सरकार ने संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए टैक्स फ्री ग्रैच्युटी की सीमा दोगुनी कर 20 लाख रुपये करने से संबंधित संशोधित विधेयक के प्रारूप को 12 सितंबर को मंजूरी दे दी थी। इस संशोधन के अमल में आने पर निजी क्षेत्र के साथ सार्वजनिक क्षेत्र के लोक उपक्रमों तथा सरकार के अंतर्गत आने वाले उन स्वायत्त संगठनों के कर्मचारियों जो केंद्रीय सिविल सेवाओं (पेंशन) नियम के दायरे में नहीं आते, उनकी ग्रैच्युटी सीमा भी केंद्र सरकार के कर्मचारियों के बराबर हो जाएगी। केन्द्रीय कर्मचारियों के लिये ग्रैच्युटी की अधिकतम सीमा 20 लाख रुपये है। लेकिन क्या आप ग्रैच्युटी से जुड़ी सारी महत्वपूर्ण बातों के बारे में जानते हैं? अगर नहीं तो ये जानकारी आपके काफी काम आ सकती है। चलिए आपको बताते हैं ग्रैच्युटी से जुड़ी सारी जरूरी बातें।

क्या होती है ग्रैच्युटी ?
ग्रैच्युटी का पैसा एक नियोक्ता (इम्प्लॉयर) द्वारा अपने कर्मचारी (इम्प्लॉई) को दिया जाता है। नियोक्ता द्वारा कर्मचारी को ग्रैच्युटी का पैसा दिया जाए, इसे पेमेंट ऑफ ग्रैच्युटी ऐक्ट, 1972 के तहत सुनिश्चित किया जाता है। जिस कंपनी में 10 या उससे ज्यादा कर्मचारी होते हैं, उसे इस कानून के तहत ऑपरेट करना होता है। ग्रैच्युटी कर्मचारी की सैलरी का ही एक हिस्सा है जो उसे अपने नियोक्ता से मिलता है।

कब और कितनी मिलती है ग्रैच्युटी?
पेमेंट ऑफ ग्रैच्युटी ऐक्ट के सेक्शन 4 के अनुसार, ग्रैच्युटी का पैसा किसी कर्मचारी को एक कंपनी में कम से कम 5 साल का समय पूरा करने पर मिलता है। मिलने वाली रकम साल में 15 दिन की सैलरी के बराबर होती है। यह रकम साल के अंत में आपकी मासिक सैलरी के आधार पर तय होती है। आपकी इस सैलरी को 26 से भाग दिया जाता है और 15 से गुणा कर दिया जाता है। इसका फॉर्म्यूला यह है- अंतिम सैलरी(बेसिक + डीए) X जितने साल नौकरी की X 15/26. यहां यह बात ध्यान रखने की है कि अंतिम साल में अगर 6 महीने से ज्यादा नौकरी की है तो उसे 1 साल गिना जाएगा।

उदाहरण के लिए अगर आपने 5 साल 7 महीने काम किया है तो 6 साल की ग्रैच्युटी बनेगी। एक बात और जान लीजिए अगर कंपनी चाहे तो इस फॉर्म्यूला से ज्यादा ग्रैच्युटी भी दे सकती है। लेकिन सेक्शन 4(3) के तहत नियोक्ता अपने कर्मचारी को बतौर ग्रैच्युटी अधिकतम 20 लाख रुपये ही दे सकता है, चाहे उसने कितने ही साल नौकरी की हो। कानूनी तौर पर सरकारी कर्मचारियों और ग्रैच्युटी ऐक्ट के अंतरगत कार्य करने वाली कंपनियों के कर्मचारियों की ग्रैच्युटी राशि को टैक्स से छूट मिलती है। वहीं अगर किसी कर्मचारी की कंपनी में 5 साल पूरे करने से पहले ही मौत हो जाती है तो ग्रैच्युटी उसके कानूनी उत्तराधिकारी (नॉमिनी) को मिलती है। नॉमिनी बताने के लिए कंपनी जॉइन करते समय फॉर्म F भरना पड़ता है।