पश्चिम बंगाल का सियासी मैदान बीजेपी और राज्य में सरकार चला रही टीएमसी के बीच एक और लड़ाई का गवाह बनने वाला है। बंगाल में चार विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव होने हैं और इसमें बीजेपी और टीएमसी के बीच सीधी भिड़ंत होनी तय है।

लोकसभा चुनाव में बीजेपी का प्रदर्शन पिछली बार के मुकाबले खराब रहा है जबकि टीएमसी ने 2019 के मुकाबले ज्यादा सीटें जीती हैं। 

टीएमसी ने लोकसभा चुनाव में सभी 42 सीटों पर चुनाव लड़ा था और इंडिया गठबंधन के लिए कोई सीट नहीं छोड़ी थी और इस चुनाव में भी वह सभी चार सीटों पर अकेले चुनाव लड़ रही है। इन सभी सीटों पर 10 जुलाई को उपचुनाव होना है।

इन सीटों पर होना है उपचुनाव

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने आगामी उपचुनावों के लिए अपने-अपने उम्मीदवारों की घोषणा की है। जिन विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है, वे हैं रायगंज, राणाघाट-दक्षिण, मानिकताला और बगदा। इन सीटों के लिए उम्मीदवार निम्नलिखित हैं:

रायगंज:

टीएमसी उम्मीदवार: कृष्णा काली
बीजेपी उम्मीदवार: मानस कुमार घोष

राणाघाट-दक्षिण:

टीएमसी उम्मीदवार: मुकुट मणि अधिकारी
बीजेपी उम्मीदवार: मनोज कुमार बिस्वास

मानिकताला:

टीएमसी उम्मीदवार: सुप्ति पांडे
बीजेपी उम्मीदवार: कल्याण चौबे भट्टाचार्य

बगदा:

टीएमसी उम्मीदवार: मधुपर्णा ठाकुर
बीजेपी उम्मीदवार: बिनय कुमार बिस्वास

ये चुनावी मुकाबले राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं और दोनों पार्टियों के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकते हैं।

Mamata Banerjee
चुनाव नतीजों का विश्लेषण करेगी टीएमसी। (Source-PTI)

तीन सीटों पर जीती थी बीजेपी

इन चार विधानसभा सीटों में से तीन – रायगंज, राणाघाट दक्षिण और बगदा की सीटें बीजेपी विधायकों के टीएमसी में शामिल होने की वजह से खाली हुई हैं। मतलब पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी यहां जीती थी। यहां से जीते विधायकों को टीएमसी ने लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाया था लेकिन वे सभी चुनाव हार गए। मानिकताला की सीट टीएमसी के विधायक साधन पांडे के निधन से खाली हुई है।

लोकसभा चुनाव में मिले वोटों के अनुसार, बीजेपी तीन विधानसभा क्षेत्रों में आगे रही थी, जबकि टीएमसी मानिकताला में आगे थी लेकिन यहां भी उसकी जीत का अंतर सिर्फ 3,500 वोटों का था। 

टीएमसी ने बढ़ाई सीटें, बीजेपी रही पीछे

लोकसभा चुनाव में सीधी लड़ाई बीजेपी और टीएमसी के बीच सिमट गई थी। चुनाव नतीजे निश्चित रूप से बीजेपी के लिए बहुत खराब रहे थे क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित पार्टी के तमाम शीर्ष नेताओं को इस बात का पूरा भरोसा था कि पार्टी पश्चिम बंगाल में पिछली बार के प्रदर्शन से ज्यादा सीटें लाएगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

शहरी निकायों में पीछे रही है टीएमसी

लोकसभा चुनाव के नतीजों में टीएमटी ने हालांकि ज्यादा सीटें हासिल की हैं लेकिन राज्य भर के शहरी स्थानीय निकायों में बीजेपी उससे आगे रही है।

पश्चिम बंगाल के 125 नगर निगम और नगर पालिका परिषदों में 60% ऐसे शहरी स्थानीय निकाय हैं जहां पर टीएमसी बीजेपी से पीछे रही है। कोलकाता नगर निगम के 144 वार्ड में जहां पर बीजेपी के सिर्फ तीन पार्षद हैं और टीएमसी के 138 पार्षद हैं, वहां भी बीजेपी 48 वार्ड में आगे रही है जबकि टीएमसी 93 वार्ड में। वाम दलों और कांग्रेस का गठबंधन तीन वार्ड में आगे रहा है।

चुनाव के आंकड़ों का विश्लेषण करने से पता चलता है कि बीजेपी बोलपुर, गोबरडांगा, कृष्णानगर, बलूरघाट, रायगंज, बर्धमान, इंग्लिश बाजार और झारग्राम जैसे कई नगर निकायों में आगे रही है।

कोलकाता के अलावा टीएमसी बारासात लोकसभा सीट के अंदर आने वाली चार में से तीन नगर पालिकाओं में पीछे रही है। बारासात नगर पालिका के 35 वार्डों में से टीएमसी छह वार्डों में और अशोकनगर नगर पालिका के 23 वार्डों में से सिर्फ छह में आगे रही जबकि हाबरा नगर पालिका के सभी वार्डों में पिछड़ गई।

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भबानीपुर से 2011 से विधायक हैं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी। (Source-FB/MamataBanerjeeOfficial)

ममता की सीट भबानीपुर में घटा टीएमसी की जीत का अंतर

सितंबर 2021 में भबानीपुर विधानसभा सीट पर जब उपचुनाव हुआ था तो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी यहां 58,832 वोटों के अंतर से जीती थीं। लेकिन लोकसभा चुनाव में इस सीट पर टीएमसी की जीत का अंतर 8,297 वोटों का ही रहा। बीजेपी भबानीपुर के 269 बूथ में से 149 बूथ में आगे रही है। ममता बनर्जी ने उपचुनाव इसलिए लड़ा था क्योंकि वह विधानसभा चुनाव में नंदीग्राम सीट से चुनाव हार गई थीं। उन्हें भाजपा के शुभेंदु अधिकारी ने 1,956 वोटों के अंतर से हराया था।

पश्चिम बंगाल बीजेपी में कलह

लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद पश्चिम बंगाल में बीजेपी के सांसद सौमित्र खान ने आरोप लगाया कि पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने टीएमसी के साथ समझौता किया था वरना बीजेपी को पश्चिम बंगाल में ज्यादा सीटें मिलती। पश्चिम बंगाल बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष दिलीप घोष ने विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी पर हमला बोला था हालांकि उन्होंने उनका नाम नहीं दिया था। दिलीप घोष इस चुनाव में 1.38 लाख वोटों से हार गए थे।

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बीजेपी नेता सुवेन्दु अधिकारी (Source- Express Photo by Partha Paul)

पश्चिम बंगाल में पिछले दो विधानसभा और लोकसभा चुनाव के नतीजे बताते हैं कि यहां बड़ी लड़ाई बीजेपी और टीएमसी के बीच ही है। लोकसभा के चुनाव में अपने अच्छे प्रदर्शन से उत्साहित टीएमसी इन चारों सीटों को अपने कब्जे में करने की कोशिश करेगी। बीजेपी इनमें से तीन सीटों पर पिछली बार चुनाव जीती थी इसलिए वह भी इन सीटों को अपने पाले में वापस लाने के लिए पूरा जोर लगाएगी।

सालबीजेपी को मिली सीटें टीएमसी को मिली सीटें
2019 लोकसभा चुनाव (42 सीटें)1822
2016 विधानसभा चुनाव (294 सीटें)3211
2024 लोकसभा चुनाव 1229
2021 विधानसभा चुनाव 77215
पश्चिम बंगाल में चुनाव के नतीजे।

पश्चिम बंगाल में ठीक 2 साल बाद विधानसभा चुनाव भी होने हैं, उससे पहले इन उपचुनाव के नतीजे निश्चित रूप से दोनों दलों के लिए अहम होंगे।

यूपी में भी 10 सीटों पर होने हैं उपचुनाव

पश्चिम बंगाल के साथ ही उत्तर प्रदेश में भी 10 विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव होना है। इन विधानसभा सीटों में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव की करहल विधानसभा सीट भी शामिल है। अखिलेश यादव कन्नौज से लोकसभा सांसद चुने गए हैं और इसलिए उन्हें करहल से इस्तीफा देना पड़ा है।

Yogi Adityanath Akhilesh Yadav
सपा प्रमुख अखिलेश यादव और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ।