Prohibition of Child Marriage Act, 2006: गुवाहाटी हाईकोर्ट (Gauhati High Court) ने बाल विवाह से जुड़े अलग-अलग मामलों में आरोपियों को अग्रिम जमानत देते हुए कहा कि ये ऐसे मामले नहीं हैं, जिसमें हिरासत में लेकर पूछताछ की आवश्यकता है। गुवाहाटी हाईकोर्ट के जस्टिस सुमन श्याम (Justice Suman Shyam) ने कहा कि कहा कि अगर अगर कोई शादी कानून का उल्लंघन कर हो रही है, तो कानून अपना काम करेगा। इस तरह के मामले कोई नए नहीं है और ये सब बहुत पहले से होता आ रहा है।
हाईकोर्ट ने कहा कि हम तय करेंगे कि तत्काल पूछताछ की आवश्यकता है या नहीं। इस वक्त कोर्ट को लग रहा है कि ये ऐसा मामला नहीं है, जिसमें हिरासत में लेकर पूछताछ करने की जरूरत है। हम उन्हें (आरोपियों को) स्टेटमेंट रिकॉर्ड कराने के लिए कहेंगे। कोर्ट ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि ये कोई एनडीपीएस, स्मगलिंग या प्रॉपर्टी चोरी का केस थोड़ी है?
कोई धारा लगा देंगे और कोर्ट देखेगा नहीं?
लाइव लॉ (Live Law) की एक रिपोर्ट के मुताबिक कोर्ट की इस टिप्पणी पर असम सरकार के एडवोकेट ने कहा कि यह बेहद गंभीर मामला है। इस पर जस्टिस सुमन श्याम ने कहा कि पॉक्सो? आप कुछ भी लगा देंगे क्या? यहां POCSO की क्या जरूरत है? आपने पॉक्सो लगा दिया तो इसका मतलब यह है कि जज अपनी आंखें बंद कर लेंगे, कुछ देखेंगे ही नहीं? कोर्ट ने कहा कि हम यहां न किसी को बरी कर रहे हैं ना ही आपको जांच से रोक रहे हैं।
दोषी होंगे तो सजा मिलेगी लेकिन…
हाईकोर्ट की बेंच ने कहा कि ये कोई ऐसा मामला नहीं है, जिसमें हिरासत में लेकर पूछताछ की जाए। राज्य सरकार कानून के मुताबिक अपना काम करे, जांच करे और चार्जशीट फाइल करे। अगर दोषी हों तो सजा मिलेगी, लेकिन इस तरह के कदम से लोगों की निजी जिंदगी में खलल पड़ रहा है। यहां बच्चे हैं, परिवार के लोग हैं और बुजुर्ग भी हैं।
आखिर क्यों जोड़ी रेप की धारा?
जस्टिस सुमन श्याम (Justice Suman Shyam) ने कहा कि बाल विवाह बुरी प्रथा है, लेकिन उचित समय आएगा तो कोर्ट इस पर अपनी राय देगा, लेकिन इस वक्त विषय यह है कि आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जाए या नहीं? रिपोर्ट के मुताबिक बाल विवाह से जुड़े एक और मामले में कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि इस मामले में रेप की धारा जोड़ने का क्या तुक है? क्या रेप से जुड़े आरोप हैं? कोर्ट ने आरोपियों को अग्रिम जमानत दे दी।