Indus Waters Treaty: पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कई सख्त कदम उठाए हैं। इनमें से एक बड़ा कदम पाकिस्तान के साथ चल रही सिंधु जल समझौते (Indus Waters Treaty) को स्थगित करने का है। सिंधु जल समझौते के स्थगित होने से पाकिस्तान पर कितना बड़ा असर पड़ेगा, इस पर बात करना जरूरी है। बताना होगा कि पहलगाम हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान में प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के प्रॉक्सी गुट द रेजिस्टेंस फ्रंट ने ली है।

इस हमले में कुल 26 लोगों को जान गंवानी पड़ी जिसमें 25 पर्यटक और एक स्थानीय नागरिक शामिल है।

19 सितंबर, 1960 को भारत और पाकिस्तान के बीच Indus Waters Treaty पर हस्ताक्षर हुए थे। इस समझौते के अनुसार, भारत का पूर्वी नदियों- रावी, ब्यास और सतलुज पर नियंत्रण है जबकि पाकिस्तान को पश्चिमी नदियों- सिंधु, झेलम और चिनाब से पानी मिलता है।

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Indus Waters Treaty सिंधु नदी के सिस्टम और उसकी सहायक नदियों से पानी के इस्तेमाल और उसके बंटवारे का प्रबंधन करता है। यह पाकिस्तान के लोगों के लिए पानी की जरूरत और खेती के लिए बेहद जरूरी है। सिंधु नदी के नेटवर्क में झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास और सतलुज नदियां शामिल हैं।

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पाकिस्तान को मिलता है 80% पानी

Indus Waters Treaty से पाकिस्तान को ज्यादा फायदा होता है क्योंकि उसे इन नदियों के कुल पानी का लगभग 80% मिलता है और यह पाकिस्तान में खेती के लिए बहुत अहम है, खासकर पंजाब और सिंध प्रांत में। पाकिस्तान सिंचाई, खेती और पीने के पानी के लिए काफी हद तक इसी संधि से मिलने वाले पानी पर निर्भर है।

पाकिस्तान की राष्ट्रीय आय में कृषि क्षेत्र का योगदान 23% है और इससे इस मुल्क के 68% लोगों को दाना-पानी मिलता है। यह साफ है कि अगर भारत किसी तरह पाकिस्तान को जाने वाले पानी को रोकने में कामयाब रहा तो इसका बड़ा असर कृषि क्षेत्र पर होगा। कृषि वहां की इकनॉमी और आजीविका का एक अहम हिस्सा है।

यह साफ है कि अगर पाकिस्तान को पानी कम मिला तो इससे फसलों के उत्पादन पर असर पड़ेगा और खाने का संकट यानी खाद्य संकट पैदा होगा। पाकिस्तान का ग्रामीण इलाका खेती पर निर्भर है और ऐसे में वहां बड़े पैमाने पर आर्थिक अस्थिरता वाले हालात बन सकते हैं।

आतंकवाद से जूझ रहा पाकिस्तान

बताना जरूरी होगा कि पाकिस्तान पहले से ही वाटर मैनेजमेंट के साथ ही अपने मुल्क में बेरोजगारी, बलूचिस्तान विद्रोहियों से लड़ाई, आतंकी हमलों, पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी से बने राजनीतिक हालात से जूझ रहा है। वहां लगातार आतंकी हमले हो रहे हैं और बलूच विद्रोहियों के साथ ही तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान भी उसके गले की फांस बना हुआ है।

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पाकिस्तान की 80% खेती वाली जमीन जो लगभग 16 मिलियन हेक्टेयर है, वह इस समझौते के तहत मिलने वाले पानी पर निर्भर है। इस समझौते के तहत मिलने वाले 93% पानी का सिंचाई के लिए इस्तेमाल किया जाता है और इसी से इस देश में खेती होती है।

पाकिस्तान के बड़े शहर कराची, लाहौर और मुल्तान सिंधु, झेलम और चिनाब से पानी लेते हैं। यह समझौता पाकिस्तान की जीडीपी में भी लगभग 25 प्रतिशत का योगदान देता है। इस पानी से ही पाकिस्तान में गेहूं, चावल, गन्ना और कपास की फसल पैदा होती है। पाकिस्तान की पानी स्टोर करने की क्षमता बहुत कम है।

पाकिस्तान के सामने एक बड़ी मुश्किल यह भी है कि वहां पर प्रति व्यक्ति पानी की उपलब्धता तेजी से कम हो रही। सीधे शब्दों में यह कहा जा सकता है कि पाकिस्तान के लिए सिंधु जल समझौता जिंदा रहने का सवाल है और ऐसे में अगर भारत सिंधु, झेलम और चिनाब से उसे मिलने वाले पानी को रोक देता है या कम कर देता है तो निश्चित तौर पर यह पहले से ही हजार मुश्किलों से जूझ रहे पाकिस्तान की कमर तोड़ देगा।