्रवीण को उस आतंकी हमले में सीने में चार गोलियां लगीं थीं। उनके सीने के दाहिने हिस्से में गंभीर चोट आई थे। उनके बाएं कान को भी नुकसान पहुंचा था। अब प्रवीण एक मैराथन धावक हैं। उन्होंने दुनिया भर में हुई कई प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया है और पदक जीते हैं। अब उन्होंने COVID-19 के खिलाफ लड़ाई में योगदान देने के लिए अपने पदकों को नीलामी करने का फैसला किया है।
हमारी सहयोगी वेबसाइट इंडियन एक्सप्रेस.डॉटकॉम से हुए विशेष बातचीत में प्रवीण ने बताया, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राहत कोष में योगदान के लिए कहा है। मैंने अपने 40 पदकों को बेचने का फैसला किया है। इनमें से मैं पहले ही 2 को बेच चुका हूं। उनसे मिले 2 लाख रुपए को मैं पीएम केयर्स रिलीफ फंड में जमा भी कर चुका हूं।’
तेवतिया ने बताया, ‘ये वे पदक हैं, जिन्हें मैंने पसीने और आंसुओं के साथ हासिल किए हैं। 26/11 हमले के दौरान मुझे गोलियां लग गईं थीं। उन चोटों से जब उबरा तो मैंने दौड़ना शुरू किया। उसके बाद मैंने ये मेडल हासिल किए, इसलिए मैं इन्हें बेच रहा हूं। मुझे लगता है कि इससे दूसरे लोग भी प्रेरित होंगे। वे जितना भी योगदान कर सकते हैं उतना करें।’
उन्होंने कहा, ‘मुझे विश्वास है कि इस लड़ाई में हम सब एक साथ हैं। इस समय एक-दूसरे की आलोचना न करें और आइए हम कंधे से कंधा मिलाकर चलें।’ यह पूछने पर कि उन्हें अपने पदकों की नीलामी के लिए किसने प्रेरित किया। प्रवीण ने कहा, एक पूर्व सैनिक के रूप में, मुझे हमेशा अपने देश को वापस देना सिखाया गया है। मैं एक ऐसे गांव से आता हूं, जिसने इस देश को 39 शहीद, आठ स्वतंत्रता सेनानी और एक पूर्व पीएम (चौधरी चरण सिंह) दिए हैं। चूंकि मैं न तो डॉक्टर हूँ और न ही कोई वैद्य। ऐसे में यही एक तरीका है जिससे संकट के इस क्षण में मैं देश को अपनी सेवाएँ दे सकता हूं।’
प्रवीण तेवतिया वर्तमान में अपने परिवार के साथ उत्तर प्रदेश के भटोना गांव में रहते हैं। 2008 में घायल होने के बाद, उनकी पांच सर्जरियां हुईं। उसके बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिली, लेकिन उनकी सुनने की क्षमता कम हो गई थी। वे अपनी पूर्व भूमिका में लौटने में असमर्थ थे, इसलिए उन्हें ऑफिस में बैठकर काम करने वाली जिम्मेदारी दी गई।
