पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया वाईवी चंद्रचूड़ (Former CJI YV Chandrachud) के जज बनने की कहानी दिलचस्प है। जस्टिस चंद्रचूड़ 19 मार्च 1961 को बॉम्बे हाई कोर्ट का जज बने थे। उस वक्त उनकी उम्र महज 40 साल थी। लेकिन बॉम्बे हाई कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस एचके चेनानी की चलती तो जस्टिस चंद्रचूड़ उस वक्त जज नहीं बन पाते। पूर्व सीजेआई वाईवी चंद्रचूड़ के पोते अभिनव चंद्रचूड़ ने अपनी किताब Supreme Whispers में इस मुद्दे पर विस्तार से लिखा है। वह लिखते हैं बॉम्बे हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस चेनानी ने तत्कालीन चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बीपी सिन्हा के एक भाषण को आधार बनाकर जस्टिस चंद्रचूड़ की नियुक्ति रोक दी थी।
क्या है पूरा वाकया?
एडवोकेट अभिनव चंद्रचूड़ लिखते हैं कि उन दिनों चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बीपी सिन्हा बॉम्बे हाई कोर्ट के एक कार्यक्रम में शामिल होने आए थे। उन्होंने अपने भाषण में कहा कि जब तक कोई एडवोकेट कम से कम 45 साल का न हो जाए, उसे जज बनाना उचित नहीं है। CJI सिन्हा ने बार से बेंच में नियुक्ति को लेकर बस अपनी राय रखी थी, लेकिन बॉम्बे हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस एचके चेनानी ने इसे एक अलिखित नियम मान लिया और वाईवी चंद्रचूड़ का नाम जज के लिए प्रस्तावित करने से इनकार कर दिया।
अभिनव लिखते हैं कि, ‘तथ्य यह है जस्टिस चंद्रचूड़ का नाम प्रस्तावित करने से ठीक पहले पीएन भगवती जज बने थे और उनकी उम्र महज 38 साल थी। लेकिन चीफ जस्टिस ने भगवती के नाम पर कोई आपत्ति नहीं जताई थी। बाद में जब सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन जज पीबी गजेंद्रगाडकर को पता चला कि चीफ जस्टिस चेनानी ने CJI के भाषण को आधार बनाते हुए चंद्रचूड़ का नाम प्रस्तावित नहीं किया तो उन्होंने सीजेआई से यह बात बताई।
CJI ने फौरन चंद्रचूड़ का नाम भेजने को कहा
जब जस्टिस पीबी गजेंद्रगाडकर से सीजेआई सिन्हा को यह बात पता चली तो उन्होंने जस्टिस गजेंद्रगाडकर से कहा कि वह फौरन चेनानी से कहें कि वह बिना किसी देरी के वाईवी चंद्रचूड़ का नाम जज के लिए प्रस्तावित करें। आखिरकार चीफ जस्टिस के हस्तक्षेप के बाद वाई चंद्रचूड़ बॉम्बे हाईकोर्ट के जज बने। आपको बता दें जस्टिस चंद्रचूड़ 27 अगस्त 1972 तक बॉम्बे हाई कोर्ट के परमानेंट जज रहे। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट आ गए। यहीं देश के 16वें चीफ जस्टिस बने और 1978 से 1985 तक सेवा दी।
मौजूदा चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ के ही बेटे हैं। उन्होंने भी अपने पिता की तरह बॉम्बे हाईकोर्ट से वकालत शुरू की थी और सबसे पहले यहीं जज बने थे।