साउथ कोरिया के प्योंगचांग में नौ से 23 फरवरी के बीच होने वाले विंटर ओलिंपिक्स के लिए दुनियाभर के एथलेटिक्स तैयारियों में जुटे हैं। इस बार प्योंगचांग में खेल के साथ खिलाड़ियों के लिए सुरक्षित सेक्स का संदेश दिया जाएगा। 14 दिन चलने वाले इस अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजन के दौरान खिलाड़ियों के लिए एक लाख 10 हजार कंडोम की व्यवस्था रहेगी। साउथ कोरिया में कंडोम बनाने वाली कंपनी ने एक लाख कंडोम दान करने की घोषणा खेल गांव को की है। वहीं एड्स प्रिवेंशन के लिए काम करने वाली कोरियन एसोसिएशन ने भी दस हजार कंडोम की व्यवस्था की है। विंटर गेम में अब तक कंडोम की यह सबसे बड़ी उपलब्धता है। हालांकि 2016 के रियो समर ओलंपिक में चार लाख 50 हजार की संख्या से यह कम है। खेल गांव में भारी संख्या में कंडोम की व्यवस्था के बाद अब दक्षिण कोरिया में यौन संबंधों को लेकर बहस छिड़ गई है। दक्षिण कोरियाई किशोरों के यौन आचरण पर शोध कर चुके बोस्टन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ह्यूक क्रिस हाम ने कहा- सेक्स पर खुली चर्चा करने के लिए इससे बेहतर मौका नहीं मिलेगा।
बता दें कि जर्नल ऑफ सोशल सर्विस रिसर्च 2016 की एक रिपोर्ट के मुताबिक दक्षिण कोरिया के आधे से ज्यादा युवक शादी से पहले सेक्स कर चुके होते हैं। भले ही किशोर कम उम्र में सेक्स कर रहे हैं मगर यह संकेत मिले हैं कि यौन संबंधों को लेकर उन्हें बहुत कम जानकारी है। यही वजह है कि वे अक्सर यौन संचरित संक्रमण के खतरे की चपेट में आ जाते हैं। प्रोफेसर हाम कहते हैं कि खुले तौर पर सेक्स और फेमिली प्लानिंग पर चर्चा की आज भी दक्षिण कोरियाई समाज इजाजत नहीं देता। इसे सामाजिक रूप से कलंक समझा जाता है। दक्षिण कोरिया में फिलहाल सबसे कम प्रजनन दर है, जबकि गर्भपात रेट सबसे अधिक। दक्षिण कोरिया में गर्भपात को इजाजत बहुत सख्त परिस्थितियों में मिलती है, मसलन बलात्कार या गंभीर बीमारी की हालत में। ह्यूमन राइट्स वॉच के अनुसार जिन महिलाओं के पास गैरकानूनी गर्भपात होता है, उन्हें जेल में एक वर्ष या करीब 1820 डॉलर का जुर्माना चुकाना पड़ता है। प्रोफेसर हेम के मुताबिक चूंकि आज भी समाज में कम उम्र में वो भी सिंगल मदर को शर्मिंदगी का सबब माना जाता है, वहीं इसे सामाजिक स्वीकृति भी नहीं मिलती, इस नाते गर्भपात की घटनाएं ज्यादा हो रहीं हैं। बता दें कि 1988 में सियोल में पहली बार ग्रीष्मकालीन खेलों के दौरान कंडोम का सार्वजनिक वितरण शुरू हुआ। उस समय यह कोशिश एचआईवी के प्रसार को रोकने के लिए हुई थी।