अफगानिस्तान और पाकिस्तान के रिश्तों में आजकल तनाव दिख रहा है। पाकिस्तानी तालिबान के सुरक्षित ठिकानों पर पाकिस्तानी सेना का हमला और बदले में पाकिस्तान पर जवाबी हमला दोनों देशों के रिश्तों में कड़वाहट की अहम वजह बन गया है।

पाकिस्तान की सेना ने तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (पाकिस्तानी तालिबानी) पर कार्रवाई के लिए अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर हवाई हमला किया था। पाकिस्तानी अधिकारियों का कहना है कि वे चाहते हैं कि काबुल में तालिबान सरकार सशस्त्र समूहों, खास कर पाकिस्तानी तालिबान की गतिविधियों को रोके।

पाकिस्तान का कहना है कि ये लोग अफगानिस्तान की जमीन से सीमा पार पाकिस्तानी ठिकानों पर हमले करते हैं। हालांकि अफगानिस्तान की तालिबान सरकार इन आरोपों से इनकार करती है। उसका कहना है कि वो अपनी धरती का इस्तेमाल किसी दूसरे पर हमले के लिए नहीं करने देती। उसका कहना है, पाकिस्तान अपनी सुरक्षा की नाकामी का ठीकरा अफगानिस्तान पर फोड़ रहा है।

दूसरी ओर पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं को सबूत देने का दावा किया है और कहा है कि कुनार, नंगरहार और पक्तिका जैसी जगहों पर पाकिस्तानी तालिबान आंदोलन के केंद्र हैं। यहां पाकिस्तानी तालिबानी सक्रिय हैं। वे पाकिस्तान में हमलों की योजना बनाने के लिए इन इलाकों का इस्तेमाल कर रहे हैं। वहीं अफगानिस्तान की तालिबान सरकार का कहना है कि उसने उत्तरी वजीरिस्तान से कई शरणार्थी परिवारों को सीमावर्ती क्षेत्रों से अफगानिस्तान के दूसरे हिस्सों में भेज दिया है।

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इन लोगों को 2014 में पाकिस्तानी सैन्य अभियानों की वजह से अपना घर छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा था। उसका कहना है कि उसने पाकिस्तानी तालिबान और पाकिस्तान के बीच कम से कम दो बार मध्यस्थता की कोशिश की है। लेकिन बातचीत की नाकामी और पाकिस्तान में हमले बढ़ने से अफगानिस्तान की तालिबान सरकार और पाकिस्तान के बीच भरोसे की कमी दिख रही है।

पाकिस्तानी तालिबान और अफगान तालिबान में करीबी

एक और पाकिस्तान मांग कर रहा है कि वह पाकिस्तानी तालिबान के खिलाफ कदम उठाए वहीं दूसरी ओर दोनों समूहों (पाकिस्तानी तालिबान और अफगान तालिबान) के बीच वैचारिक और ऐतिहासिक संबंध है, जिन्हें तोड़ना तालिबान सरकार के लिए आसान नहीं है।

जब पाकिस्तान ने 9 अक्तूबर को काबुल के हवाई क्षेत्र का उल्लंघन किया और पक्तिका में हवाई हमला किया, तो सोशल मीडिया यूजर्स ने दावा किया कि इसका मकसद तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के नेता नूर वली महसूद को खत्म करना था। इन दावों के बाद, टीटीपी ने पहले महसूद की एक आडियो जारी किया और फिर एक वीडियो जारी किया, जिसमें उसने कहा कि वह जीवित हैं और पाकिस्तान में हैं।

2009 और 2018 के बीच, अफगानिस्तान और पाकिस्तान की सीमा पर पाकिस्तानी तालिबान के तीन नेता; बैतुल्लाह महसूद, हकीमुल्लाह महसूद (पाकिस्तानी क्षेत्र), और मुल्ला फजलुल्लाह (अफगान क्षेत्र) अमेरिकी हवाई हमलों में मारे गए, जिसके बाद नूर वली महसूद को नया नेता बनाया गया।

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