लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे सामने आने के बाद से ही यूपी बीजेपी में सब कुछ ठीक नहीं होने की खबरें लगातार सामने आ रही हैं। उत्तर प्रदेश में मन मुताबिक नतीजे नहीं आने के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ को पद से हटाए जाने की अटकलें भी लगाई जाने लगी थीं। खबरों के मुताबिक,सीएम योगी और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के बीच चल रहा कोल्ड वॉर भी अभी खत्‍म नहीं हुआ है। इस सब चर्चाओं के बीच योगी आदित्यनाथ ने एक बार फिर पार्टी में अपनी मजबूत स्थिति बनाए रखने के लिए कमर कस ली है।

योगी आदित्यनाथ की छवि हमेशा से ही कट्टर हिंदू नेता की रही है। 2022 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान भी उन्होंने अपनी यह छव‍ि बरकरार रखी। सीएम योगी ने हाल के हफ्तों में हिंदुत्व पर अपना रुख और सख्त कर दिया है। यह उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पिछले महीने लिए गए फैसलों से साफ दिखता होता है।

पिछले महीने आदित्यनाथ ने लखनऊ में दो हिंदू बहुल कॉलोनियों- पंत नगर और इंद्रप्रस्थ नगर – के निवासियों को आश्वस्त करने के लिए हस्तक्षेप किया था कि उनके घरों को ध्वस्त नहीं किया जाएगा। निवासी भयभीत थे क्योंकि सिंचाई विभाग ने घरों को बाढ़ क्षेत्र में चिह्नित किया था।

एलडीए द्वारा अवैध अतिक्रमण गिराने पर विवाद

20 जून को, लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) ने लखनऊ के अकबर नगर इलाके में 24.5 एकड़ जमीन पर 1,169 घरों और 101 वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों सहित 1,800 निर्माणों को ध्वस्त किया था। एलडीए का कहना था कि उन्होंने कुकरैल नदी के बगल के बाढ़ क्षेत्र में अवैध रूप से अतिक्रमण किया है।

यह मामला पिछले छह महीनों से ऐसे क्षेत्रों के निवासियों और राज्य प्रशासन के बीच विवाद का विषय बना हुआ है। मार्च में एलडीए अधिकारियों पर पथराव की एक घटना भी हुई थी और मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया था। हालांकि, कोर्ट ने बाद मे राज्य प्रशासन की कार्रवाई को मंजूरी दे दी थी।

कांवड़ यात्रा मार्ग पर दुकानदारों को अपना नाम लिखने का आदेश

फायरब्रांड ह‍िंंदूवादी नेता की छवि और मजबूत करने की दिशा में अगला बड़ा उदाहरण पुलिस द्वारा कांवड़ यात्रा मार्ग पर सड़क किनारे विक्रेताओं और दुकानदारों को अपने प्रतिष्ठानों के बाहर अपना नाम लिखने का आदेश पारित करना था। पिछले महीने मुज़फ़्फ़रनगर जिले में पुलिस द्वारा पहली बार घोषित किए गए इस निर्देश को मुसलमानों के ख़िलाफ़ बताया गया था और इस पर जमकर बवाल भी हुआ था। हालांकि, मुजफ्फरनगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) ने दावा किया कि इससे टकराव को रोका जा सकेगा।

हंगामे के बीच, राज्य प्रशासन अपनी हरकतों पर अड़ा रहा और एक हफ्ते बाद यह निर्देश राज्य के अन्य हिस्सों पर लागू किया गया, जहां से कांवड़ यात्रा गुजरने वाली थी। हालांक‍ि, अदालत के दखल पर इस आदेश पर अमल रुक गया।

धर्मांतरण विरोधी कानून में संशोधन के लिए विधेयक

इसके बाद जुलाई के अंत में राज्य सरकार ने धर्मांतरण विरोधी कानून में संशोधन के लिए एक विधेयक पेश किया, जिससे उत्तर प्रदेश गैरकानूनी धर्म परिवर्तन निषेध अधिनियम, 2021 को और अधिक सख्त बना दिया गया। यूपी विधानसभा ने 30 जुलाई को संशोधन विधेयक पारित किया, जिसमें “लव जिहाद” को खत्म करने के अपने इरादे को फिर से रेखांकित किया गया। लव जिहाद शब्द भाजपा नेताओं सहित हिंदू दक्षिणपंथी समूहों द्वारा उस कथित साजिश को दिया गया है, जिसमें कहा गया है कि मुस्लिम पुरुष हिंदू महिलाओं को शादी का प्रलोभन देकर उनका धर्म परिवर्तन करना चाहते हैं।

‘एंटी-रोमियो स्क्वॉड’ को फिर से एक्टिव करने का निर्देश

पिछले हफ्ते सीएम ने पुलिस अधिकारियों को “एंटी-रोमियो स्क्वॉड” को फिर से सक्रिय करने का निर्देश दिया। इसका गठन 2017 में पहली बार योगी के उत्‍तर प्रदेश की कमान संभालने के बाद किया गया था। आदित्यनाथ के सत्ता में लौटने के बाद स्क्वॉड को 2022 में थोड़े समय के लिए फिर से तैनात किया गया था लेकिन फिर से उन्हें रोक दिया गया।

इन दस्तों में पुरुष पुलिसकर्मियों के साथ-साथ सादा कपड़ों में ज्यादातर महिला पुलिस अधिकारी शामिल होती हैं। इन्‍हें सड़कों पर महिलाओं और लड़कियों के यौन उत्पीड़न की घटनाओं पर पर अंकुश लगाने के लिए सड़क पर उतारा गया था। सार्वजनिक स्थानों पर जोड़ों को परेशान करने की रिपोर्ट आने के बाद 2019 के आसपास इस दस्‍ते को निष्क्रिय कर दिया गया था।

सीएम योगी की सनातन धर्म को सुरक्षित रखने की अपील

इसके बाद पिछले हफ्ते एक कार्यक्रम में जहां राम मंदिर आंदोलन के ध्वजवाहक परमहंस रामचन्द्र दास की प्रतिमा का अनावरण किया गया, आदित्यनाथ ने सनातन धर्म को खतरे में डालने वाले संकट के खिलाफ एकता की अपील की। राम मंदिर के निर्माण का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह अंतिम गंतव्य नहीं बल्कि एक मील का पत्थर है और सनातन धर्म को सुरक्षित करने का अभियान जारी रहना चाहिए।

पिछले हफ्ते ही योगी आदित्यनाथ ने बांग्लादेश संकट और पड़ोसी देशों में हिंदुओं की स्थिति पर भी चर्चा की। उन्होंने आरोप लगाया कि वोट-बैंक की राजनीति के कारण विपक्ष उनके बारे में चुप्पी साधे हुए है। उन्होंने कहा, “बांग्लादेश के हिंदुओं की रक्षा करना और संकट के समय में उनका समर्थन करना हमारा कर्तव्य है और हम हमेशा उनके साथ खड़े रहेंगे। परिस्थितियाँ कैसी भी हों, हमारे मूल्य अटल रहते हैं। बांग्लादेश में हिंदू होना कोई गलती नहीं बल्कि एक आशीर्वाद है।”

मजबूत हिंदू नेता होने की योगी आदित्यनाथ की छवि

योगी आदित्यनाथ की राजनीतिक यात्रा तब शुरू हुई जब उनके गुरु महंत अवैद्यनाथ ने उन्हें अपनी राजनीतिक और धार्मिक जिम्मेदारियाँ सौंपी और योगी 1998 में गोरखपुर के सांसद बने। 26 साल की उम्र में वह लोकसभा के लिए चुने जाने वाले सबसे कम उम्र के सांसदों में से एक बन गए।

इसके तुरंत बाद गोरखनाथ मठ के इस युवा महंत ने एक मजबूत हिंदू नेता होने की अपनी छवि को चमकाया। साल 2002 में उन्होंने हिंदू युवा वाहिनी नामक एक संगठन बनाया। आदित्यनाथ के पैदल सैनिकों का यह संगठन अगले पांच सालों में पूर्वी यूपी में फैल गया और गोरखपुर, देवरिया, कुशीनगर, महाराजगंज, संत कबीर नगर, बस्ती, सिद्धार्थनगर, बलरामपुर, गोंडा, फैजाबाद, मऊ, आज़मगढ़, ग़ाज़ीपुर, जौनपुर और बलिया जैसे जिलों में काफी प्रभाव डाला। 2011 की शुरुआत तक, संगठन ने पूर्वी यूपी से परे जिलों में अपनी उपस्थिति दर्ज की और मध्य और पश्चिम यूपी इकाइयों का गठन किया।

हिंदू युवा वाहिनी के कई पदाधिकारियों को हिंसा में शामिल होने के लिए आपराधिक मामलों का सामना करना पड़ा। यहां तक ​​कि आदित्यनाथ के खिलाफ भी मामले दर्ज थे। 2005 में, अपने भड़काऊ भाषणों के लिए जाने जाने वाले आदित्यनाथ, मऊ में सांप्रदायिक दंगे भड़कने के बाद मऊ की ओर बढ़े लेकिन उन्हें रोक दिया गया। जनवरी 2007 में एक हिंदू युवक की मौत के बाद गोरखपुर में भड़के सांप्रदायिक दंगों के बाद दर्ज मामलों में उनका नाम लिया गया था। बाद में सरकार ने केस वापस ले लिया था।

योगी की छवि में बदलाव

योगी आदित्यनाथ ने हालांकि 2017 में मुख्यमंत्री बनने के बाद अधिक उदारवादी रुख अपनाने की कोशिश की। सबसे पहले, उन्होंने हिंदू युवा वाहिनी को भंग कर दिया। उन्होंने कांवड़ यात्रा पर तीर्थयात्रियों पर फूलों की वर्षा करने के लिए हेलीकॉप्टरों का उपयोग करने की परंपरा शुरू की। तब से यह प्रथा हर साल जारी है। आदित्यनाथ ने अवैध बूचड़खानों के खिलाफ भी कदम उठाया, जिससे उन्हें बंद करना पड़ा।

2022 में सत्ता में लौटने के बाद आदित्यनाथ ने अपना रुख और भी नरम कर लिया। उनका अपराध के खिलाफ बुलडोजर अभियान अब ज्ञात गैंगस्टरों और उनके सहयोगियों या हिंसा भड़काने के आरोपी ताकतवर लोगों के खिलाफ काम करता है। सीएम ने अयोध्या, वाराणसी और मथुरा जैसे हिंदू तीर्थ स्थलों के विकास पर भी अधिक ध्यान केंद्रित किया और वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद विवाद और मथुरा में कृष्णजन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद से संबंधित अदालती मामलों पर बयान देने से परहेज किया।

एक बार फिर पुराने ढर्रे पर लौटते दिख रहे सीएम योगी

इस साल लोकसभा चुनाव के दौरान जबकि यूपी सरकार की बुलडोजर कार्रवाई की भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने काफी चर्चा की थी, जिन्होंने अपराध पर सख्त रुख वाली आदित्यनाथ सरकार की सराहना की थी लेकिन खुद यूपी के सीएम ने इसे ज्यादा तूल नहीं दिया।

अब जब लोकसभा चुनावों में पार्टी के खराब प्रदर्शन के बाद भाजपा में उनके प्रतिद्वंद्वियों को आवाज उठाने का मौका मिल रहा है ऐसा लगता है कि आदित्यनाथ पुराने ढर्रे पर लौटते दिख रहे हैं।