लोकसभा चुनाव के पहले और दूसरे चरण में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सीटों पर भी वोटिंग होनी है। इन सीटों में सहारनपुर, कैराना, मुज़फ़्फ़रनगर, बिजनौर, नगीना, मुरादाबाद, रामपुर, अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतम बुद्ध नगर, बुलंदशहर (एससी), अलीगढ़ और मथुरा शामिल हैं।
जाट लैंड का मिला नाम
जब भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सियासत पर बात होती है तो जाट समुदाय का जिक्र किए बिना यहां की राजनीति को समझ पाना आसान नहीं होता। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 10 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जिसमें इस समुदाय की आबादी 15 से 25 प्रतिशत तक है और इसलिए इसे जाट लैंड भी कहा जाता है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट समुदाय की कुल आबादी 20 प्रतिशत तक है।
किस सीट पर कितनी है जाट समुदाय की आबादी

चौधरी चरण सिंह के बाद उनके बेटे और पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी अजित सिंह ने आरएलडी की कमान संभाली थी। अजित सिंह के निधन के बाद अब जयंत चौधरी आरएलडी की अगुवाई कर रहे हैं।
BJP West UP Jat: बीजेपी की ओर मुड़ गए जाट
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पिछले कुछ चुनावों के आंकड़ों को देखें तो पता चलता है कि जाट समुदाय के बड़े हिस्से का समर्थन बीजेपी को मिल रहा है जबकि उससे पहले यह समुदाय आरएलडी के साथ था। चौधरी चरण सिंह की वजह से आरएलडी के साथ जाट समुदाय का भावनात्मक जुड़ाव भी है और इसका सियासी फायदा भी आरएलडी को मिलता था।
लेकिन साल 2013 में हुए मुजफ्फरनगर दंगों के बाद जाट समुदाय आरएलडी से दूर चला गया और इसका सीधा नुकसान जयंत चौधरी को हुआ।
साल 2009 के लोकसभा चुनाव में आरएलडी को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 5 सीटों पर जीत मिली थी लेकिन 2014 में यह आंकड़ा गिरकर 0 हो गया था। इसके साथ ही पार्टी का वोट शेयर भी 2014 में 2.5 प्रतिशत के मुकाबले 0.9 प्रतिशत हो गया था।
सीएसडीएस के आंकड़े बताते हैं कि साल 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 77 प्रतिशत जाट मतदाताओं ने वोट दिया था जबकि 2012 के विधानसभा चुनाव में यह आंकड़ा सिर्फ 7 प्रतिशत था। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा, बसपा और आरएलडी के गठबंधन के बाद भी जाट समुदाय के 91 प्रतिशत मतदाताओं ने बीजेपी को वोट दिया था। साल 2022 के विधानसभा चुनाव में किसान आंदोलन की तपिश के बावजूद बीजेपी इस समुदाय के 71 प्रतिशत वोट लाने में सफल रही थी।

UP Election 2022: 2022 में आरएलडी ने सुधारा प्रदर्शन
कुछ और जरूरी आंकड़ों पर नजर डालें तो साल 2017 के विधानसभा चुनाव में आरएलडी को उत्तर प्रदेश में 1.8 प्रतिशत वोट मिले थे लेकिन 2022 में सपा गठबंधन के साथ मिलकर चुनाव लड़ते हुए उसने 2.9 प्रतिशत वोट हासिल किए थे। साथ ही 2017 में मिली एक सीट के मुकाबले आरएलडी को 8 सीटों पर जीत मिली थी। इसके बाद दिसंबर 2022 में हुए खतौली उपचुनाव में भी आरएलडी ने बीजेपी से यह सीट झटक ली थी।
जाट समुदाय के लगातार बीजेपी की ओर बढ़ते झुकाव और बागपत, मुजफ्फरनगर जैसी आरएलडी की परंपरागत सीटों पर 2014 और 2019 में मिली हार को देखते हुए ही जयंत चौधरी ने लोकसभा चुनाव के ऐलान से ठीक पहले बीजेपी के साथ गठबंधन कर लिया।
समझौते के तहत आरएलडी को बीजेपी ने मुजफ्फरनगर और बिजनौर की सीट दी है।
Jat Politics: बीजेपी जानती है जाट समुदाय की अहमियत
2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले किसान आंदोलन के कारण जाट समुदाय में नाराजगी की खबरों के बीच बीजेपी ने इस समुदाय को लुभाने की कोशिश की थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता सेनानी राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम पर अलीगढ़ में विश्वविद्यालय की नींव रखी थी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोकुला जाट का जिक्र किया था। गोकुला जाट ने 17वीं शताब्दी में मुगल शासक औरंगजेब के खिलाफ युद्ध लड़ा था।
इसके अलावा उत्तर प्रदेश में सिर्फ 2 प्रतिशत की आबादी होने के बाद भी इस समुदाय से आने वाले चौधरी भूपेंद्र सिंह को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है। भारत के उपराष्ट्रपति के पद पर भी जाट समुदाय से आने वाले जगदीप धनखड़ को बैठाकर बीजेपी ने इस समुदाय की नाराजगी को दूर करने की भरपूर कोशिश की है।
बीजेपी ने मुजफ्फरनगर के सांसद और जाट नेता संजीव बालियान को भारत सरकार में मंत्री भी बनाया है।
West UP Issues: पश्चिमी यूपी में बड़े मुद्दे
जाट और किसान समुदाय के लिए विशेष रूप से असर करने वाला मुद्दा गन्ने का भुगतान समय पर होने का है। क्योंकि इस इलाके में बड़े पैमाने पर गन्ने की खेती होती है। गन्ना किसानों की उत्तर प्रदेश सरकार से यही उम्मीद होती है कि सरकार उन्हें गन्ने का सही भाव दे और चीनी मिलें भी उनका भुगतान सही समय पर कर दें। इस साल जनवरी में योगी सरकार ने गन्ने के एमएसपी में 20 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की थी।
साल 2013 के दंगों के बाद से ही बीजेपी यहां पर सुरक्षा को भी बड़ा मुद्दा बनाती रही है।

Chaudhary Charan Singh: चौधरी चरण सिंह का सम्मान
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हापुड़ के नूरपुर गांव के रहने वाले थे। चौधरी चरण सिंह पश्चिम उत्तर प्रदेश से आने वाले पहले ऐसे नेता थे जो प्रधानमंत्री बने थे इसलिए इस इलाके में चौधरी चरण सिंह का नाम बहुत आदर के साथ लिया जाता है। इसी को देखते हुए भारत सरकार ने चुनाव का ऐलान होने से ठीक पहले उन्हें भारत रत्न के सम्मान से नवाजा था।

Farmer politics: ताकतवर है किसान राजनीति
पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सियासत जाट समुदाय के साथ ही किसानों के इर्द-गिर्द भी घूमती है। यहां जिक्र करना जरूरी होगा कि कृषि कानूनों के खिलाफ गाजीपुर के बॉर्डर पर चले आंदोलन के दौरान पश्चिमी उत्तर प्रदेश का सियासी माहौल बेहद गर्म रहा था। किसानों की नाराजगी के कारण होने वाले संभावित सियासी नुकसान को भांपते हुए ही केंद्र सरकार को कृषि कानून को वापस लेने को मजबूर होना पड़ा था। बड़े किसान नेता चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत मुजफ्फरनगर के थे। किसान आंदोलन में उनके बेटे राकेश टिकैत और नरेश टिकैत ने गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलन की कमान संभाली थी।
आर्थिक रूप से भी ताकतवर है जाट समुदाय
जाट समुदाय मूल रूप से खेती और किसानी से जुड़ा हुआ है लेकिन एक बड़ी संख्या में इस समुदाय के लोग फौज में भी हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर से लेकर गाजियाबाद, बुलंदशहर और मेरठ तक जबरदस्त शहरीकरण के चलते यहां पर जमीनों के भाव अच्छे-खासे बढ़े हैं और इस वजह से जाट समुदाय के लोग आर्थिक रूप से भी ताकतवर हुए हैं।

हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में एक आम कहावत है कि जाट खड़ी कर देगा खाट। इसलिए देखना होगा कि जाट इस बार किसकी खाट खड़ी करेगा। क्या वह एनडीए गठबंधन के साथ जाएगा या फिर विपक्षी इंडिया गठबंधन के साथ। इंडिया गठबंधन के तहत उत्तर प्रदेश में सपा और कांग्रेस मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं।
Muslim Dalit UP Politics: मुस्लिम-दलित समुदाय भी है असरदार
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट समुदाय के अलावा मुस्लिम समुदाय का भी अच्छा खासा वोट बैंक है। उत्तर प्रदेश में अमरोहा, रामपुर, सहारनपुर, बिजनौर, नगीना, मुरादाबाद, मुजफ्फरनगर, कैराना, मेरठ, बागपत और संभल की सीटों पर मुस्लिम समुदाय भी हार-जीत का फैसला करने की ताकत रखता है। रामपुर में (42 प्रतिशत), अमरोहा में (32 प्रतिशत), सहारनपुर में (30 प्रतिशत), बिजनौर, नगीना और मुरादाबाद में (28 प्रतिशत), मुज़फ़्फ़रनगर में (27 प्रतिशत), कैराना और मेरठ में 23 प्रतिशत और संभल में मुस्लिम समुदाय की आबादी 22 प्रतिशत है।
मुस्लिम समुदाय के साथ ही दलित समुदाय भी इस इलाके में ताकतवर है। इसलिए आरएलडी ने अपने दलित विधायक अनिल कुमार को योगी सरकार में मंत्री बनाया है। यहां जाट, दलित और मुस्लिम समुदाय की कुल आबादी 60 प्रतिशत के आसपास है। मुस्लिम समुदाय यहां 30 से 35 प्रतिशत है जबकि दलित समुदाय 22 से 25 प्रतिशत तक है।