15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हुआ और जवाहरलाल नेहरू देश के पहले प्रधानमंत्री बने। उस वक्त टाटा संस के डायरेक्टर नवल टाटा भारतीय हॉकी फेडरेशन के अध्यक्ष हुआ करते थे और उनकी दिली इच्छा थी कि भारत की टीम 1948 के लंदन ओलंपिक में हिस्सा ले। लेकिन टीम को लंदन भेजने के लिए पर्याप्त पैसा ही नहीं था और काफी कोशिश के बावजूद फंड इकट्ठा नहीं हो पा रहा था। समय तेजी से बीतता जा रहा था। नवल टाटा जद्दोजहद कर रहे थे और एक दिन लॉर्ड माउंटबेटन से मिलने पहुंच गए। माउंटबेटन ने उन्हें सलाह दी कि वे इस मामले को प्रधानमंत्री नेहरू के सामने रखें।
पंडित नेहरू ने दिया रात 10 बजे का समय
नवल टाटा ने पंडित नेहरू से मिलने का समय मांगा। चूंकि आजादी के बाद पंडित नेहरू काफी व्यस्त चल रहे थे, ऐसे में उन्होंने नवल टाटा को मिलने के लिए रात 10 बजे का समय दिया। हरीश भट्ट, पेंगुइन से प्रकाशित अपनी किताब ”टाटा स्टोरीज” में लिखते हैं कि जवाहरलाल नेहरू दिनभर राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर चर्चा और दिमाग खपाने के बाद बेहद चिड़चिड़े मन से नवल टाटा से मिलने पहुंचे। उन्हें लग रहा था कि तमाम राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों के बीच अब हॉकी पर बात करनी पड़ेगी।
टीम ने भेजें तो क्या हो जाएगा?
हरीश भट्ट लिखते हैं कि बातचीत शुरू होते ही जवाहरलाल नेहरू ने टाटा से कहा कि यदि हम अपनी टीम ओलंपिक में ना भेजें तो क्या हो जाएगा? पहले तो टाटा, पंडित नेहरू की बात सुनकर दंग रह गए। फिर इस बात से सहमत हो गए कि टीम भेजना जरूरी नहीं है। लेकिन उन्होंने कहा, ”यह विडंबना नहीं होगी कि आजादी के बाद पहली सरकार गठन के ठीक बाद हम वैश्विक खिताब की रक्षा के लिए अपनी टीम ना भेजें? जब कि गुलामी के दौर में भी 25 साल से हम खिताब जीतते आ रहे हैं और उसे बरकरार रखा…’।
PM ने दिये एक लाख रुपये
नवल टाटा की बात सुनकर प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू कुछ देर चुप हो गए और सोचने लगे। थोड़ी देर बाद उनका रुख बदल गया। उन्होंने भारतीय टीम को ओलंपिक में भेजने की हामी भर दी। साथ ही 1 लाख रुपये की राशि भी मंजूर कर दी, जो उस समय बड़ी रकम हुआ करती थी। पंडित नेहरू ने फंड जुटाने के लिए एक खेल उत्सव का आयोजन भी कराया।
गोल्ड मेडल जीत रच दिया था इतिहास
सरकारी सहायता और खेल उत्सव से इकट्ठा फंड से भारतीय टीम के पास पर्याप्त रकम इकट्ठा हो गई और लंदन जाने में सफल रही। हॉकी टीम ने जीत भी दर्ज की। 1948 में स्वतंत्र भारत की टीम ने लंदन ओलंपिक में अपना पहला स्वर्ण पदक हॉकी में ही जीता था। यह सिलसिला अगले दो ओलंपिक में भी जारी रहा है और दोनों में गोल्ड मेडल जीतकर रिकॉर्ड बना दिया था।