साल 1976 में बना नोएडा आज उत्तर प्रदेश का सबसे विकसित शहर बन गया है और देश के विकसित शहरों में भी शुमार है। यहां हर क्षेत्र से जुड़ी दिग्गज हस्तियों ने अपना आशियाना बना रखा है। लेकिन, भ्रष्टाचार की वजह से नोएडा पुराने समय से बदनाम रहा है। नोएडा अथॉरिटी में भ्रष्टाचार से जुड़ी एक आपबीती देश की पहली महिला चीफ जस्टिस लीला सेठ ने आत्मकथा में बयां की है।
पहले लीला सेठ का परिचय
लीला सेठ दिल्ली हाई कोर्ट की पहली महिला जज थीं। वह भारत के किसी हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस की कुर्सी पर बैठने वाली पहली महिला जज थीं। वह दुनिया भर में नाम कमाने वाले उपन्यासकार विक्रम सेठ की मां थीं। लीला सेठ का जन्म 20 अक्तूबर, 1930 को हुआ और 2017 में 5 मई को उन्होंने दुनिया को अलविदा कहा।
अब नोएडा अथॉरिटी में भ्रष्टाचार से जुड़ी उनकी आपबीती
लीला सेठ वर्ष 1990 के आसपास नोएडा में मकान बनवा रही थीं। जब घर बन गया तो नियम के मुताबिक नोएडा अथॉरिटी से समापन प्रमाणपत्र (completion certificate) लेना था। लेकिन, सेठ को यह नहीं मिला। वजह यह थी कि अथॉरिटी के अफसर घूस मांग रहे थे और सेठ इसके लिए तैयार नहीं थीं।
लीला सेठ ने आत्मकथा ‘अपना घर और अदालत’ में जो बताया
पेंग्विन बुक्स से प्रकाशित आत्मकथा ‘घर और अदालत’ में लीला सेठ ने ‘अपना घर’ नाम से एक अध्याय लिखा है। इसमें उन्होंने जहां दिल्ली के बजाय नोएडा में अपना आशियाना बनवाने की वजह बताई है, वहीं Completion Certificate लेने में हुई परेशानी का भी विस्तार से ब्योरा दिया है।

पूर्व जज हैं तो क्या हुआ?
लीला सेठ लिखती हैं कि नोएडा अथॉरिटी के अफसरों ने उनके आर्किटेक्ट के जरिए Completion Certificate देने के लिए रिश्वत की मांग की। रिश्वत मिलने पर बिना किसी औपचारिकता के सीधे Completion Certificate देने की बात कह रहे थे। लेकिन, सेठ ने यह पेशकश ठुकरा दी और अधिकारियों को संदेश भिजवाया कि वह दिल्ली हाईकोर्ट की पूर्व जज हैं और ऐसी बेवकूफियां बर्दाश्त नहीं करेंगी।
यह दिल्ली नहीं, उत्तर प्रदेश है
सेठ के संदेशे का अफसरों पर कोई असर नहीं हुआ। उल्टा उनकी ओर से संदेश आया कि वह अपने आप को समझती क्या हैं? वे (नोएडा अथॉरिटी वाले) कैबिनेट सचिवों, उच्चायुक्तों, राजदूतों और ऐसी अन्य जानी-मानी हस्तियों से पैसे वसूल चुके हैं और दूसरी बात यह है कि यह दिल्ली नहीं, उत्तर प्रदेश है।
इसके बाद भी सेठ रिश्वत के लिए नहीं मानीं। महीनों की खींचतान के बाद अफसर सेठ के घर का मुआयना करने आए। हर तरह से जांच कर लेने के बाद भी जब उन्हें ऐतराज जताने लायक कोई चीज नहीं मिली तो उन्होंने दोबारा नाप-जोख शुरू किया। इस दौरान उन्होंने एक शॉफ्ट में खामी निकाल दी और कहा कि शॉफ्ट निर्धारित मापदंड से साढ़े तीन इंच छोटा है।
सेठ को अपने आर्किटेक्ट पर बड़ा गुस्सा आया, क्योंकि उसे कहा गया था कि वह हर तरीके से नियम का पालन करते हुए निर्माण कराए और उसने ऐसा ही करने का भरोसा भी दिलवाया था। आर्किटेक्ट ने बताया कि यह कोई गंभीर मसला नहींं है, बल्कि कंडोनेबल है और मामूली जुर्माना भर कर सब ठीक हो जाएगा। लेकिन, नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों का कहना था कि दिल्ली में यह ‘कंडोनेबल’ मसला हो सकता है, लेकिन यहां ऐसा नहीं है। अफसरों ने कहा कि दीवार तोड़नी होगी। साथ ही, यह भी बता दिया कि दूसरा विकल्प (घूस देकर सर्टिफिकेट लेने का) हमेशा खुला है।
सेठ बताती हैं कि उन्हें अफसरों के रवैये पर बड़ा गुस्सा आया और उन्होंने दीवार तोड़ कर बनाने का फैसला किया। उनके आर्किटेक्ट ने बताया कि अफसर पांच हजार रुपए घूस मांग रहे हैं, दीवार तोड़ कर बनाने में दोगुना खर्च आएगा। फिर भी सेठ ने दीवार तोड़ कर बनवाने का फैसला किया।
आनन-फानन में दीवार तोड़ कर खामी सुधारी गई। पर, अब अधिकारी निरीक्षण के लिए आने को ही तैयार नहीं हो रहे थे। सेठ लिखती हैं- उन्हें फिर से मुआयना करने के लिए राजी करने में महीनों लग गए, इसके बाद जाकर मुझे अनापत्ति प्रमाणपत्र मिल सका। लेकिन इन सारी प्रकिया में एक साल से ज्यादा का समय लग गया।
सेठ ने पूछा है बड़ा सवाल
इस आपबीती को बयां करते हुए लीला सेठ ने एक सवाल भी पूछा है- इस तरह की परेशानियों से बचने के लिए अगर कोई घूस देकर पीछा छुड़ा लेता है तो क्या उसे दोष दिया जा सकता है?
नोएडा में कई सेलेब्स के घर
सचिन तेंदुलकर, कपिलदेव, महेंद्र सिंह धौनी, सुरेश रैना, एक्टर अमन वर्मा, कविता कौशिक, करण सिंह ग्रोवर, तापसी पन्नू, गुल पनाग, सिंगर मीका जैसी कई हस्तियों ने नोएडा में रिहाइशी प्रॉपर्टी खरीदी हुई है। क्रिकेट और फिल्म के अलावा भी अन्य क्षेत्रों के कई बड़े दिग्गजों का आशियाना इस शहर में है।
नोएडा अथॉरिटी का राजस्व
नोएडा न केवल रिहाइश के लिहाज से, बल्कि निवेश के लिए भी लोगों की प्राथमिकता में शुमार है। तभी तो साल 2022-23 में नोएडा अथॉरिटी का राजस्व 6,456 करोड़ रुपए रहा। साल 2023-24 के लिए नोएडा अथॉरिटी का बजट 6,503 करोड़ रुपए का और राजस्व का लक्ष्य 6,920 करोड़ रुपए का है।