दूसरी बार प्रधानमंत्री बने अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार 17 अप्रैल 1999 को एक वोट से गिर गई। 26 अप्रैल 1999 को लोकसभा भंग कर दी गई। फिर मध्यावधि चुनाव हुए। अक्टूबर 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी ने तीसरी बार प्रधानमंत्री पद संभाला।

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वाजपेयी की पिछली दो सरकारों ने 13 दिन और 13 महीनों में ही गठबंधन की उठा-पटक से दम तोड़ दिया था। लेकिन मध्यावधि चुनाव के बाद हासिल हुआ बहुमत भारतीय जनता पार्टी के लिए संतोषजनक था। पार्टी को पिछली बार से तीन अधिक कुल 182 सीटों पर जीत मिली थी।

सत्तारूढ़ गठबंधन के पास बहुमत से 27 सीटें अधिक थी। और भाजपा के लिए सोने पर सुहागा यह कि कोई भी सहयोगी दल अकेले सरकार गिराने की स्थिति में नहीं था। हालांकि वाजपेयी सरकार को तनाव से मुक्ति तब भी नहीं मिली थी। पिछली सरकार में पूरे समय जयललिता का हंगामा रहा। इस सरकार में तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता बनर्जी नाराज़ होती रहीं।

आठ सांसद तीन मंत्रालय

ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा थी। उनके आठ सांसदों ने सरकार को समर्थन दिया था, बदले में तृणमूल को तीन मंत्रालय मिले थे। ममता बनर्जी खुद रेल मंत्री बनी थीं। वह अकेले सरकार तो नहीं गिरा सकती थीं, लेकिन आए दिन उनके तेवरों से वाजपेयी परेशान जरूर रहते थे। हालांकि जयललिता के विपरीत वह ममता बनर्जी को मनाने में कामयाब रहते थे।

ममता, माँ और मछली

पेंगुइन से प्रकाशित विनय सीतापती की किताब जुगलबंदी में ममता बनर्जी के एक इस्तीफे का जिक्र मिलता है। किसी बात से नाराज होकर ममता बनर्जी ने वाजपेयी सरकार से इस्तीफा दे दिया था। उसी दौरान एक बैठक के लिए वाजपेयी कोलकाता जा रहे थे। ममता बनर्जी के इस्तीफे से सरकार नहीं गिरती। लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी नहीं चाहते थे कि ममता सरकार से बाहर जाएं।

उन्होंने कोलकाता पहुंचते ही यह सुनिश्चित किया कि ममता की मां गायत्री देवी उन्हें खाना खाने के लिए बुला लें। विनय सीतापती ने अपनी किताब में आरएसएस के शेषाद्रि चारी के हवाले से बताया है कि वाजपेयी को ममता की मां के हाथ की बनी मछली बहुत पसंद थी। जाहिर है, वाजपेयी और ममता की मां का रिश्ता बहुत अच्छा था।

खाना खत्म इस्तीफा हजम

वाजपेयी के योजनानुसार उन्हें ममता की मां का बुलावा आ गया। वह खाने पर पहुंचे। भोजन के वक्त ममता और वाजपेयी में कोई बातचीत नहीं हुई। लेकिन खाना खाने के बाद ममता की मां ने वाजपेयी से पूछ लिया, ”मंत्री के रूप में ममता कैसा काम कर रही है?” वाजपेयी मानो इसी सवाल के इंतजार में थे। उन्होंने तपाक से कहा, ”कई बार ये छोटी-छोटी बातों पर नाराज हो जाती हैं। इन्हें उन बातों को इतना महत्व नहीं देना चाहिए।” इस सहभोज के बाद उसी शाम ममता बनर्जी ने अपना इस्तीफा वापस ले लिया।