मास्टर बलास्टर सचिन तेंदुलकर ने मंगलवार को कहा कि भारतीय टीम के लिए 2007 का विश्व कप सबसे बुरा दौर था। मुंबई में हुए एक कार्यक्रम के दौरान तेंदुलकर ने कहा कि वेस्टइंडीज में 2007 विश्व कप के पहले दौर में टीम के बाहर होने के बाद भारतीय क्रिकेट में कई सकारात्मक बदलाव आए। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में रिकॉर्ड्स के बादशाह के तौर पर जाने जाने वाले इस खिलाड़ी ने कहा, ‘‘ मुझे लगता है 2006-07 का सत्र हमारे (टीम) लिए सबसे बुरा था। हम विश्व कप के सुपर आठ दौर के लिए भी क्वॉलिफाई नहीं कर सके थे। लेकिन हमने वहां से वापसी की, नए तरह से सोचना शुरू किया और सही दिशा में आगे बढ़ना शुरू किया।’’ राहुल द्रविड़ के नेतृत्व में उस विश्व कप में भारतीय टीम ग्रुप चरण में श्रीलंका और बांग्लादेश से हार कर बाहर हो गई थी।
तेंदुलकर ने कहा, ‘‘ विश्व कप के बाद हमें कई बदलाव करने पड़े और एक बार जब हमने यह तय कर लिया कि टीम के तौर पर हमें क्या करना हैं तो हम पूरी शिद्दत के साथ उसे करने के लिए प्रतिबद्ध थे, जिसके नतीजे भी आए।’’ शतकों का शतक लगने वाले इस बल्लेबाज ने कहा, ‘‘ हमें कई बदलाव करने थे, लेकिन यह नहीं मालूम था कि वह सही है या गलत। यह बदलाव एक दिन में नहीं आया। हमें नतीजों के लिए इंतजार करना पड़ा। मुझे विश्व कप की ट्रॉफी को उठाने के लिए 21 वर्षों का इंतजार करना पड़ा।’’ महेंद्र सिंह धोनी की अगुआई में 2011 में विश्व कप जीतने वाली भारतीय टीम का तेंदुलकर महत्वपूर्ण सदस्य थे।
गौरतलब है कि 2007 का विश्व कप हारने के बाद राहुल द्रविड़ ने कप्तानी से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद महेंद्र सिंह धोनी को कप्तानी सौंपी गई थी। उन्हीं के नेतृत्व में भारत ने 2007 में टी20 विश्व कप जीतकर सबको हैरान कर दिया था। फाइनल में भारत ने पाकिस्तान को 5 रन से मात दी थी। यह यादगार मैच था, जिसका आखिरी ओवर डालने के लिए महेंद्र सिंह धोनी ने जोगिंदर शर्मा को चुना था और बड़ा शॉट लगाने के चक्कर में मिस्बाह-उल-हक एस श्रीशांत को कैच थमा बैठे।