लोकसभा चुनाव से पहले हरियाणा में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर समेत पूरे कैबिनेट ने इस्तीफा दे दिया है। नए कैबिनेट के साथ भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवं कुरुक्षेत्र से सांसद नायब सैनी में शाम पांच बजे शपथ लेगें। नई कैबिनेट में जननायक जनता पार्टी (जजपा) कोई नेता नहीं होगा।

बताया जा रहा है कि भाजपा मंत्रिमंडल में कुछ निर्दलीय विधायकों को जगह देकर उनका समर्थन लेगी। इसका मतलब यह हुआ की दुष्यंत चौटाली की पार्टी जजपा और भाजपा का गठबंधन टूट गया है।

राज्य की इस राजनीतिक हलचल के बीच चौटाला परिवार के इतिहास को याद करना मौजू हो जाता है। दुष्यंत चौटाला हरियाणा के पांच बार के मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला के पोते और भारत के छठे उप-प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल के परपोते हैं।

दिलचस्प है दुष्यंत चौटाला के दादा की कहानी

पांच बार हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे ओम प्रकाश चौटाला को साल 2013 में जूनियर बेसिक टीचर्स घोटाला मामले में 10 साल की सजा हुई थी।

चौटाला का जीवन आसान हो सकता था। लेकिन कहा जाता है कि उन्होंने खुद कई मौकों पर अपने जीवन को कठिन बनाया। बचपन में उन्होंने स्कूल की पढ़ाई पूरी नहीं की। स्कूल ड्रॉपआउट रहे। लेकिन बुढ़ापे में जेल जाने के बाद उन्होंने सलाखों के पीछे से ही 10वीं और 12वीं की परीक्षा पास की।

ओम प्रकाश चौटाला अक्सर अपनी हरकतों से पिता देवीलाल के गुस्सा का शिकार होते थे। साल 1978 की बात है, ओपी चौटाला जापान एयरलाइंस की फ्लाइट से दक्षिण पूर्व एशिया में एक सम्मेलन के लिए गए थे। 22 अक्टूबर, 1978 को जब वह दिल्ली पहुंचे तो हवाई अड्डे पर उनकी बैग से 48 कलाई घड़ियां निकलीं।

देखते ही देखते हरियाणा के एक सम्मानित राजनीतिक परिवार का लड़का ‘तस्कर’ कहा जाने लगा। अपने बेटे की इस हरकत से देवीलाल इतने नाराज हुए कि उन्होंने ओपी चौटाला को परिवार से निकाल दिया।

हालांकि, साल 1989 में जब देवीलाल को उप-प्रधानमंत्री बनने के लिए हरियाणा के सीएम का पद छोड़ना था, तो उन्होंने अपनी कुर्सी बड़े पुत्र ओम प्रकाश चौटाला को ही सौंपी।

लड़कियों को रेप से बचाने के लिए बताया था अजीब ‘उपाय’

अक्टूबर 2012 में खाप पंचायतों ने लड़कियों की शादी की उम्र 18 से 16 साल करने की विचित्र मांग की थी। उनका तर्क था कि इससे बलात्कार के मामलों पर अंकुश लगेगा। ओपी चौटाला ने खाप की इस मांग समर्थन किया था। हालांकि, अगले ही दिन उन्होंने अपना बयान वापस ले लिया था।

भाजपा ने क्यों तोड़ा जजपा से गठबंधन?

पिछले कुछ समय से भाजपा और जजपा में लोकसभा चुनाव के लिए सीट बंटवारे पर बातचीत अटकी थी। दुष्यंत चौटाला अपनी पार्टी जजपा के लिए हरियाणा की 10 में से दो सीट चाहते थे। लेकिन भाजपा सभी सीटों पर अकेले लड़ने के मूड में है। बता दें कि 2019 के विधानसभा चुनावों में भाजपा को बहुमत नहीं मिला था। ऐसे में पार्टी ने चुनाव पूर्व जजपा से गठबंधन किया और सरकार बनाई थी।

हरियाणा विधानसभा में कुल 90 सीटें हैं। भाजपा के पास 41 विधायक हैं, इसके अलावा पार्टी को 5 निर्दलीय और विधायक गोपाल कांडा का साथ प्राप्त है। वहीं जजपा के पास 10 विधायक हैं और कांग्रेस के पास 30 विधायक हैं।