इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, लेकिन जिस तेजी से यह वृद्धि हो रही है, उसी अनुपात में ऑनलाइन और साइबर अपराध से जुड़े मामले बढ़ रहे हैं। ई-मेल से जुड़ी आपराधिक घटनाएं, कंपनियों के साथ ऑनलाइन धोखाधड़ी, क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी, हैकिंग, सॉफ्टवेयर की चोरी, मोबाइल क्लोनिंग आदि जैसे अपराध लगातार हो रहे हैं। इन सब को देखते हुए ही कंप्यूटर और नेटवर्क सुरक्षा पर अधिक ध्यान दिया जाने लगा है। इसके कारण पूरी दुनिया में कंप्यूटर फॉरेंसिक विशेषज्ञों की मांग भी लगातार बढ़ रही है। आजकल सब कुछ साइबर से जुड़ गया है। इसलिए इंटरनेट पर सूचना की सुरक्षा को कायम रखने की चिंता भी बढ़ रही है। हर व्यक्ति किसी न किसी तरह साइबर अपराध की जद में रहता है और बड़ी संख्या में लोग इसका शिकार भी हो रहे हैं। ऐसे में कंप्यूटर फॉरेंसिक विशेषज्ञ साइबर अपराध के शिकार हुए लोगों की सहायता करता है।

योग्यता

साइबर लॉ से जुड़े पाठ्यक्रम में 12वीं के बाद दाखिला लिया जा सकता है। एशियन स्कूल ऑफ साइबर लॉ पुणे से साइबर कानून में डिप्लोमा-दूरस्थ शिक्षा, साइबर कानून में एडवांस्ड डिप्लोमा-केवल दूरस्थ शिक्षा माध्यम से, एएससीएल प्रमाणित साइबर अपराध जांच-दूरस्थ एवं क्लास रूम प्रणाली कुछ ऐसे ही पाठ्यक्रम हैं। इसके अलावा साइबर सुरक्षा से संबंधित स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में अखिल भारतीय प्रवेश परीक्षा के आधार पर प्रवेश दिया जाता है।

उपलब्ध कोर्स

शॉर्ट टर्म कोर्स इन साइबर फॉरेंसिक, एडवांस्ड डिप्लोमा कोर्स इन साइबर फॉरेंसिक, एडवांस्ड डिप्लोमा इन साइबर लॉ डिप्लोमा इन इंटरनेट क्राइम इंवेस्टिगेशन, पीजी डिप्लोमा इन साइबर फॉरेंसिक, प्रोफेशनल स्पेशलाइज्ड सर्टिफिकेशन कोर्स इन साइबर फॉरेंसिक, यूनिवर्सल सर्टिफिकेशन साइबर फॉरेंसिक

पाठ्यक्रम का स्वरूप

इस विषय के अंतर्गत डिजिटल मीडिया का विश्लेषण, बेसिक्स ऑफ कंप्यूटर एंड साइबर फॉरेंसिक, साइबर लॉ के मूल सिद्धांत, फॉरेंसिक साइंस एंड क्रिमिनोलॉजी, डाटा एंड एविडेंस रिकवरी, साइबर लॉ एंड साइबर क्राइम, ई-कॉमर्स ऑफ साइबर लॉ, साइबर फॉरेंसिक इन्वेसटिगेशन, साइबर सिक्योरिटी और साइबर स्पेस शामिल हैं।

पाठ्यक्रम में कंप्यूटर और साइबर अपराध के तहत छात्रों को साइबर अपराध से जुड़े विभिन्न पहलुओं से अवगत करवाया जाता है, जिसमें कंप्यूटरीत और नेटवर्क प्रचालनों में विभिन्न प्रकार के जोखिमों को समझना, कंप्यूटर अपराध से जुड़े सुराग की पहचान करना, कंप्यूटर अपराधों की जांच के पहलुओं के बारे में जानना, कंप्यूटर से जुड़े अपराधों की रोकथाम केउपायों को समझना और कभी-कभी होने वाले साइबर नुकसान को सीमित रखने के लिए सुरक्षा तकनीकों से परिचित होना आदि शामिल हैं।

कंप्यूटर फॉरेंसिक विशेषज्ञ के जरूरी गुण

– सूचना प्रौद्योगिकी का ज्ञान, डेटा को रिकवर करने की क्षमता, कार्य करने का व्यवस्थित दृष्टिकोण
-समस्याओं को सुलझाने की क्षमता, कंपनी की संवेदनशील सूचनाओं को चोरी से बचाने का गुण,अश्लील सामग्री पर प्रतिबंध लगाने की दक्षता, समय सीमा के अंदर काम करने में विशेषज्ञ

कहां मिलेगी नौकरी

कंप्यूटर फॉरेंसिक विशेषज्ञ का पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद वेबसाइट विकसित करने वालों के परामर्शदाता, सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्रालय में परामर्शदाता, प्रौद्योगिकी कंपनी में अनुसंधान सहायक, ऑडिटर तथा नेटवर्क एडमिनिस्ट्रेटर और बहुराष्ट्रीय कंपनियों में प्रशिक्षक बन सकते हैं।
इनके अलावा आइटी फर्म, पुलिस विभाग, बैंक, अदालत, नारकोटिक विभाग, जासूसी एजंसी, जांच ब्यूरो, अपराध शाखा, सीआइडी और सीबीआइ में भी अपार संभावनाएं हैं।

पाठ्यक्रम करने के लिए प्रमुख संस्थान

-साइबर सुरक्षा एवं कानून संस्थान, दिल्ली विश्वविद्यालय, सिम्बॉयोसिस सोसाइटीज लॉ कॉलेज, पुणे, नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया, बेंगलुरु, एशियन स्कूल ऑफ साइबर लॉ, पुणे, भारतीय सूचना और प्रौद्योगिकी संस्थान, इलाहाबाद, सेंटर फॉर डिस्टेंस एजुकेशन, हैदराबाद विश्वविद्यालय, साइबर लॉ कॉलेज एनएएवीआइ, चेन्नई, मैसूर, हुबली, मैंगलोर, बेंगलुरु।

“कंप्यूटर फॉरेंसिक विशेषज्ञ मुख्य रूप से दो तरह के होते हैं। एक डेटा फॉरेंसिक विशेषज्ञ और दूसरे साइबर फॉरेंसिक विशेषज्ञ होते हैं। डेटा फॉरेंसिक का कार्य ऑनलाइन डेटा की गड़बड़ी को पकड़ना होता है। उदाहरण के तौर पर किसी कंपनी ने अपने शेयर के डेटा में हेरफेर की हुई है तो ये विशेषज्ञ उसकी जांच करके सच को सामने लाते हैं। वहीं, साइबर फॉरेंसिक विशेषज्ञों का कार्य ऑनलाइन सूचनाओं को की जांच करते हैं। साथ ही अगर कोई जानकारी मिटा दी गई है तो उसे भी वापस लेने की कोशिश करते हैं। वर्तमान में कंप्यूटर फॉरेंसिक विशेषज्ञों की मांग है ही, भविष्य में यह मांग और तेजी से बढ़ेगी।”

-डॉ. सुनैना कनोजिया, विशेष कार्य अधिकारी, साइबर सुरक्षा एवं
कानून संस्थान, दिल्ली विश्वविद्यालय

साइबर अपराध की जांच करता है कंप्यूटर फॉरेंसिक विशेषज्ञ

आमतौर पर कंप्यूटर फॉरेंसिक विशेषज्ञों को साइबर पुलिस, साइबर अन्वेषक या डिजिटल डिटेक्टिव भी कहा जाता है। वह साइबर अपराध की जांच करता है। किसी भी तरह का साइबर अपराध होने पर कंप्यूटर फॉरेंसिक विशेषज्ञ को कंप्यूटर डेटा को जमा करना, उसे सुरक्षित करना, उसकी पहचान करना, रिपोर्ट तैयार करना और उसका विश्लेषण करना होता है। इस प्रक्रिया से अपराधी तक पहुंचने के लिए उसकी सारी सूचना और स्थिति की जानकारी के बारे में जानकारी हासिल की जाती है, जो सबूत जमा करने के लिए जरूरी है।