संगरूर लोकसभा उपचुनाव को जीतकर सांसद बने शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) के सिमरनजीत सिंह मान ने भगत सिंह को आतंकवादी कहा है। मान खालिस्तान समर्थक हैं। उन्होंने पत्रकारों के सवाल का जवाब देते हुए कहा है, सरदार भगत सिंह ने एक युवा अंग्रेज अधिकारी को मारा था, उन्होंने एक अमृतधारी सिख कांस्टेबल चन्नन सिंह की हत्या की थी। उन्होंने उस समय नेशनल असेम्बली में बम फोड़ा था। अब आप मुझे बताइये कि भगत सिंह आतंकवादी थे या नहीं। मान के इस बयान से बवाल मच गया है। आइए जानते हैं खालिस्तान मूवमेंट से जुड़े ज्यादातर लोग भगत सिंह को पसंद क्यों नहीं करते?

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वैचारिक मतभेद : ‘आप धर्म के मिशनरी हैं तो मैं धर्म हीनता का प्रचारक हूँ।’ यह भगत सिंह के शब्द हैं, जो उन्होंने अपने लेख ‘धर्म और हमारा स्वतंत्रता संग्राम’ में लिखा था। यह लेख मई, 1928 के ‘किरती’ अखबार में छपा था। भगत सिंह ने जेल में रहते हुए ‘मैं नास्तिक क्यों हूं’ शीर्षक से एक अन्य लेख भी लिखा था। उसमें उन्होंने एक जगह लिखा है, ईश्वर में विश्वास और रोज़-ब-रोज़ की प्रार्थना को मैं मनुष्य के लिये सबसे स्वार्थी और गिरा हुआ काम मानता हूँ। स्पष्ट है कि भगत सिंह नास्तिक और मार्क्सवादी विचारधारा से ओत-पोत थे। उन्होंने सभी धर्मों की जमकर मुखालफत की। वह धार्मिक पहचान को तवज्जो देने के खिलाफ, एक भेदभाव रहित समतामूलक समाज का सपना देखने वाले युवा थे।

वहीं दूसरी तरफ भिंडरांवाले को अपना आदर्श मानने वाले सिमरनजीत सिंह मान और अन्य खालिस्तान समर्थक धर्म के नाम पर धर्मनिरपेक्ष भारत को तोड़कर अलग मुल्क बनाने की ख्वाहिश रखते हैं। उनके लिए धार्मिक पहचान और उससे जुड़ा कर्मकांड ही सर्वोपरि हैं। ऑपरेशन ब्लूस्टार के विरोध में सिमरनजीत सिंह ने आईपीएस अधिकारी की नौकरी छोड़ दी थी। खालिस्तान से जुड़े कई मामलों में उनका नाम आया था, जिसमें इंदिरा गांधी की हत्या की साजिश का मामला भी शामिल है। मान को पांच साल की जेल भी हो चुकी है।

कौन थे चन्नन सिंह? : सिमरनजीत सिंह मान ने अंग्रेज अधिकारी और चन्नन सिंह की हत्या के लिए भगत सिंह को आतंकवादी कहा। मान को जिस अंग्रेज अधिकारी की हत्या का दुख है, उनका नाम जॉन सांडर्स  था। क्रांतिकारियों ने लाहौर में सांडर्स की हत्या लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए किया था। सांडर्स सहायक पुलिस अधीक्षक थे।

इस कार्रवाई को भगत सिंह ने राजगुरु के साथ मिलकर अंजाम दिया था, जिसमें चंद्रशेखर आजाद ने भी उनकी सहायता की थी। सांडर्स पर गोली चलाने के बाद सभी क्रांतिकारी वहां भाग रहे थे, तभी सिपाही चन्नन सिंह उनका पीछा किया। भगत सिंह और उनके साथी चन्नन सिंह को नहीं मारना चाहते थे, इसलिए उन लोगों ने उन्हें लौट जाने की चेतावनी दी। लेकिन अंग्रेजों के वफादार सिपाही चन्नन सिंह नहीं मानें और मजबूरन आजाद को उन पर गोली चलानी पड़ी।

सिमरनजीत सिंह मान को चन्नन सिंह की हत्या का इसलिए दुख है क्योंकि वह अमृतधारी सिख थें। अमृतधारी सिख उन्हें कहा जाता है, जो पांच ककार यानी कंघा, कड़ा, कच्छहरा (कच्छा), कृपाण और केस (बाल) धारण करते हैं। ये अतिधार्मिक होते हैं और तमाम धार्मिक नीतियों का कड़ाई से पालन करते हैं। मान दक्षिणपंथी सिख विचारधारा के समर्थक हैं। यही वजह है कि वह अमृतधारी चन्नन सिंह की हत्या के लिए नास्तिक भगत को आतंकवादी कह रहे हैं।

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First published on: 17-07-2022 at 16:39 IST