अगर केंद्र सरकार की हरी झंडी म‍िल जाए तो सुप्रीम कोर्ट में पहली बार मण‍िपुर का कोई जज न‍ियुक्‍त होगा। सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्‍यक्षता वाली कॉलेज‍ियम ने अपनी ओर से इसका रास्‍ता साफ कर द‍िया है।

कॉलेजियम ने गुरुवार को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट के वर्तमान चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति एन कोटिस्वर सिंह और मद्रास हाई कोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति आर महादेवन को सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत करने की सिफारिश की। जस्टिस सिंह मूल रूप से मणिपुर के रहने वाले हैं। उनके प‍िता भी जज थे।

मणिपुर से सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होने वाले पहले जज बन सकते हैं जस्‍ट‍िस स‍िंंह

सुप्रीम कोर्ट में कुल 34 जज होते हैं। अभी 32 हैं। 10 अप्रैल, 2024 को जस्‍ट‍िस अन‍िरुद्ध बोस और 19 मई, 2024 को जस्‍ट‍िस ए.एस. बोपन्‍ना के र‍िटायर होने से दो जजों के पद खाली हैं।

खाली पदों को भरने के ल‍िए सरकार को भेजे गए कॉलेजियम के प्रस्ताव में कहा गया है, “सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति सिंह की नियुक्ति उत्तर-पूर्व को प्रतिनिधित्व देगी और विशेष रूप से वह मणिपुर राज्य से सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होने वाले पहले न्यायाधीश होंगे।”

प्रस्ताव में आगे कहा गया है कि जस्टिस सिंह का न्यायिक क्षमता और प्रशासनिक स्तर पर उनके द्वारा किए गए कार्यों के संदर्भ में एक त्रुटिहीन रिकॉर्ड है।

प्रस्‍ताव में आगे कहा गया है, “जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लिए उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में, न्यायिक क्षमता और प्रशासनिक पक्ष पर उनके द्वारा किए गए कार्यों के संदर्भ में न्यायमूर्ति सिंह का एक त्रुटिहीन रिकॉर्ड है। उम्मीदवारी पर विचार करते हुए न्यायमूर्ति एन कोटिस्वर सिंह के न्यायिक प्रदर्शन, प्रशासनिक कौशल, ईमानदारी और योग्यता को देखते हुए कॉलेजियम का मानना ​​​​है कि वह सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होने के लिए बिल्कुल उपयुक्त हैं।”

कौन हैं जस्टिस एन.के सिंह?

न्यायमूर्ति एनके सिंह का जन्म 1 मार्च, 1963 को इंफाल में हुआ था। उनके पिता स्‍वर्गीय एन. इबोटोम्बी सिंह गौहाटी उच्च न्यायालय में जज थे। वह मण‍िपुर के पहले महाध‍िवक्‍ता भी थे।

जस्टिस एनके सिंह ने किरोड़ीमल कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय से 1983 में बीए (ऑनर्स) राजनीति विज्ञान में किया और 1986 में कैंपस लॉ सेंटर, लॉ फैकल्टी, दिल्ली विश्वविद्यालय से एलएलबी की। न्यायमूर्ति एन. कोटिस्वर सिंह ने 1986 में दिल्ली बार काउंसिल में एक वकील के रूप में नामांकन किया। इसके बाद उन्होंने असम, नागालैंड, मेघालय, मणिपुर, त्रिपुरा, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम बार काउंसिल में भी काम किया।

सुप्रीम कोर्ट में भी की है वकालत

थोड़े समय के लिए सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करने के बाद जस्टिस कोटिस्वर ने गुवाहाटी उच्च न्यायालय में प्रैक्टिस की। उन्होंने केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट), गुवाहाटी जिला अधीनस्थ न्यायालयों और मणिपुर में विभिन्न न्यायाधिकरणों के समक्ष भी अभ्यास किया। न्यायमूर्ति एन कोटिस्वर ने मुख्य रूप से सिविल, आपराधिक, संवैधानिक और सेवा मामलों में वकालत की।

उन्होंने 2007 तक मणिपुर राज्य के महाधिवक्ता के रूप में कार्य किया और 2008 में गुवाहाटी उच्च न्यायालय द्वारा उन्हें वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया गया था।

2011 में गुवाहाटी उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश बने थे जस्टिस कोटेस्वर सिंह

अक्टूबर 2011 में जस्टिस कोटेस्वर सिंह ने गुवाहाटी उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में अपना न्यायिक करियर शुरू किया था। 2012 में उन्हें स्थायी न्यायाधीश बनाया गया। 2013 में उन्हें मणिपुर उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। बाद में उन्हें 2018 में गुवाहाटी उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया गया था। जस्टिस एन कोटिस्वर सिंह को फरवरी 2023 में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था।

अगर जस्‍ट‍िस स‍िंंह की न‍ियुक्‍त‍ि को सरकार की हरी झंडी म‍िल जाती है और वह सुप्रीम कोर्ट के जज बन भी जाते हैं तो ज्‍यादा वक्‍त वहां रह नहीं पाएंगे। उनका र‍िटायरमेंट फरवरी, 2025 में ही है।

कौन हैं न्यायमूर्ति महादेवन?

अक्टूबर 2013 में मद्रास उच्च न्यायालय में नियुक्त न्यायमूर्ति महादेवन तमिलनाडु के एक पिछड़े समुदाय से हैं। कॉलेजियम ने कहा कि उनकी नियुक्ति से पीठ में विविधता आएगी। रिसोल्यूशन में बताया गया कि क्यों न्यायमूर्ति महादेवन को मद्रास उच्च न्यायालय के दो वरिष्ठ न्यायाधीशों पर प्राथमिकता दी गई। उसमें लिखा है, “कॉलेजियम ने पिछड़े समुदाय को प्रतिनिधित्व देने के लिए न्यायमूर्ति आर महादेवन की उम्मीदवारी को प्राथमिकता दी है।”

सुप्रीम कोर्ट में कैसे होती है जजों की नियुक्ति?

भारत में 1993 तक न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा मुख्य न्यायाधीश और सर्वोच्च न्यायालय के दो वरिष्ठतम न्यायाधीशों के परामर्श से की जाती थी। 1993 के बाद से कॉलेजियम सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्तियों और ट्रांसफर पर निर्णय लेती है।

सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया

संविधान के अनुच्छेद 124 (2) में उच्च न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया बतायी गयी है। जिसके मुताबिक, “सर्वोच्च न्यायालय के प्रत्येक न्यायाधीश की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाएगी, उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों से परामर्श के बाद। वह 65 वर्ष की आयु तक पद पर बने रहेंगे। मुख्य न्यायाधीश के अलावा किसी अन्य न्यायाधीश की नियुक्ति के मामले में, सीजेआई से हमेशा परामर्श किया जाएगा।”

कॉलेजियम के तहत कैसे होती है जजों की नियुक्ति

कॉलेजियम प्रणाली के तहत भारत के मुख्य न्यायाधीश और 4 वरिष्ठतम जज उम्मीदवारों को सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट न्यायाधीशों के रूप में नियुक्त करने के लिए राष्ट्रपति को सिफारिशें भेजते हैं।

सर्वोच्च न्यायालय के लिए कॉलेजियम की सिफारिशें दो प्रकार की हो सकती हैं- एक जब उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को सर्वोच्च न्यायालय में पदोन्नत किया जाना हो और दूसरा जब वरिष्ठ वकीलों को सीधे सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया जाता है। उच्च न्यायालयों में नियुक्तियों के लिए, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम में केवल 3 न्यायाधीश होते हैं – भारत के मुख्य न्यायाधीश और दो वरिष्ठतम न्यायाधीश। सुप्रीम कोर्ट में नियुक्तियों के लिए कॉलेजियम में पांच जज (अभी 6) होते हैं।

सर्वोच्च न्यायालय की तरह, उच्च न्यायालयों में भी एक कॉलेजियम होता है, जिसके अध्यक्ष उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश होते हैं और दो वरिष्ठतम न्यायाधीश सदस्य होते हैं। हाई कोर्ट कॉलेजियम अपनी न्यायिक नियुक्तियों की सिफारिश केवल सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम को भेजता है।

और क‍िन जजों की न‍ियुक्‍त‍ि पर कॉलेज‍ियम ने दी हरी झंडी

चार घंटे की मीटिंग के बाद, सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व में कॉलेजियम ने सर्वसम्मति से मणिपुर से शीर्ष अदालत में पहला जज भेजने देने का फैसला किया। इस कॉलेजियम में सीजेआई चंद्रचूड़ के अलावा जस्टिस संजीव खन्ना, बीआर गवई, सूर्यकांत और हृषिकेश रॉय शामिल थे।

कॉलेजियम ने दो नामों का चयन करने से पहले वरिष्ठता, योग्यता जैसे फैक्टर्स पर विचार किया। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में वर्तमान में 32 न्यायाधीश हैं, जो जजों की स्वीकृत संख्या 34 से दो कम हैं। जस्टिस हिमा कोहली सितंबर में रिटायर होने वाली हैं, जिस कारण नई नियुक्ति करने की शीघ्र जरूरत है।

इसके साथ ही कॉलेजियम ने दिल्ली, मद्रास, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख, मध्य प्रदेश, केरल, झारखंड और मेघालय सहित आठ उच्च न्यायालयों के लिए नए मुख्य न्यायाधीशों के नामों को भी अंतिम रूप दिया।