साल 1978 की बात है। भारत के तत्कालीन रक्षा मंत्री जगजीवन राम की पोती मेधावी कीर्ति उन दिनों दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की छात्रा थीं। मेधावी कीर्ति ने अचानक क्लास लेना बंद कर दिया। जेएनयू में अटेंडेंस की कोई बाध्यता नहीं होती। इसलिए शिक्षकों ने उनके क्लास न लेने पर कोई आपत्ति दर्ज नहीं कराई, लेकिन हद तो तब हो गई जब मेधावी ने परीक्षा भी नहीं दी।

मेधावी कीर्ति के लेक्चरर रहे पुष्पेश पंत ने एक हालिया इंटरव्यू में बताया है कि उन्होंने मेधावी कीर्ति का मुद्दा तत्कालीन डीन विमल प्रसाद के समक्ष उठाया था। उन्होंने विमल प्रसाद से पूछा था कि इस लड़की का क्या किया जाए, यह न तो क्लास ले रही है, न वर्क कर रही है, न ही परीक्षा दे रही है।

पुष्पेश पंत बताते हैं कि विमल प्रसाद ने उन्हें सुझाव दिया कि वह मेधावी को पास कर दें क्योंकि उनके पिता की तस्वीर मैगजीन में छप गयी है। लेकिन पंत ने मेधावी को पास करने से इनकार कर दिया और विमल प्रसाद के सामने एक शर्त रख दी।

पुष्पेश पंत की शर्त और मेधावी कीर्ति के पास होने के प्रसंग को जानें उससे पहले, उस तस्वीर के बारे में जान लेते हैं जिसका जिक्र विमल प्रसाद ने किया था।

पत्रिका में छपी थी पिता की नंगी तस्वीर

केंद्र में जनता पार्टी की सरकार थी। मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री थे। यह सरकार आपातकाल के बाद हुए चुनाव में कांग्रेस और इंदिरा गांधी को सत्ता से बेदखल कर बनी थी। इमरजेंसी के दौरान इंदिरा कैबिनेट के हिस्सा रहे जगजीवन राम मोरारजी देसाई सरकार में रक्षा मंत्री थे। हालांकि वह प्रधानमंत्री बनना चाहते थे और शायद बन भी जाते लेकिन उनके बेटे के स्कैंडल ने उन्हें काफी हद तक पीछे धकेल दिया।

दरअसल मेधावी कीर्ति के पिता और जगजीवन राम के बेटे सुरेश राम की शारीरिक संबंध बनाने की तस्वीर ‘सूर्या इंडिया’ नामक पत्रिका में छप गयी थी। सूर्या इंडिया की शुरुआत इंदिरा गांधी की छोटी बहू मेनका गांधी की मां अमरदीप कौर आनंद ने की थी। साल 1978 में जब सुरेश राम की तस्वीर छपी, तब मैगजीन की संपादक खुद मेनका गांधी थीं।

दिलचस्प यह है कि पुष्पेश पंत भी कभी ‘सूर्या इंडिया’ के लिए लिखा करते थे। वह सूर्या इंडिया के दूसरे अंक से ही उससे जुड़े थे। वह कहते हैं कि उन्हें पत्रिका में लिखने के लिए अच्छा पैसा मिलता था।

खैर, कहा जाता है कि सुरेश राम की आपत्तिजनक तस्वीर तत्कालीन कांग्रेस नेत्री मेनका गांधी ने बागी जगजीवन राम (दलित नेता जगजीवन राम ने इमरजेंसी के बाद हुए चुनाव के दौरान कांग्रेस का साथ छोड़ दिया था) को कमजोर करने के लिए छापा था।

सुरेश राम की नंगी तस्वीर छपने के साथ ही भारतीय राजनीति में भूचाल आ गया था। ऐसा माना जाता है कि उस स्कैंडल के सूत्रधार खुशवंत सिंह थें क्योंकि तस्वीर उनके हाथ से ही मेनका तक पहुंची थी। तब वह कांग्रेस के अखबार नेशनल हेराल्ड के प्रधान संपादक और सूर्या पत्रिका के कंसल्टिंग एडिटर हुआ करते थे। हालांकि सिंह ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि वह तस्वीरों को छापने के खिलाफ थे क्योंकि वह किसी पोर्न से कम नहीं थीं।

तस्वीरों में क्या था?

तस्वीरों में सुरेश राम दिल्ली विश्वविद्यालय के सत्यवती कॉलेज की एक छात्रा के साथ शारीरिक संबंध बनाते नजर आ रहे थे। तस्वीरें उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के एक गांव में ली गयी थीं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, स्कैंडल के बाद सुरेश राम ने उस लड़की से शादी कर ली थी। लेकिन सुरेश की मौत के बाद जगजीवन राम के परिवार ने लड़की को नहीं अपनाया। बता दें कि सुरेश राम अपने पिता जगजीवन राम या बहन मीरा कुमार की तरह राजनीति में नहीं थे।

तो परीक्षा में कैसे पास हुईं मेधावी?

दी लल्लनटॉप को दिए इंटरव्यू में पुष्पेश पंत बताते हैं कि उन्होंने मेधावी कीर्ति को पास कर देने के विमल प्रसाद के सुझाव को ठुकरा दिया। लेकिन साथ ही यह कहा कि अगर मेधावी के परिजन खुद आकर अपनी लड़की की पैरवी करते हैं तो वह उसे पास कर देंगे।

इसके बाद विमल प्रसाद ने रात के वक्त मेधावी की मां को पुष्पेश पंत से मिलने के लिए भेज दिया। मेधावी की मां ने पुष्पेश पंत को अपने परिवार की स्थिति बताई। मेधावी की परिस्थिति को बताया। सभी बातों को सुनने के बाद पंत ने मेधावी की मां को आश्वस्त किया कि उनकी बेटी को पास कर दिया जाएगा। और बाद में ऐसा हुआ भी।

पुष्पेश पंत बाद में जेएनयू में प्रोफेसर बनें। अब वह रिटायर हो चुके हैं। वर्तमान में पंत को बतौर फूड क्रिटिक अधिक जाना जाता है। मेधावी कीर्ति 1987 में हरियाणा की स्वास्थ्य एवं शिक्षा मंत्री बनी थीं। 19 मार्च 2016 को उनकी मौत हो गयी थी।