संगरूर के सांसद सिमरनजीत सिंह मान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भगत सिंह को आतंकवादी कहकर चर्चा में है। मान ने हाल के लोकसभा उपचुनाव में मिली जीत का श्रेय जरनैल सिंह भिंडरांवाले की तालीम को दिया था। मान भिंडरांवाले के अनुयायी हैं और उन्हीं की तरह खालिस्तान की ख्वाहिश रखते हैं।

धर्म के नाम पर धर्मनिरपेक्ष भारत तो तोड़कर खालिस्तान बनाने की ख्वाहिश देश की अखंडता के लिए खतरनाक है। लेकिन सिमरनजीत सिंह मान अपने परिवार के पहले सदस्य नहीं हैं, जो देश की भावनाओं के विपरीत इच्छा रखते हों। उनके नाना ज्ञानी अरूर सिंह ने जलियाँवाला बाग नरसंहार को अंजाम देने वाले जनरल डायर को सम्मानित किया था।

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भारतीयों के हत्यारे को ‘सिरोपा’ : 13 अप्रैल 1919 को जलियाँवाला बाग में बैसाखी का उत्सव मनाने जुटे निहत्थे भारतीयों का जनरल डायर ने नरसंहार कराया था। डायर के आदेश से 50 बंदूकधारियों ने 25 से 30 हज़ार लोगों पर करीब दस मिनट तक 1650 राउंड गोलियां चलाईं थी। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, सैकड़ों और इतिहासकारों की मानें तो 1000 से अधिक लोगों की मौत हुई थी। और 1100 के करीब लोग घायल हुए थे।

भारतीयों की निर्मम के लिए जिम्मेदार इसी क्रूर अंग्रेज अफसर को सिमरनजीत सिंह मान के नाना अरूर सिंह ने स्वर्ण मंदिर में आमंत्रित किया था। डायर को सिख बनने का प्रस्ताव देते हुए उन्होंने उसे ‘सिरोपा’ से सम्मानित किया था। तब अरूर सिंह अकाल तख्त के जत्थेदार थे। तब अकाल तख्त के जत्थेदार का चुनाव अग्रेज करते थे। जलियाँवाला बाग हत्याकांड के सदमे जूझ रहे पंजाब के लोगों के लिए यह सम्मान समारोह घाव को गहरा करने वाला था।

मान की सफाई : अपने नाना की इस करतूत पर सफाई देते हुए सिमरनजीत सिंह मान ने दावा कि सम्मान समारोह खालसा कॉलेज के तत्कालीन प्रधानाचार्य जीए वाथेन की सलाह पर आयोजित किया था। अगर ऐसा नहीं किया जाता तो अंग्रेज स्वर्ण मंदिर पर बमबारी कर सकते थे।

भगत सिंह को आतंकी क्यों बताया ? : हाल में पत्रकारों के सवाल का जवाब देते हुए मान ने कहा, ”सरदार भगत सिंह ने एक युवा अंग्रेज अधिकारी को मारा था, उन्होंने एक अमृतधारी सिख कांस्टेबल चन्नन सिंह की हत्या की थी। उन्होंने उस समय नेशनल असेम्बली में बम फोड़ा था। अब आप मुझे बताइये कि भगत सिंह आतंकवादी थे या नहीं।”