भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 21 मई, 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में हत्या कर दी गई थी। राजीव गांधी पर एक चुनावी रैली के दौरान आत्मघाती हमला हुआ था। लिट्टे की महिला चरमपंथी धनु ने खुद को पूर्व पीएम के पास बम से उड़ा लिया था। हमले में राजीव और हमलावर धनु समेत 16 लोगों की मौत हुई थी। 45 लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे।

सोनिया गांधी को कैसे पता चला?

इस घटना के वक्त राजीव गांधी की पत्नी सोनिया गांधी अपनी बेटी प्रियंका गांधी के साथ 10 जनपथ स्थित आवास के शयनकक्ष में थीं। राजीव के निजी सचिव विंसेंट जॉर्ज भी दिल्ली में ही थी। जॉर्ज को जैसे ही हमले की सूचना मिली वह 10 जनपथ भागे।

जॉर्ज ने चेन्नई में पी चिदंबरम की पत्नी नलिनी से हमले के बारे में पूछा। पता चला हमला राजीव गांधी को निशाना बनाते हुए किया गया है। हालांकि जॉर्ज अभी भी सोनिया गांधी को स्पष्ट बताने में संकोच कर रहे थे। तभी चेन्नई से खुफिया विभाग के एक अधिकारी का कॉल आया।

सोनिया गांधी की जीवनी में लेखक रशीद किदवई बताते हैं कि खुफिया विभाग का व्यक्ति सोनिया गांधी या जॉर्ज से बात करना चाहता था। फोन जॉर्ज के हाथ में था। जॉर्ज का पहला ही सवाल था कि राजीव कैसे हैं? दूसरी तरफ से पहले तो कुछ आवाज नहीं लेकिन लेकिन जॉर्ज के चिल्लाने पर एक लाइन की सूचना मिली की राजीव नहीं रहे।

सोनिया की चीत्कार से गूंज उठा था 10 जनपथ

जब फोन पर ये सब चल रहा था, सोनिया जॉर्ज के सामने खड़ी थीं। उन्होंने पहले कभी जॉर्ज को इतना बेचैन नहीं देखा। उनका चिंतित होना लाजमी था। जॉर्ज अपनी आवाज और शब्दों को संभालते हुए सोनिया को सिर्फ इतना बता पाए कि “चेन्नई में एक बम हमला हुआ है।”

‘क्या वो जिंदा हैं?’ सोनिया गांधी ने जॉर्ज की आंखों में देखते हुए पूछा। जॉर्ज ने कुछ नहीं बोला। लेकिन सोनिया सब समझ गईं। इसके बाद जो हुआ, वह 10 जनपथ में पहले कभी नहीं हुआ था। 10 जनपथ, सोनिया गांधी की सबसे बदहवास विलाप का साक्षी बना

रशीद किदवई लिखते हैं, सोनिया गांधी इतनी ज़ोर से रो रही थीं कि बाहर गेस्ट रूम में बैठे कांग्रेस नेताओं को उनका विलाप साफ सुनाई दे रहा था। रोते-रोते उन्हें अस्थमा का ज़बरदस्त अटैक पड़ा। वह लगभग बेहोशी की हालत में थीं। प्रियंका उनकी दवाई ढूंढने लगीं। लेकिन दवा नहीं मिला। वह उन्हें दिलासा देती रहीं लेकिन कोई असर नहीं हुआ।

सोनिया गांधी ने दोषी को किया माफ

राजीव गांधी हत्या मामले में ट्रायल कोर्ट ने 26 दोषियों को मौत की सज़ा सुनाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने मई 1999 में 19 लोगों को बरी कर दिया। शेष सात में चार- नलिनी, मुरुगन उर्फ श्रीहरन, संथन और पेरारिवलन को मौत की सजा हुई। रविचंद्रन, रॉबर्ट पायस और जयकुमार को उम्र कैद की सजा हुई।

हालांकि सोनिया गांधी ने नलिनी को माफ कर दिया था। दरअसल, गिरफ्तारी के वक्त नलिनी गर्भवती थीं। सोनिया गांधी की अपील पर नलिनी की सज़ा को उम्र कैद में बदल दिया गया था। सोनिया का मानना था कि नलिनी की गलती की सजा उस बच्चे को नहीं मिलनी चाहिए, जो अभी दुनिया में आया भी नहीं। नलिनी श्रीहरन सबसे लंबे समय तक जेल में रहने वाली महिला कैदी हैं। उन्होंने 31 साल कारावास की सजा काटी। वह अब जेल से बाहर हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 18 मई, 2022 को राजीव गांधी हत्याकांड मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे सभी छह दोषियों को रिहा कर दिया था।