देश की सबसे बड़ी विमानन कंपनी इंडिगो को अपने अब तक के सबसे बड़े परिचालन संकट का सामना करना पड़ रहा है। उसे सैकड़ों उड़ानों को रद्द करना पड़ा। नए नियमों के तहत पायलटों की ड्यूटी समय सीमा में बदलाव और इंडिगो के ‘लीन-स्टाफिंग’ माडल के कारण संकट खड़ा हो गया है।
नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने उड़ान ड्यूटी समय-सीमा (एफडीटीएल) नियमों में बदलाव किए। जब घरेलू यात्री बाजार में 60 फीसद से ज्यादा हिस्सेदारी वाली एक विमान कंपनी इतनी बुरी तरह डूब जाती है, तो पूरा उद्योग ही घुटने टेक देता है। हुआ यही।
नए नियम और असर
नए नियमों के तहत पायलटों का साप्ताहिक आराम 36 घंटे से बढ़ाकर 48 घंटे किया गया, रात में उड़ानों की संख्या सीमित की गई, और लगातार रात की ड्यूटी को केवल दो तक सीमित किया गया। इससे प्रत्येक पायलट द्वारा संचालित उड़ानों की संख्या में काफी कमी आई।
इंडिगो ने अपने एअरबस ए320 बेड़े के लिए 2,422 कप्तानों की आवश्यकता बताई थी, लेकिन केवल 2,357 कप्तान उपलब्ध थे और ‘फर्स्ट आफिसर्स’ भी कम थे। कंपनी का उच्च विमान उपयोग और रात की उड़ानों पर निर्भरता वाला माडल काम नहीं आया, जिसके कारण बड़े पैमाने पर उड़ानें रद्द होने लगीं।
यह भी पढ़ें: कौन हैं IndiGo के मालिक? पिता चलाते थे ट्रैवल एजेंसी, अब बेटे की नेटवर्थ जानकर उड़ जाएंगे होश
दिल्ली, मुंबई, बंगलुरु और हैदराबाद जैसे प्रमुख हवाई अड्डों पर लंबी कतारें, खोया हुआ सामान और परेशान यात्री देखने को मिले। इंडिगो ने तीन दिसंबर को समस्याओं की पुष्टि की और यात्रियों को पूरा रिफंड, शुल्क माफ करने और वैकल्पिक व्यवस्था की पेशकश की।
नाराजगी की शुरुआत
बीते एक नवंबर से पायलटों के ड्यूटी मानक पूर्ण रूप से लागू होने के कारण इस मामले की शुरुआत हुई। सरकार ने इसे एक साल के लिए टाल दिया था, ताकि विमानन कंपनियां अपने चालक दल की योजना बना सकें। कंपनियों ने इसे लागू होने पर व्यापक उड़ान रद्द होने की चेतावनी दी थी, लेकिन पायलट संगठनों ने दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया और अप्रैल 2025 में इसे लागू करने का आदेश मिला।
दिल्ली हाई कोर्ट के अप्रैल 2025 के आदेश के अनुसार, दो चरणों में इसे लागू किया जाना था। इसमें साप्ताहिक आराम के घंटे 36 से बढ़ाकर 48 घंटे करने सहित कई प्रावधान एक जुलाई से लागू कर दिए गए थे। रात के समय पायलटों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने वाले बाकी प्रावधान एक नवंबर से लागू होने थे। इन्हीं अंतिम प्रावधानों के लागू होने के बाद से एअरलाइंस पायलटों की कमी से जूझ रही हैं।
संकट प्रबंधन
डीजीसीए ने पांच दिसंबर को इंडिगो के ए320 बेड़े को रात की उड़ानों और उतरने की व्यवस्था में अस्थायी छूट दी, औपचारिक जांच भी शुरू की। डीजीसीए ने विमानन कंपनियों को पायलट ड्यूटी और कर्मचारी व्यवस्थापन में सुधार पर रपट देने को कहा। संकट के कारण घरेलू हवाई किराए में वृद्धि हुई।
उदाहरण के लिए, दिल्ली-बंगलुरु उड़ान के लिए सबसे सस्ता किराया 40,000 रुपए से ऊपर चला गया। सरकार ने छह दिसंबर को सभी कंपनियों के लिए किराए की सीमा तय कर दी। इंडिगो की संकट प्रबंधन समिति परिचालन बहाली की निगरानी कर रही है।
जांच की तैयारी
सरकार ने इंडिगो की बड़े पैमाने पर उड़ान रद्द किए जाने के संबंध में जांच शुरू कर दी है। एअरलाइन के खिलाफ सख्त कार्रवाई किए जाने का सरकार ने एलान किया है। सरकार का कहना है कि विमानन कंपनियों ने अपने संचालन में विविधताओं के कारण कुछ छूट का आग्रह किया था। व्यापक परामर्श और सुरक्षा जोखिम मूल्यांकन के बाद जरूरी विविधताएं और छूट पहले ही दे दी गई थीं।
डीजीसीए ने एअरलाइन को पायलट ड्यूटी और कर्मचारी व्यवस्थापन में सुधार पर रपट देने को कहा है। सरकार का कहना है कि मौजूदा संकट, नई एफडीटीएल के लागू होने करीब एक महीने बाद हुआ है। इस कारण जवाबदेही कंपनी की है।
डीजीसीए मानकों के तहत 13 घंटे की ड्यूटी अवधि से ज्यादा काम करना, सात हजार करोड़ के मुनाफे के बावजूद वेतन वृद्धि न होना और एअरलाइन द्वारा नए पायलट ड्यूटी मानदंडों की व्याख्या अपने हित में मोड़ने को लेकर पायलट नाराज हैं। डीजीसीए ने नियमों के एक हिस्से को 10 फरवरी तक के लिए वापस ले लिया है, लेकिन 2026 तक भी कंपनियों के पास पर्याप्त पायलट नहीं हो सकते, भले ही थकान नियम वापस आ जाएं।
शक्ति लुंबा, विमानन विशेषज्ञ
सरकार ने पायलटों के लिए आराम का समय बढ़ा दिया है। पहले के नियमों के मुताबिक, पायलटों को हफ्ते में 36 घंटे का आराम मिलना जरूरी था। अब सरकार ने कहा है, 48 घंटे का आराम चाहिए। मतलब है कि पायलट के उड़ान भरने के लिए उपलब्ध घंटों में कमी है। जब तक आप पायलटों की संख्या नहीं बढ़ाते तब तक संकट रहेगा।
विजय गोपालन, एअर एशिया के पूर्व मुख्य वित्तीय अधिकारी
तुरंत भर्ती आसान नहीं
अल्पावधि में भर्ती से कमी को पूरा किया जा सकता। अगर कोई कंपनी नए पायलट लाना चाहती है तो उसे टाइप-रेटेड (विशिष्ट विमान उड़ाने के लिए प्रशिक्षित) होना चाहिए। उन्हें प्रशिक्षण से गुजरना होगा। उन्हें न्यूनतम उड़ान घंटे पूरे करने होंगे। यह लंबी प्रक्रिया है, जो आसान नहीं। इतनी आसानी से बेंच स्ट्रेंथ (पायलटों का पूल) नहीं बनाया जा सकता।
आक्रामक भर्ती के बावजूद इंडिगो के पास 2026 की शुरुआत तक पर्याप्त पायलट नहीं हो सकते हैं। खासकर अगर थकान कम करने वाले नियम पूरी तरह से वापस आ जाते हैं।
दूसरी तरफ, एअर इंडिया से इंडिगो में अस्थायी रूप से पायलटों को शिफ्ट करने का विचार भारतीय नियमों के तहत संभव नहीं है। भारत में एक पायलट के लिए दो कंपनियों के बीच जाने के लिए अगर आप एक वरिष्ठ पायलट हैं तो अनिवार्य नोटिस अवधि 12 महीने की होती है। और अगर आप एक को-पायलट हैं तो नोटिस पीरियड अनिवार्य रूप से छह महीने की होती है। सख्त नोटिस अवधि का मतलब है कि प्रतिस्पर्धी एयरलाइनों से जल्दी राहत नहीं मिल सकती।
यह भी पढ़ें: शेयर बाजार में इंडिगो की ‘क्रैश लैंडिंग’! दिसंबर में 15% तक गिरा स्टॉक, सरकारी जांच से कंपनी में खलबली
