राजीव गांधी के प्रधानमंत्री रहते हुए ही शरद पवार दूसरी बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने थे। राजीव गांधी ने ही उन्हें गोवा से बुलाकर सीएम का पद संभालने के लिए कहा था। शरद पवार अपनी आत्मकथा ‘अपनी शर्तों पर’ में लिखते हैं कि पूरे कार्यकाल के दौरान राजीव गांधी के साथ उनके संबंध बहुत मधुर रहे। पवार 1989 की एक रोचक घटना भी याद करते हैं, जब राजीव गांधी ने उन्हें एक छोटे हवाई जहाज की यात्रा कराई थी।

अचानक हवाई जहाज में बैठने को कहा

यह साल 1989 की बात है। राज्य की कमान तब शरद पवार के पास थी। राजीव गांधी महाराष्ट्र में चुनाव अभियान के लिए आए थे। शोलापुर में अंतिम चुनावी सभा थी, जिसे संबोधित करने के बाद राजीव गांधी को निकल जाना था। सभा खत्म होने के बाद राजीव गांधी ने शरद पवार को एक छोटे हवाई जहाज में बैठने को कहा। वह हवाई जहाज मध्य प्रदेश में महोवा जा रहा था।

बकौल शरद पवार वह जहाज में नहीं बैठना चाहते थे। उन्होंने बात टालने के लिए राजीव गांधी को बताया कि अगले दिन महाराष्ट्र में कुछ महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम हैं, इसलिए वह नहीं जा सकते। लेकिन प्रधानमंत्री ने उनकी एक न सुनी। उन्होंने शरद पवार की बात को किनारे करते हुए कहा कि वह कुछ खास बातें करना चाहते हैं और आश्वासन दिया कि समय से वापस हवाई जहाज से भेज देंगे। वह शरद पवार के पास कोई विकल्प ना था, उन्हें बैठना ही पड़ा।

खतरे वाला रास्ता लिया

शरद पवार उस घटना को याद करते हुए लिखते हैं, “वह (राजीव गांधी) पायलट सीट पर बैठ गए और मुझे अपने बगल में बिठा लिया। हम लोग बात करते जा रहे थे। बीच-बीच में राजीव हमें फ्लाइट का रास्ता भी बताते जाते। थोड़ी देर बाद मैंने महसूस किया कि उन्होंने रास्ता बदल दिया है। राजीव गांधी ने कहा कि हम लोग एक शॉर्टकट ले रहे हैं ताकि जल्दी पहुंच सकें।”

यह सुनकर शरद पवार ने पूछा, “हम लोगों को पूर्व निर्धारित मार्ग से अलग मार्ग पर नहीं जाना चाहिए। क्या हम गलत नहीं कर रहे हैं? राजीव गांधी ने कहा, ‘मैं जानता हूं। हम लोग थोड़ा खतरा मोल ले लेते हैं ।”

पवार ने फिर पूछा अगर कुछ अनपेक्षित घट जाए तो? राजीव ने कहा- ‘हम इसका मुकाबला करेंगे।’ इस पर पवार ने चुटकी लेते हुए कहा, ‘यह आपके लिए तो ठीक हो सकता है, लेकिन मेरे ऊपर घरेलू जिम्मेदारियां भी हैं।’

पवार लिखते हैं, “इस बात पर हम दोनों ठहाका मार कर हंसे। इसके बाद महोवा में हवाई जहाज अच्छे ढंग से जमीन पर उतरा। कुल मिलाकर राजीव गांधी वर्षों तक एक सफल पाइलट रहे थे। लौटते समय मैं अपने परम्परागत साधनों से लौटा और अपने घरेलू व सरकारी कार्यक्रमों में भूमिका निभाने लगा।”

जब सीएम बनने के लिए राजीव गांधी ने बुलाया

साल 1988 की बात है। शरद पवार गोवा में छुट्टी मना रहे थे। एक दिन सुबह के चार बजे उन्हें प्रधानमंत्री राजीव गांधी का फोन आया। राजीव गांधी ने पूछा, ‘तुम क्या कर रहे हो ?’ शरद पवार ने मजाक करते हुए कहा, ‘अरे भाई, सुबह के चार बजे कोई क्या करेगा, सोएगा?’

राजीव गांधी ने शरद पवार को बताया कि वह अपने कार्यालय में हैं और काम कर रहे हैं। इस पर पवार ने कहा, “आप प्रधानमंत्री हैं, आपके पास चुनाव करने का अवसर नहीं है। मैं एक स्वतंत्र पक्षी हूं।” खैर कुछ देर इधर-उधर की बात करने के बाद राजीव गांधी ने उन्हें शाम तक दिल्ली पहुंचने को कहा।

चूंकि गोवा से दिल्ली की उस समय कोई फ्लाइट नहीं थी इसलिए उन्हें मुंबई होकर दिल्ली जाना पड़ा। जैसे ही वह मुम्बई हवाई अड्डे पर उतरे। उन्होंने ध्यान दिया कि दो-तीन उच्च पुलिस अधिकारी उनके पीछे-पीछे चल रहे हैं। वे उनके साथ उस टर्मिनल तक गए जहां से उन्हें दिल्ली की फ्लाइट पकड़नी थी।

पवार लिखते हैं, “मैं मुम्बई से नई दिल्ली के लिए जहाज से रवाना हो गया। चूंकि मैं गृहमंत्री रह चुका था इसलिए मैं प्रोटोकॉल आदि की औपचारिकताओं से भली प्रकार परिचित था। मुझे कुछ-कुछ अनुमान हो रहा था कि मुझसे महाराष्ट्र राज्य का नेतृत्व संभालने को कहा जा सकता है।” आधी रात से थोड़ा पहले पवार की राजीव गांधी से मुलाकात हुई। उन्होंने दूसरे दिन शाम 4 बजे तक उन्हें सीएम पद की शपथ लेने को कहा। इस तरह 24 जून 1988 को शरद पवार दूसरी बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने।