सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति कॉलेजियम (Collegium System) के जरिए होती है। कई मौकों पर जजों की नियुक्ति के मसले पर न्यायपालिका और सरकार के बीच टकराव भी दिखा है। हालिया उदाहरण, ओडिशा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस एस. मुरलीधर का है। कॉलेजियम ने 28 सितंबर 2022 को उन्हें मद्रास हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस बनाने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा था।
6 महीने बीतने के बावजूद जब केंद्र सरकार ने इस पर कोई फैसला नहीं लिया तो 19 अप्रैल को कॉलेजियम ने अपना प्रस्ताव वापस ले लिया। कॉलेजियम ने तर्क दिया कि अब जस्टिस मुरलीधर के रिटायरमेंट में महज 4 महीने बचे हैं, ऐसे इस प्रस्ताव का कोई मतलब नहीं है।
इंदिरा सरकार ने नहीं मानी थी CJI की बात
न्यायपालिका और सरकार के बीच टकराव का मामला कोई नया नहीं है। पूर्ववर्ती सरकारें भी जजों की नियुक्ति में रोड़ा अटकाती रही हैं। जस्टिस एमएन चंदूरकर (M.N. Chandurkar) का मामला बहुचर्चित है। बॉम्बे और मद्रास हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रहे हेमंत चंदूरकर को तत्कालीन चीफ जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ (Former CJI YV Chandrachud) सुप्रीम कोर्ट में लाना चाहते थे और इंदिरा गांधी सरकार को इसकी सिफारिश भेजी थी, लेकिन सरकार ने इसे खारिज कर दिया था।
गोलवलकर के अंतिम संस्कार में जाना कांग्रेस को नहीं भाया
जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ के पोते और मौजूदा सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के बेटे अभिनव चंद्रचूड़ ने अपनी किताब ‘सुप्रीम व्हिस्पर्स’ (Supreme Whispers) में इस किस्से का जिक्र किया है। पेंग्विन से प्रकाशित अपनी किताब में दिग्गज लॉयर अभिनव लिखते हैं कि साल 1982 और 1985 में चंदूरकर का नाम सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति के लिए सरकार को भेजा गया, लेकिन इंदिरा गांधी सरकार ने उनका नाम फौरन रिजेक्ट कर दिया था।

चंदूरकर का नाम रिजेक्ट करने की वजह बस इतनी थी कि वह आरएसएस के द्वितीय सरसंघचालक एमएस गोलवलकर के अंतिम संस्कार में चले गए थे और बाद में एक सभा में गोलवलकर के बारे में अच्छी बातें कही थीं। दरअसल, चंदूरकर के पिता और एमएस गोलवलकर अच्छे मित्र थे।
इंदिरा गांधी ने कहा था- हमारे किसी काम के नहीं
अभिनव चंद्रचूड़ इंडियन एक्सप्रेस में एक लेख में भी इस किस्से का जिक्र करते हैं। लिखते हैं कि बाद में इंदिरा गांधी ने तत्कालीन सीजेआई वाईवी चंद्रचूड़ से चंदूरकर का नाम खारिज करने की वजह बताते हुए कहा था, ‘वह हमारी (कांग्रेस सरकार की) कोई मदद भी नहीं कर पाएंगे…’।