संदेशखली में तृणमूल कांग्रेस (TMC) के कद्दावर नेता शाहजहां शेख को पश्चिम बंगाल पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। ED की छापेमारी के बाद वह 55 दिनों से फरार चल रहा था। शेख और उसके सहयोगी भूमि कब्जा और यौन उत्पीड़न के मामलों में मुख्य आरोपियों में से एक हैं। इन सभी का नाम उत्तर 24 परगना जिले के संदेशखाली में हिंसक विरोध प्रदर्शन के बाद सामने आया था।
शेख गिरफ्तारी कलकत्ता उच्च न्यायालय द्वारा यह स्पष्ट किए जाने के कुछ दिनों बाद हुई कि शेख की गिरफ्तारी पर कोई रोक नहीं है। हाईकोर्ट ने बताया कि उनसे केवल 7 फरवरी को एकल न्यायाधीश द्वारा दिए आदेश पर रोक लगाई थी। हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान पीठ ने शेख को गिरफ्तार करने में विफल रही राज्य सरकार को फटकार भी लगाई थी।
कौन है टीएमसी का कद्दावर नेता शाहजहां शेख?
पिछले 10 वर्षों में शाहजहां शेख टीएमसी में बड़ा नाम होता गया है। बंगाल में ममता बनर्जी के सत्ता में आने के दो साल बाद साल 2013 में शेख पार्टी में शामिल हुआ था। 2018 में वह पंचायत का उपप्रधान बना और पार्टी में उसका कद बढ़ना शुरू हुआ। शेख टीएमसी की संदेशखाली इकाई का सभापति था। पिछले साल उसने जिला परिषद सीट जीती थी। वह उत्तर 24 परगना के ‘मत्सा कर्माध्यक्ष’ यानी जिले के मत्स्य विकास का भी प्रभारी है।
यह नियुक्ति कोई आश्चर्य की बात नहीं थी क्योंकि शेख के पास सुंदरबन क्षेत्र में पड़ने वाली कई मत्स्य पालन इकाइयों के साथ-साथ ईंट भट्टों का भी स्वामित्व है। एक सूत्र ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “शेख कई ईंट भट्ठों का मालिक है और 200 बीघे से अधिक के मत्स्योद्योग पर उसका नियंत्रण हैं। इसके अलावा वह लोकल होलसेल फिश मार्केट को भी कंट्रोल करता है। उसके पास बेबी झींगा का प्रोसेसिंग सेंटर भी है, जिसे वह पूरे बंगाल में मछली पालन करने वाले किसानों तक पहुंचाता है।”

एक अन्य सूत्र ने कहा कि शेख के दबदबे का कारण “भय और सम्मान दोनों” है, साथ ही वरिष्ठ टीएमसी नेताओं, विशेषकर ज्योतिप्रिय मल्लिक के साथ उनकी निकटता भी है। यही वह चीज़ है जिसने उसकी तथाकथित न्याय प्रणाली को बचाए रखा है।
एक स्थानीय ने बताया, “पारिवारिक झगड़ों से लेकर ज़मीन के विवादों तक, लोग अब पुलिस या अदालतों से ज़्यादा उन्हीं (शेख) की ओर रुख करते हैं। वह ऐसे मामलों को पार्टी कार्यालय या पंचायत कार्यालय में सुलझाते हैं।
हालांकि, टीएमसी के कद्दावर नेता के लिए राजनीतिक विवाद कोई नई बात नहीं है क्योंकि जून 2019 में पिछले लोकसभा चुनावों के ठीक बाद, भाजपा और टीएमसी कार्यकर्ता संदेशखाली में भिड़ गए थे। झड़प में एक भाजपा कार्यकर्ता और एक टीएमसी कार्यकर्ता की मौत हो गई। हत्या के मामले दर्ज प्राथमिकी में नामित लोगों में शेख का नाम भी शामिल था। बाद में पुलिस ने अदालत में जो आरोप पत्र दाखिल किया, उसमें से उनका नाम हटा दिया गया।