एक सफल इंजीनियर बनना इस विषय की पढ़ाई कर रहे हर छात्र की ख्वाहिश होती है। मशहूर अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा भी कभी एयरोनॉटिकल इंजीनियर ही बनना चाहती थीं। लेकिन मिस वर्ल्ड का ताज अपने नाम करने वाली यह अदाकारा इंजीनियर बनने के बजाए आज एक सफल अभिनेत्री हैं। भले प्रियंका का एयरोनॉटिकल इंजीनियर बनने का सपना अधूरा रह गया लेकिन आप इस फिल्ड में अपना करियर बना सकते हैं। एयरोनॉटिकल इंजीनियर को हिंदी में ‘वैमानिक अभियंता’ कहा जाता है। इलेक्ट्रिकल इंजीनियर की तरह ही एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग के फील्ड में भी कई संभावनाएं हैं। हम आपको बताते हैं कि एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में आप कैसे सफलता हासिल कर सकते हैं।

क्या है एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग? जिस तरह कंप्यूटर सॉफ्टवेयर के क्षेत्र में कंप्यूटर सॉफ्टवेयर इंजीनियर होते हैं, सिविल क्षेत्र में सिविल इंजीनियर होते हैं उसी तरह एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में एयरोनॉटिकल इंजीनियर होते हैं। किसी भी काम की डेवलपिंग, रिपेयरिंग, मेंटेनेंस और उसे मैनेज करने के लिए इंजीनियर्स रखे जाते हैं। उसी तरह विमान, हेलीकॉप्टर या रॉकेट में भी इलेक्ट्रॉनिक यंत्रों की जांच करना, इन यंत्रों का मेंटेनेंस, नए उपकरण के निर्माण, हवाई जहाज में कोयले की रीफिलिंग, विभिन्न उपकरणों की डिजाइनिंग, डेवलपमेंट आदि कार्य के लिए एयरोनॉटिकल इंजीनियर होते हैं।

जरुरी है यह शैक्षणिक योग्यता: एयरोनॉटिकल इंजीनियर बनने के लिए उम्मीदवार को 12th class में फिजिक्स या गणित विषय से पास होना अनिवार्य है। इसके बाद तीन वर्षीय डिप्लोमा लेना जरूरी है। जैसे – B.E या B.Tech की ग्रेजुएट डिग्री इत्यादि। इस क्षेत्र में आईआईटी के अलावा कुछ इंजीनियरिंग कॉलेजों में डिग्री तथा पोस्ट डिग्री पाठ्यक्रम संचालित किए जाते हैं। एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग का डिप्लोमा पाठ्यक्रम कुछ पॉलीटेक्निक कॉलेजों में भी उपलब्‍ध है। आईआईटी तथा विभिन्न राज्यों में स्थित इंजीनियरिंग कॉलेजों के एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग के बीई पाठ्यक्रम में विभिन्न प्रवेश परीक्षाओं के माध्यम से प्रवेश दिया जाता है। स्नातक पाठ्यक्रमों के लिए चयन प्रवेश परीक्षाओं में प्राप्त मेरिट के आधार पर किया जाता है।

मिलता है आकर्षक वेतन : एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में सरकारी और निजी दोनों ही क्षेत्रों में अपार संभावनाएं हैं। सरकार क्षेत्रों में काम करने वाले इंजीनियरों को सरकार द्वारा निर्धारित वेतनमान दिया जाता है। जो 25 से 35 हजार प्रतिमाह हो सकता है। तो वहीं निजी क्षेत्रों में यह वेतन 50 हजार से डेढ़ लाख रुपए तक हो सकता है।