बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी दो फिल्मों की पटकथा लिख चुके हैं। बहुत कम लोग जानते हैं कोरोना काल में उन्होंने तीन उपन्यास भी लिखे। अब भी जब फुर्सत मिलती है तो कुछ न कुछ लिखने का प्रयास करते हैं, वह भी मोबाइल या कंप्यूटर पर नहीं बल्कि कलम के जरिए। नकवी 6 जुलाई को जनसत्ता डिजिटल के कार्यक्रम ‘बेबाक’ में शामिल हुए। इस दौरान jansatta.com के संपादक विजय कुमार झा से अपनी निजी जिंदगी से लेकर सियासत पर विस्तार से बात रखी।
हर त्योहार पर गिफ्ट भेजते हैं CM योगी
मुख्तार अब्बास नकवी (Mukhtar Abbas Naqvi) ने बताया कि ईद-बकरीद पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ उन्हें बधाई देना नहीं भूलते। यूपी के सीएम तो उन्हें तोहफा भी भिजवाते हैं। इस बार भी बकरीद पर उन्होंने नकवी को उत्तर प्रदेश के खास आम भिजवाए थे। उन्होंने बताया कि उनके घर पर मुस्लिमों के साथ-साथ हिंंदुओं के त्योहार भी खूब धूमधाम से मनते हैं। उन्होंने बताया कि उनके घर की होली मशहूर है। बता दें कि नकवी ने 40 साल पहले अंतरधार्मिक शादी की थी।
खाली समय में देखते हैं फिल्में
नकवी को फिल्में देखने का खूब शौक है। उन्होंने बताया कि हाल ही में घर पर उन्होंने परिवार के साथ दीपिका पादुकोण की फिल्म ‘पद्मावत’ देखी थी।
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पत्नी के साथ गए थे ईशा फाउंडेशन
नकवी ने बताया कि वह हाल ही में पत्नी के साथ कर्नाटक गए थे। इसके बाद वहीं से सद्गुरु जग्गी वासुदेव के आश्रम ईशा फाउंडेशन भी गए। वहां भगवान शंकर की पूजा अर्चना की।

65 साल की उम्र में भी नकवी इतने फिट कैसे हैं? इस सवाल के जवाब में कहते हैं कि मैं महत्वाकांक्षाओं से दूर रहता हूं और तनाव कम से कम लेता हूं। मेरी फिटनेस का सबसे बड़ा राज यही है। इसके अलावा नियमित योग और व्यायाम भी करता हूं।
आसान नहीं था प्यार से शादी तक का सफर
मुख्तार अब्बास नकवी ने सीमा नकवी से अंतर धार्मिक विवाह किया है। हाल ही में दोनों ने अपनी शादी की 40वीं वर्षगांठ मनाई। बातचीत में नकवी ने अपने कॉलेज के दिनों को भी याद किया और बताया कि किस तरीके से जब उनकी सीमा से मुलाकात हुई तो लोगों की निगाहों से छुप-छुपकर मिला करते थे। नकवी कहते हैं कि इलाहाबाद का कंपनी गार्डन उनके मिलने का अड्डा हुआ करता था।
मुख्तार अब्बास नकवी के राजनीतिक सफर की बात करें तो शुरू में जनसंघ को लेकर उनके मन में शक था, लेकिन एबीवीपी के एक नेता के संपर्क के चलते उनके विचार बदले और 1980 में भाजपा बनने के कुछ साल बाद ही उन्होंने पार्टी जॉयन कर ली। इसकी पूरी कहानी यहां पढ़ें