बाबरी विध्वंस (6 दिसंबर, 1992) के 13 साल बाद लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों ने अयोध्या में हमला किया था। आतंकी हमला 5 जुलाई 2005 को सुबह में हुआ था। आतंकियों का निशाना विवादित स्थल (तब) पर बना अस्थायी राम मंदिर था।
छह की संख्या में आतंकी नेपाल के रास्ते भारत में दाखिल हुए थे। अयोध्या की ओर बढ़ते हुए उन्होंने खुद को राम भक्त बताया था। आतंकियों ने अयोध्या का तीर्थयात्री होने का नाटक किया, जो ‘भगवान राम’ के ‘जन्मस्थान’ तक जाना चाहते थे।
आतंकवादी अकबरपुर से एक टाटा सूमो में सवाल होकर अयोध्या पहुंचे थे। अकबरपुर उत्तर प्रदेश के अंबेडकरनगर जिले का एक छोटा सा शहर है।
एक आतंकी ने खुद को बैरिकेड पर ही उड़ा लिया
1992 में बाबरी मस्जिद गिराए जाने के बाद वहां राम की एक अस्थायी मंदिर बना दिया गया था। आतंकियों की गाड़ी का चालक रेहान आलम अंसारी बाद में मामले का मुख्य गवाह बन गया था।
मंदिर के पास पहुंचने के बाद हथियारबंद आतंकवादियों ने ड्राइवर को एसयूवी से बाहर निकाला और उसे बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि परिसर के अंदर सीता रसोई के पास सुरक्षा घेरे की ओर ले गए।
अंसारी ने जांचकर्ताओं को बताया कि उसे पांच आतंकवादियों ने अपने साथ वाहन से उतरने के लिए मजबूर किया गया। छठे आतंकवादी ने सुरक्षा को भेदने के लिए सुबह करीब नौ बजे पहले बैरिकेड पर खुद को उड़ा लिया।
मंदिर पर फेंके हथगोले, दागे रॉकेट
अन्य पांच बंदूकधारी हथगोले फेंकते और अपनी ऑटोमेटिक राइफलों से गोलीबारी करते हुए सीता रसोई की ओर भागे। आतंकी हमले में तीर्थयात्री रमेश पांडे और शांति देवी की मौत हो गई। आतंकी मंदिर तक पहुंचना चाहते थे।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, तीन आतंकियों ने अस्थायी मंदिर पर हथगोले फेंके और रॉकेट भी दागे लेकिन कामयाब नहीं हो सके। उधर पहले ही विस्फोट के बाद सुरक्षा तैनात जवानों के कान खड़े हो गए थे।
हरकत में आए सुरक्षाकर्मी
यूपी की प्रांतीय सशस्त्र कांस्टेबुलरी (पीएसी) और सीता रसोई के पास तैनात सीआरपीएफ तुरंत हरकत में आ गई। 90 मिनट के ऑपरेशन में सभी पांच आतंकवादियों को मार गिराया गया।
मुठभेड़ सीता रसोई से बमुश्किल 70 मीटर की दूरी पर हुई। ऑपरेशन खत्म होने के बाद सुरक्षाकर्मियों को पता चला कि एक आतंकवादी ने अपने शरीर पर विस्फोटक बांध रखा था। इस तरह वह आतंकी हमला अंततः टल गया था। हालांकि हमले में सुरक्षाबल के तीन जवान घायल हो गए थे।
सभी को उम्र कैद की सजा
अयोध्या आतंकी हमले की योजना में शामिल शकील अहमद, मोहम्मद नसीम, आसिफ इकबाल और डॉक्टर इरफान को एक विशेष अदालत ने साल 2019 में उम्र कैद की सजा सुनाई थी। इन सभी में से केवल डॉक्टर इरफान ही उत्तर प्रदेश के सहारनपुर का निवासी है, बाकि सभी जम्मू-कश्मीर के पुंछ के रहने वाले हैं।
आतंकी हमले के बाद हुई पुलिस जांच में पांच लोगों – डॉ. इरफान, आसिफ इकबाल उर्फ फारूक, शकील अहमद, मोहम्मद नसीम और मोहम्मद अजीज को हमले की साजिश रचने और मारे गए जैश आतंकवादियों को रसद और सामग्री सहायता प्रदान करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
मोहम्मद अजीज को अदालत ने सबूतों के अभाव में छोड़ दिया था। मामले की सुनवाई नैनी सेंट्रल जेल के अंदर हुई जहां आरोपी बंद थे। अयोध्या में स्थानीय लोगों के विरोध के बाद 2006 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्देश पर मामले की सुनवाई को अयोध्या से इलाहाबाद स्थानांतरित कर दिया गया था।
सरकारी वकील गुलाब अग्रिहरि के मुताबिक, टाटा सूमो में आतंकी हमले में इस्तेमाल किए गए हथियार कश्मीर से यूपी के अलीगढ़ लाए गए थे। अभियोजन पक्ष के मुताबिक हथियार रखने के लिए वाहन में एक विशेष कैविटी बनाई गई थी।
निर्माणाधीन राम मंदिर का अपडेट
अयोध्या (UP) में राम मंदिर निर्माण के पहले चरण के काम को अंतिम रूप दिया जा रहा है। 22 जनवरी, 2024 को राम की प्रतिमा का प्राण प्रतिष्ठा होना है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय के मुताबिक, रामलला (राम का बालरूप) की प्रतिमा को 18 जनवरी को ही गर्भगृह में पहुंचा दिया जाएगा। मूर्ति का वजन 150 से 200 किलो है। 23 जनवरी, 2024 से आम लोगों को मंदिर में दर्शन के लिए जा सकेंगे।