BJP Maharashtra Assembly Election 2024: बीजेपी ने महाराष्ट्र और झारखंड का चुनाव जीतने के लिए पूरे दमखम के साथ चुनाव प्रचार किया। पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित तमाम बड़े नेताओं के साथ ही दूसरे सूबे के फायरब्रांड मुख्यमंत्रियों जैसे- योगी आदित्यनाथ, हिमंता बिस्वा सरमा को भी इन राज्यों के चुनाव प्रचार में उतारा।

लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद महाराष्ट्र में पार्टी की हालत निश्चित रूप से कमजोर मानी जा रही थी लेकिन उसने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के द्वारा दिए गए ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘एक हैं तो सेफ हैं’ के दम पर मजबूत चुनावी जमीन बनाने में कामयाबी हासिल की और कुछ चैनलों और एजेंसियों के एग्जिट पोल पर अगर आप नजर डालें तो महाराष्ट्र में महायुति गठबंधन की सरकार बनने तक की बात कही गई है जबकि झारखंड में बेहद नजदीकी चुनावी मुकाबला है।

145 और 41 है जादुई आंकड़ा

महाराष्ट्र में विधानसभा की 288 सीटें हैं जबकि झारखंड में विधानसभा की 81। विधानसभा की सीटों की संख्या के लिहाज से महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए 145 विधायकों का समर्थन चाहिए जबकि झारखंड के लिए यह आंकड़ा 41 है।

एग्जिट पोल के बाद नतीजों को लेकर हलचल तेज। (Source-PTI)

अगर बीजेपी की अगुवाई वाला एनडीए गठबंधन महाराष्ट्र और झारखंड में जीत हासिल कर लेता है तो इससे बीजेपी को बड़ी राहत मिलेगी क्योंकि लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद से ही कांग्रेस और विपक्षी दल यह कहकर उस पर हमला कर रहे थे कि अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चुनावी मैजिक खत्म हो चुका है।

हरियाणा की जीत से भरा कार्यकर्ताओं में जोश

लोकसभा चुनाव में बीजेपी के प्रदर्शन को लेकर जब तमाम सवाल उठे थे तो हरियाणा की जीत ने उसे बूस्टर डोज दी थी। हरियाणा में तमाम राजनीतिक विश्लेषकों के दावों को फेल साबित करते हुए पार्टी ने लगातार तीसरी बार सरकार बनाई और इस राज्य के चुनाव नतीजों का जिक्र बीजेपी के नेताओं ने झारखंड और महाराष्ट्र के चुनाव प्रचार में भी किया और इससे अपने कार्यकर्ताओं में जोश भरा।

महाराष्ट्र में बीजेपी सहयोगी दलों के साथ पिछले 10 साल से लगातार सरकार चला रही है। अगर इस बार भी वह सरकार बना लेती है तो निश्चित रूप से यह एक बड़ी जीत भारत के बड़े और आर्थिक रूप से सक्षम प्रदेश में उसे मिलेगी।

महायुति और MVA ने किया अपनी-अपनी जीत का दावा। (Source-ANI और PTI)

हालांकि अगर वह एनडीए के सहयोगियों के साथ महाराष्ट्र और झारखंड में सरकार नहीं बना पाई तो इसे पार्टी की एक बड़ी हार मान जाएगा और उस पर हरियाणा की जीत के बाद कम हुआ राजनीतिक दबाव बढ़ेगा। इस बीच, सोमवार से संसद का शीतकालीन सत्र भी शुरू हो रहा है। अगर पार्टी दोनों राज्यों में चुनाव जीत जाती है तो वह उद्योगपति गौतम अडानी के मामले में विपक्ष के द्वारा संभावित हमलों का जवाब देने के साथ ही ताबड़तोड़ पलटवार भी कर सकेगी वरना सूरत ए हाल दूसरा होगा।

लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी को हुआ बड़ा नुकसान

राजनीतिक दल 2024 में मिली सीटें2019 में मिली सीटें
बीजेपी 923
कांग्रेस131
एनसीपी14
एनसीपी (शरद चंद्र पवार)8
शिवसेना (यूबीटी)9
शिवसेना 718

महाराष्ट्र के लोकसभा चुनाव में जब बीजेपी का प्रदर्शन खराब रहा तो इसके पीछे बड़ी वजह आरक्षण की मांग कर रहे मराठा समुदाय की नाराजगी, शिवसेना और एनसीपी के मतदाताओं में उद्धव ठाकरे और शरद पवार को लेकर सहानुभूति को माना गया क्योंकि उद्धव ठाकरे और शरद पवार ने आरोप लगाया था कि उनके दलों में हुई टूट के लिए भाजपा ही जिम्मेदार है। ठाकरे और पवार ने कहा था कि बीजेपी ने महाराष्ट्र के परंपरागत दलों में तोड़फोड़ करके राज्य में गलत राजनीति की शुरुआत की है।

माझी लड़की बहिन योजना से उम्मीद

लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने धड़ाधड़ बड़े ऐलान किये और माझी लड़की बहिन योजना को शुरू किया। महायुति के लिए सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा माझी लड़की बहिन योजना ही है। महायुति ने ऐलान किया है कि अगर फिर से उसकी सरकार बनी तो महिलाओं को हर महीने 1500 से बढ़ाकर 2100 रुपए दिए जाएंगे। जबकि MVA ने इसके जवाब में महालक्ष्मी योजना के तहत वादा किया है कि वह महिलाओं को 3000 रुपए हर महीने देगी और सरकारी बसों में फ्री सवारी की सुविधा भी देगी। बीजेपी को इस योजना से जबरदस्त सियासी मदद की उम्मीद है।

…‘बंटेंगे तो कटेंगे’ का नारा

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने संविधान और आरक्षण को खतरा होने के साथ ही जाति जनगणना को भी प्रमुख मुद्दा बनाया था। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने इस बार भी महाराष्ट्र और झारखंड में हुई अपनी चुनावी जनसभाओं में जाति जनगणना का मुद्दा जोर-शोर से उठाया। इसके जवाब में बीजेपी ने ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ और ‘एक हैं तो सेफ हैं’ का नारा दिया। महाराष्ट्र और झारखंड के चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नारों की परीक्षा भी होनी है। चुनाव नतीजे बताएंगे कि क्या वाकई इन राज्यों में इन नारों का कोई असर हुआ है?

बताना होगा कि उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा था कि महाराष्ट्र में इस तरह के नारे नहीं चलते। यहां तक कि बीजेपी की बड़ी नेता पंकजा मुंडे ने भी इस नारे को लेकर अपना विरोध दर्ज कराया था।

चुनाव में होगा नारे का असर?(Source-AP)

अब बात करते हैं झारखंड की।

झारखंड भले ही छोटा प्रदेश है लेकिन यह चुनावी राजनीति के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है। महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि यहां बड़ी संख्या में आदिवासी मतदाता हैं और लोकसभा चुनाव के नतीजों में जब सभी आदिवासी आरक्षित सीटों पर बीजेपी को हार मिली तो विपक्षी दलों ने यह कहा कि आदिवासी मतदाता बीजेपी के खिलाफ हैं। लेकिन उसके बाद पार्टी ने आदिवासी मतदाताओं तक पहुंचने के लिए कई बड़े कदम उठाए। झारखंड में 26% आदिवासी मतदाता हैं।

बीजेपी ने झारखंड में आदिवासी समुदाय के बीच अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन, झामुमो संस्थापक शिबू सोरेन की बहू सीता सोरेन जैसे बड़े चेहरों को अपने साथ मिलाया और उन्हें चुनाव में उम्मीदवार भी बनाया।

बीजेपी की ओर से इस चुनाव में झारखंड में कथित रूप से हो रही बांग्लादेशी अवैध घुसपैठ और धर्मांतरण के मुद्दे को भी खूब उठाया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झारखंड में अपनी चुनावी सभाओं में आदिवासियों के हक और हिस्सेदारी पर घुसपैठियों का कब्जा होने की बात को कहा। देखना होगा कि क्या आदिवासी समुदाय के मतदाता बीजेपी को वोट देंगे या फिर इंडिया गठबंधन को?

इसके साथ ही राज्य में बड़ी संख्या में गैर आदिवासी मतदाता भी हैं। चुनाव नतीजों से यह भी पता चलेगा कि क्या गैर आदिवासी मतदाताओं ने बीजेपी के पक्ष में मतदान किया है?