लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में उत्तर प्रदेश में 8 सीटों- अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा में 26 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे। 2019 के लोकसभा चुनाव में इसमें से सिर्फ एक लोकसभा सीट (अमरोहा) पर बीजेपी को हार मिली थी जबकि 2014 में वह सभी 8 सीटों पर जीती थी।
2019 Lok Sabha Chunav: गठबंधन और बीजेपी में था मुकाबला
2019 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में सपा, रालोद और बसपा ने मिलकर चुनाव लड़ा था। लेकिन इस बार बसपा और रालोद इस गठबंधन से बाहर हैं। बसपा अकेले चुनाव लड़ रही है जबकि रालोद एनडीए गठबंधन में शामिल है। बीजेपी ने सीट बंटवारे के तहत रालोद को बागपत और बिजनौर की सीट दी है।
आइए, पश्चिम उत्तर प्रदेश की इन सीटों पर 2014 और 2019 में क्या हुआ था, इसे समझते हैं।
Lok Sabha election Meerut 2024: मामूली अंतर से जीती थी बीजेपी, सपा के कंफ्यूजन का मिलेगा फायदा?
सबसे पहले बात करते हैं मेरठ सीट की। मेरठ सीट पर 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को जीत मिली थी। लेकिन तब जीत और हार का अंतर बेहद कम रहा था। बीजेपी के उम्मीदवार राजेंद्र अग्रवाल ने गठबंधन की ओर से बसपा उम्मीदवार हाजी याकूब कुरैशी को सिर्फ 4700 वोटों से हराया था। 2014 में भी यहां से राजेंद्र अग्रवाल ही चुनाव जीते थे।
चूंकि 2019 में बीजेपी की जीत का अंतर बेहद कम रहा था। इसलिए इस बार पार्टी ने यहां से रामायण धारावाहिक में राम की भूमिका निभा चुके अरुण गोविल को टिकट दिया है जबकि सपा के भीतर यहां टिकट को लेकर काफी कंफ्यूजन दिखाई दिया। सपा ने यहां पर पहले भानु प्रताप सिंह को टिकट दिया। उसके बाद मेरठ की सरधना सीट से विधायक अतुल प्रधान को उतारा और अंत में मेरठ की पूर्व मेयर सुनीता वर्मा को का नामांकन करवाया। बसपा ने त्यागी समुदाय से आने वाले देवव्रत त्यागी को टिकट दिया है।
| साल | जीते उम्मीदवार का नाम | हारे उम्मीदवार का नाम | विजेता पार्टी |
| 2014 | राजेंद्र अग्रवाल | मोहम्मद शाहिद अखलाक | बीजेपी |
| 2019 | राजेंद्र अग्रवाल | याकूब कुरैशी | बीजेपी |
Ghaziabad Lok Sabha seat 2024: वीके सिंह की जगह अतुल गर्ग
गाजियाबाद लोकसभा सीट से भाजपा ने पिछले दो चुनावों में लगातार 5 लाख से ज्यादा वोटों से जीत हासिल करने वाले पूर्व आर्मी चीफ वीके सिंह का टिकट काटकर स्थानीय विधायक अतुल गर्ग को चुनावी रण में अपना प्रत्याशी बनाया है। सपा और कांग्रेस के गठबंधन के तहत यहां से कांग्रेस नेता डॉली शर्मा चुनाव लड़ रही हैं। बसपा ने नंदकिशोर पुंडीर को टिकट दिया है।
बीजेपी प्रत्याशी के प्रचार के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक रोड शो कर चुके हैं। प्रधानमंत्री के नाम पर हो सकता है यहां बीजेपी को उम्मीदवार बदलने का खामियाजा नहीं भुगतना पड़े।
| साल | जीते उम्मीदवार का नाम | हारे उम्मीदवार का नाम | विजेता पार्टी |
| 2014 | वीके सिंह | राज बब्बर | बीजेपी |
| 2019 | वीके सिंह | डॉली शर्मा | बीजेपी |
Gautam Buddha Nagar Lok Sabha 2024: फिर से महेश शर्मा को टिकट
गौतम बुद्ध नगर लोक सभा सीट राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से सटी हुई है। इस सीट पर बीजेपी ने साल 2014 और 2019 के चुनाव में जीतने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. महेश शर्मा को ही उम्मीदवार बनाया है जबकि सपा ने डॉक्टर महेंद्र नागर को टिकट दिया है। बसपा की ओर से राजेंद्र सोलंकी चुनाव लड़ रहे हैं। भाजपा इसे आसान सीट मानती है।
सपा के भीतर इस सीट पर भी कंफ्यूजन दिखाई दिया। पार्टी ने पहले डॉ. महेंद्र नागर को टिकट दिया था। उसके बाद युवा कार्यकर्ता राहुल अवाना को टिकट दे दिया। लेकिन बाद में फिर से डॉ. महेंद्र नागर को प्रत्याशी बना दिया गया।
| साल | जीते उम्मीदवार का नाम | हारे उम्मीदवार का नाम | विजेता पार्टी |
| 2014 | डॉ. महेश शर्मा | नरेंद्र भाटी | बीजेपी |
| 2019 | डॉ. महेश शर्मा | सतवीर नागर | बीजेपी |
Bulandshahr Lok Sabha seat 2024: दो बार जीत चुके हैं भोला सिंह
बीजेपी साल 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में बुलंदशहर (सुरक्षित) सीट से लगातार जीत हासिल कर चुकी है। दोनों ही मौकों पर भोला सिंह ने विपक्षी उम्मीदवारों को हराया है। बीजेपी ने इस बार फिर से भोला सिंह पर भरोसा जताया है जबकि गठबंधन के तहत कांग्रेस के उम्मीदवार शिवराव वाल्मीकि इस सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। बसपा ने यहां से 2019 के लोकसभा चुनाव में नगीना सीट से चुनाव जीते गिरीश चंद्र जाटव को टिकट दिया है। चूंकि बीजेपी यहां से पिछले दोनों चुनाव जीत चुकी है इसलिए वह यहां मजबूत दिखाई देती है।
| साल | जीते उम्मीदवार का नाम | हारे उम्मीदवार का नाम | विजेता पार्टी |
| 2014 | भोला सिंह | प्रदीप कुमार जाटव | बीजेपी |
| 2019 | भोला सिंह | योगेश वर्मा | बीजेपी |
Mathura Lok Sabha seat Hema Malini: हेमा मालिनी फिर से लड़ रहीं चुनाव
मथुरा लोक सभा सीट को इसलिए वीआईपी सीट माना जाता है क्योंकि यहां से जानी-मानी फिल्म अभिनेत्री हेमा मालिनी चुनाव लड़ती हैं। हेमा मालिनी साल 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में यहां से जीत चुकी हैं। कांग्रेस ने यहां से मुकेश धनगर को टिकट दिया है जबकि बीएसपी की ओर से सुरेश सिंह चुनाव मैदान में हैं। कांग्रेस के उम्मीदवार मुकेश धनगर कहते हैं कि मथुरा में असली लड़ाई बृजवासी बनाम प्रवासी की है। वह कहते हैं कि हेमा मालिनी बाहर से आई हैं।
हेमा मालिनी फिल्म अभिनेत्री होने के साथ ही पार्टी का स्टार चेहरा भी हैं। 2019 में लगभग 4 लाख और 2014 में 4 लाख से ज्यादा वोटों से जीत हासिल करने वाली हेमा मालिनी को लेकर पार्टी आश्वस्त दिखाई देती है कि वह इस बार भी यहां भगवा लहरा सकती हैं।
| साल | जीते उम्मीदवार का नाम | हारे उम्मीदवार का नाम | विजेता पार्टी |
| 2014 | हेमा मालिनी | जयंत चौधरी | बीजेपी |
| 2019 | हेमा मालिनी | कुंवर नरेंद्र सिंह | बीजेपी |
Amroha Lok Sabha seat Danish Ali: दानिश अली कांग्रेस के उम्मीदवार
अमरोहा लोकसभा सीट से दानिश अली इस बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में दानिश अली ने गठबंधन के तहत बसपा उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा था। तब उन्होंने भाजपा के नेता कंवर सिंह तंवर को हराया था। कंवर सिंह तंवर ने ही यहां से 2014 में जीत दर्ज की थी। बीजेपी ने इस बार भी तंवर को ही टिकट दिया है।
कंवर सिंह तंवर बीजेपी के मजबूत उम्मीदवार हैं इसलिए 2019 की हार के बाद भी पार्टी ने उन पर भरोसा जताया है। जबकि दानिश अली के साथ इस बार बीएसपी का वोट बैंक नहीं है। इसलिए उनके लिए चुनौतियां ज्यादा हैं।
| साल | जीते उम्मीदवार का नाम | हारे उम्मीदवार का नाम | विजेता पार्टी |
| 2014 | कंवर सिंह तंवर | हुमैरा अख्तर | बीजेपी |
| 2019 | दानिश अली | कंवर सिंह तंवर | बसपा |
Baghpat Lok Sabha seat 2024: अजित और जयंत को भी मिली हार
बागपत सीट को रालोद की परंपरागत सीट माना जाता है। 2004, 2009 के लोकसभा चुनाव में रालोद ने यह सीट अपनी झोली में डाली थी। लेकिन 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में यहां से रालोद को हार मिली थी।
2014 में यहां से पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी अजित सिंह को और 2019 के लोकसभा चुनाव में उनके बेटे जयंत चौधरी को हार का सामना करना पड़ा था। इस बार यह सीट बीजेपी ने रालोद को दी है। रालोद ने यहां से अपने पुराने कार्यकर्ता डॉ. राजकुमार सांगवान को टिकट दिया है जबकि सपा ने गाजियाबाद की साहिबाबाद सीट से विधायक रहे अमरपाल शर्मा और बसपा ने प्रवीण बैंसला को उम्मीदवार बनाया है।
चौधरी अजित सिंह के पिता और पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह भी इस सीट से सांसद रहे हैं। यहां जाट मतदाताओं का दबदबा है और बीजेपी के समर्थन से रालोद यहां जीत हासिल कर सकती है।
| साल | जीते उम्मीदवार का नाम | हारे उम्मीदवार का नाम | विजेता पार्टी |
| 2014 | सत्यपाल सिंह | गुलाम मोहम्मद | बीजेपी |
| 2019 | सत्यपाल सिंह | जयंत चौधरी | बीजेपी |
Aligarh Lok Sabha seat 2024: पिछले दो चुनाव जीत चुके हैं सतीश गौतम
अलीगढ़ लोकसभा सीट से बीजेपी ने फिर से सांसद सतीश गौतम पर दांव खेला है। सतीश गौतम यहां से साल 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में भी जीत हासिल कर चुके हैं। बसपा ने हितेंद्र कुमार उर्फ बंटी उपाध्याय को प्रत्याशी बनाया है। अलीगढ़ सीट को इसलिए भी जाना पहचाना जाता है क्योंकि यह सीट बीजेपी के बड़े नेता और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का गढ़ मानी जाती है। कल्याण सिंह के सियासी कद का फायदा बीजेपी को यहां मिलता रहा है।
उनके बेटे राजवीर सिंह उर्फ राजू भैया अलीगढ़ की पड़ोसी सीट एटा से सांसद हैं। सपा-कांग्रेस गठबंधन ने यहां से पूर्व सांसद चौधरी बिजेंद्र सिंह को टिकट दिया है।
| साल | जीते उम्मीदवार का नाम | हारे उम्मीदवार का नाम | विजेता पार्टी |
| 2014 | सतीश गौतम | अरविंद कुमार सिंह | बीजेपी |
| 2019 | सतीश गौतम | अजीत बालियान | बीजेपी |
इन 8 सीटों के 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव के परिणाम से यह साफ पता चलता है कि इन सीटों पर बीजेपी का अच्छा-खासा दबदबा है। 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी और रालोद एक साथ हैं तो सपा-कांग्रेस गठबंधन और बसपा के उम्मीदवार उन्हें चुनौती दे रहे हैं। बीजेपी को इस बार रालोद का साथ मिलने की वजह से इन सभी लोकसभा सीटों पर जाट और मुस्लिम मतदाताओं का समर्थन मिलने की उम्मीद है। इसके अलावा पार्टी केंद्र की नरेंद्र मोदी व राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार के द्वारा किए गए विकास कार्यों को भी जनता के बीच ले जा रही है।
Rajput against BJP: राजपूत समुदाय की नाराजगी
लेकिन ऐसा नहीं है कि यहां पर बीजेपी के लिए चुनौती नहीं है। लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सियासत में राजपूत समुदाय की नाराजगी काफी चर्चा में रही। इस इलाके में राजपूत समुदाय बीजेपी के खिलाफ लगातार महापंचायतें कर रहा है। इन महापंचायतों में अपील की जा रही है कि इस समुदाय के लोग बीजेपी को वोट ना दें।
इस तरह की महापंचायतें सहारनपुर, मेरठ और गाजियाबाद में हो चुकी हैं। राजपूत समुदाय के नेताओं का कहना है कि उनकी महापंचायतें जारी रहेंगी। इन महापंचायतों को क्षत्रिय स्वाभिमान सम्मेलन का नाम दिया गया है। उत्तर प्रदेश में राजपूत समुदाय की आबादी 7-8% है। पूरी खबर पढ़ने के लिए फोटो पर क्लिक करें।

Jat Politics: जाट फैक्टर हावी
जब भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सियासत पर बात होती है तो जाट समुदाय का जिक्र किए बिना यहां की राजनीति को समझ पाना आसान नहीं होता। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 10 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जिसमें इस समुदाय की आबादी 15 से 25 प्रतिशत तक है और इसलिए इसे जाट लैंड भी कहा जाता है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट समुदाय की कुल आबादी 20 प्रतिशत तक है। पूरी खबर पढ़ने के लिए फोटो पर क्लिक करें।

