केंद्र सरकार ने तुषार मेहता (Tushar Mehta) को सॉलिसिटर जनरल के पद पर पुनः नियुक्त किया है। भारत सरकार ने 30 जून को नोटिफिकेशन जारी कर तुषार मेहता का कार्यकाल अगले तीन वर्ष या अगले आदेश तक के लिए बढ़ा दिया है। यह मेहता का दूसरा एक्सटेंशन हैं। वह साल 2018 में पहली बार दो साल के लिए सॉलिसिटर जनरल बनाए गए थे। साल 2020 में उनका कार्यकाल जून 2023 तक बढ़ा दिया गया था। बता दें कि सॉलिसिटर जनरल का काम केंद्र सरकार को विभिन्न मुद्दों पर कानूनी राय देना होता है।

कौन हैं तुषार मेहता?

तुषार मेहता का जन्म गुजरात के जामनगर में हुआ था। जब वह 12 वर्ष के थे, तब उनके पिता का निधन हो गया था। उनके पिता एक सरकारी कर्मचारी थे। पिता की मौत के बाद मेहता का परिवार अहमदाबाद चला गया। उन्होंने शहर के एलए शाह लॉ कॉलेज से स्नातक करने के बाद 1987 में एक वकील के रूप में अपना करियर शुरू किया।

साल 1988 में वह गुजरात उच्च न्यायालय के वरिष्ठ वकील कृष्णकांत वखारिया के साथ बतौर प्रशिक्षु जुड़ गए। वखारिया सहकारी समितियों से संबंधित कानूनों के विशेषज्ञ भी थे।

द संडे एक्सप्रेस (The Sunday Express) को दिए इंटरव्यू में वखारिया, मेहता को बुद्धिमान, मेहनती, कुशल वकील के रूप में याद करते है। वखारिया ने बताया था कि मेहता उच्च न्यायालय में प्रैक्टिस करना चाहते थे। मैंने उन्हें पहला बड़ा ब्रेक दिया था।

शाह के ‘दोस्त’ हैं मेहता

साल 2000 में मेहता, विभिन्न अदालतों में अहमदाबाद जिला सहकारी बैंक को रिप्रेजेंट करने लगे, जिसके अध्यक्ष अमित शाह थे। वखारिया बताते हैं कि मेहता और शाह जल्द ही ‘दोस्त’ बन गए।

मेहता ने गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन के चुनावों के मामले में भी शाह का प्रतिनिधित्व किया। गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन, बीसीसीआई का ही एक उपक्रम है। पहले इस निकाय पर कांग्रेस नेता नरहरि अमीन का नियंत्रण था। साल 2009 में शाह गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन के वाइस प्रेसिडेंट बने।

मेहता अपनी प्रैक्टिस शुरू करने से पहले लगभग 2004 तक वखारिया के साथ रहे। मेहता का आगे बढ़ना 2008 में शुरू हुआ, जब गुजरात में गृह और कानून मंत्रालय संभालने वाले तत्कालीन जूनियर मंत्री अमित शाह ने उन्हें Additional Advocate General (AAG) नियुक्त किया।

मेहता के जूनियर के रूप में काम कर चुके देवांग व्यास ने द संडे एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में बताया था कि बतौर AAG मेहता ने सरकार के लिए ज्यादातर civil litigation के मामले देखे। व्यास अब गुजरात हाईकोर्ट में भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल हैं।

मेहता के साथ अपनी पहली मुलाकात को याद करते हुए व्यास ने कहा था, “वखारिया साहब ने मुझे तुषार भाई के पास यह कहकर भेजा था कि अगर वह मंजूरी दें तो मुझे नियुक्त किया जा सकता है। मैंने मीटिंग के लिए तीन घंटे तक इंतजार किया और जब हम मिले तो उन्होंने मुझे वापस भेज दिया और मुझसे ‘उचित कपड़े पहनने’ के लिए कहा। उन दिनों मेरे लंबे बाल हुआ करते थे। मैं अगले दिन बाल कटवाने के बाद वापस आया और मुझे काम मिल गया।”

सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले में सरकार का किया बचाव

साल 2010 में मेहता ने सोहराबुद्दीन शेख मुठभेड़ मामले में गुजरात सरकार का पक्ष रखा था। इस मामले में अमित शाह आरोपी थे। मुंबई की एक अदालत ने 2014 में शाह को बरी कर दिया।

साल 2014 में जब नरेंद्र मोदी पीएम बने, तो मेहता को तत्कालीन अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी की टीम के छह अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल में नियुक्त किया गया। तब मेहता को ‘बाहरी’ व्यक्ति के रूप में देखा गया था क्योंकि टीम में मुख्य रूप से दिल्ली के वकील थे जिन्हें अरुण जेटली के करीबी के रूप में जाना जाता था।

प्रधानमंत्री का आया कॉल

मेहता इस बात पर ज़ोर देते हैं कि दिल्ली जाना उनके लिए आश्चर्य की बात थी। मेहता ने द संडे एक्सप्रेस को बताया था, “मैंने हाल ही में अहमदाबाद में अपने कार्यालय का विस्तार किया था और उसका रिनोवेशन कराया था। फिर प्रधानमंत्री का फोन आ गया।”

2017 में मुकुल रोहतगी ने एजी का पद छोड़ दिया, जिससे सरकार की कानूनी टीम में इस्तीफे की बाढ़ आ गई। ऐसे हर इस्तीफे के साथ, मेहता और भी अपरिहार्य हो गए। तत्कालीन एसजी रंजीत कुमार ने “व्यक्तिगत कारणों” का हवाला देते हुए अक्टूबर 2017 में इस्तीफा दे दिया, यह पद एक साल से अधिक समय तक खाली रहा जब तक कि अंततः 10 अक्टूबर, 2018 को मेहता को भारत का सॉलिसिटर जनरल नियुक्त नहीं किया गया।