प्रधानमंत्री के रूप में राजीव गांधी जब पहली बार टीवी पर नजर आए तो उन्हें साठ करोड़ लोगों ने देखा। 1986 तक यह संख्या दोगुनी हो गई। तब भी दर्शकों की यह संख्या कुल जनसंख्या का केवल दसवां हिस्सा था। लेकिन यह एक महत्वपूर्ण दर्शक वर्ग था। इसमें व्यवसायी, राजनेता, नौकरशाह, पत्रकार और अखबारों के पाठक शामिल थे। ये वे लोग थे जिनके विचार से सरकार को लेकर पब्लिक परसेप्शन बनता है।
अमृता शाह अपनी किताब ‘Telly-Guillotined How Television Changed India’ में लिखती हैं कि “यदि राजीव गांधी, इंदिरा गांधी से अधिक सफल थे, तो इसका एक कारण यह था कि वे उनके विपरीत, टेलीविजन को समझते थे। इंदिरा गांधी के समय में प्रधानमंत्री की कवरेज नीरस और पूर्वानुमानित थी, जिसमें आमतौर पर नीरस वॉयसओवर के साथ किसी शहर या गांव की उनकी यात्रा के मूक फुटेज प्रसारित जाते थे। वह वास्तव में टेलीविजन पर केवल तभी बोलती थीं जब वह राष्ट्र को संबोधित करती थीं या जब दूरदर्शन किसी सभा में उनका भाषण प्रसारित करता था।” लेकिन जब इंदिरा गांधी के बेटे राजीव गांधी ने सत्ता संभाली, तो उन्होंने इस पुराना नजरिए को त्याग दिया।
दूरदर्शन ने बदला कवरेज का तरीका
अमृता लिखती हैं कि राजीव गांधी के सलाहकारों के निर्देश पर सरकारी चैनल के न्यूज़ कार्यक्रम से प्रधानमंत्री के उन खबरों को कम किया जाने लगा जिसमें वो नहीं दिखते थे। इसकी जगह पर उन विजुअल को दिखाया जाने लगा जिसमें वह एक्शन में नजर आते थे। इस रणनीति की सफलता के केंद्र में राजीव का अपना व्यक्तित्व भी था।
हालांकि टीवी पर उनका उभार आकस्मिक नहीं था। उनकी छवि बनाने वालों को पहले ही एहसास हो गया था कि जब भी वह टेलीविजन पर राष्ट्र के नाम संबोधन पढ़ते हैं, तो बहुत बंधे-बंधे से नजर आते थे। इसलिए उन्होंने पढ़कर बोलना बंद कर दिया।
जल्द ही उनके स्टाफ को पता चला कि भले ही वह एक अच्छे वक्ता नहीं थे, लेकिन लोगों से बातचीत के दौरान उनका स्वभाव बहुत नेचुरल लगता था। इसलिए ऐसे मौको को टेलीविजन पर दिखाया जाने लगा। बच्चों के साथ उनकी मुलाकात, वाशिंगटन और दिल्ली में प्रेस क्लबों में उनका दोपहर का भोजन और इसी तरह की अन्य चीजों को खूब कवरेज मिलने लगी।
विदेशी यात्राओं के विजुअल का इस्तेमाल देश में माहौल बनाने के लिए!
‘Telly-Guillotined How Television Changed India’ में लिखा है कि राजीव गांधी की विदेशी यात्राएं, जहां वह मेजबानों और मीडिया को अपने आकर्षण और सहज व्यवहार से प्रभावित करते नजर आते थे, उन दृश्यों को भारतीय दर्शकों को जमकर दिखाया जाता था।
राजीव जब देश के पिछड़े इलाकों के दौरा करते थे तो उसकी प्रस्तुति में खास सावधानी बरती जाती थी। 1985 में प्रधानमंत्री वंचितों की समस्याओं का जानकारी लेने लिए खुद क्षेत्र में पहुंच गए। उन्होंने राजस्थान और केरल में साइलेंट वैली जैसे स्थानों का दौरा किया।
प्रधानमंत्री के प्रत्येक दौरे पर आधे घंटे का कार्यक्रम बनाने के लिए आठ घंटे के विजुअल को एडिट किया जाता था। एडिटिंग के दौरान उन हिस्सों को कार्यक्रम में शामिल किया जाता, जिसमें राजीव गांधी स्थानीय लोगों के साथ बातचीत करते, उनकी समस्याओं के प्रति सहानुभूति व्यक्त करते और दोषी सरकारी अधिकारियों की क्लास लगाते दिखाई देते थे।
राजीव गांधी का जीवनवृत
राजीव गांधी भारत के छठे प्रधानमंत्री थे। उनका कार्यकाल वर्ष 1984 से वर्ष 1989 तक रहा। राजीव गांधी ने 1984 में अपनी मां इंदिरा गांधी की हत्या के बाद प्रधानमंत्री का पद संभाला था। राजीव गांधी का जन्म 20 अगस्त, 1944 को मुंबई में हुआ था। उन्होंने यूनाइटेड किंगडम के कॉलेज में पढ़ाई की। वह 1966 में भारत लौट आए और भारत सरकार की स्वामित्व वाली इंडियन एयरलाइंस के पायलट बन गए।
राजीव गांधी ने 1968 में सोनिया गांधी से शादी की। वे अपने बच्चों राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के साथ घरेलू जीवन जीने के लिए दिल्ली में बस गए। 1980 में राजीव गांधी के भाई संजय गांधी की एक हवाई जहाज दुर्घटना में मौत हो गई, जिसके बाद वह अपनी मां इंदिरा गांधी के कहने पर अनिच्छा से राजनीति में आए।
राजीव गांधी की मां और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 31 अक्टूबर 1984 को उनके दो सिख बॉडीगार्ड ने हत्या कर दी, जिसके बाद सिखों के खिलाफ हिंसक दंगे हुए। 1984 के चुनाव में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देशव्यापी सहानुभूति ने कांग्रेस को अब तक का सबसे बड़ा लोकसभा बहुमत दिलाया। कांग्रेस 542 में से 411 सीटें जीतने में कामयाब हुई।
अपनी मां की हत्या के बाद राजीव गांधी भारत के प्रधानमंत्री बने थे। वह तब 40 साल के थे, यानी भारत का सबसे कम उम्र के प्रधानमंत्री। उन्हें शुरुआत में मिस्टर क्लीन के नाम से जाना गया। लेकिन 1987 में बोफोर्स घोटाले ने उनकी भ्रष्टाचार-मुक्त छवि को नुकसान पहुंचाया और 1989 के चुनाव में उनकी पार्टी को बड़ी हार का सामना करना पड़ा।
राजीव गांधी 1991 तक कांग्रेस अध्यक्ष रहे। 1991 में ही आम चुनाव के लिए चेन्नई के श्रीपेरंबुदूर में प्रचार करते समय, लिट्टे के आत्मघाती हमले में उनकी मौत हो गई।
राजीव गांधी को 1991 में भारत सरकार द्वारा देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। राजीव गांधी की पत्नी सोनिया गांधी 1998 में कांग्रेस अध्यक्ष बनीं।