हरियाणा में नजदीक आ रहे विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा जहां ओबीसी चेहरे के रूप में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को आगे कर रही है तो कांग्रेस की ओर से जाट चेहरे के रूप में पूर्व मुख्यमंत्री और अनुभवी नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा आगे हैं, ऐसे वक्त में हरियाणा के सिख समुदाय ने भी मांग की है कि उन्हें राज्य की राजनीति में उनकी आबादी के हिसाब से हिस्सेदारी दी जानी चाहिए। 

रविवार को करनाल में सिख समुदाय के लोगों ने एक बड़ी बैठक की और इसमें तमाम राजनीतिक दलों से मांग की गई कि उनके समुदाय को विधानसभा और लोकसभा चुनाव में आबादी के हिसाब से राजनीतिक हिस्सेदारी दी जाए।

सिख समुदाय के लोगों ने मांग की कि 90 सदस्यों वाले हरियाणा राज्य में विधानसभा चुनाव में उन्हें 16 से 20 सीटें दी जानी चाहिए और लोकसभा में भी उनके समुदाय के लोगों को दो सीटें और राज्यसभा की खाली सीट पर भी सिख समुदाय के किसी व्यक्ति को मौका दिया जाना चाहिए। सिख समुदाय की बैठक में करनाल, हिसार, पानीपत, अंबाला, कैथल, सिरसा और यमुनानगर के प्रतिनिधि शामिल हुए।

सिख समुदाय के लोगों ने दावा किया कि प्रदेश में 18 लाख सिख मतदाता हैं।

हरियाणा में किस समुदाय की कितनी आबादी

समुदाय आबादी
जाट27%
दलित20%
ओबीसी40.94%
मुस्लिम7%
सिख5%

लोकसभा के चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस ने किसी भी सीट पर सिख समुदाय के नेता को उम्मीदवार नहीं बनाया था। बीजेपी ने पंजाबी समुदाय से आने वाले पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को करनाल से जबकि कांग्रेस ने इसी समुदाय के राज बब्बर को गुरुग्राम से और दिव्यांशु बुद्धिराजा को करनाल से टिकट दिया था। 

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अहीरवाल के दिग्गज नेता हैं राव इंद्रजीत सिंह। (Source-PTI)

अंबाला में पहली बार सिख को दिया टिकट 

इंडियन नेशनल लोक दल (इनेलो) ने एक सिख उम्मीदवार गुरप्रीत सिंह को अंबाला (आरक्षित) लोकसभा सीट से टिकट दिया था। अंबाला लोकसभा क्षेत्र में पंचकूला, अंबाला और यमुनानगर जिले की नौ विधानसभा सीटें आती हैं, जिनमें क्रमशः पंचकूला, कालका, नारायणगढ़, अंबाला शहर, अंबाला छावनी, मुलाना, साढौरा, जगाधरी और यमुनानगर शामिल हैं। इन विधानसभा क्षेत्रों में बड़ी संख्या में सिख आबादी है।

पंजाबी समुदाय को दी थी भागीदारी

बताना होगा कि साल 2014 में जब बीजेपी ने पहली बार हरियाणा में अपने दम पर सरकार बनाई थी तो पंजाबी समुदाय से आने वाले मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री बनाया था। लेकिन इस साल मार्च में बीजेपी ने अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए ओबीसी समुदाय से आने वाले नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंप दी थी। पार्टी ने ऐलान किया है कि विधानसभा चुनाव में सैनी ही पार्टी का चेहरा होंगे।

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नायब सिंह सैनी के कंधों पर बीजेपी को जीत दिलाने की बड़ी जिम्मेदारी है। (Source-NayabSainiOfficial)

पड़ोसी राज्य पंजाब में है 58% सिख आबादी

हरियाणा से लगता हुआ राज्य पंजाब है और पंजाब में 58% सिख आबादी है। ऐसे में हरियाणा से लगते हुए पंजाब के इलाकों जैसे- सिरसा, अंबाला, कुरुक्षेत्र, कैथल में सिख समुदाय की आबादी है और लोकसभा और विधानसभा चुनाव में इनका असर भी होता है।

हरियाणा के चार लोकसभा क्षेत्रों अंबाला, करनाल, कुरुक्षेत्र और सिरसा में लगभग 20% सिख आबादी है। इन चार लोकसभा क्षेत्रों में 36 विधानसभा सीटें हैं। इसके अलावा फरीदाबाद और गुरुग्राम के शहरी इलाकों में भी सिख समुदाय के लोग रहते हैं।

बीजेपी और अकाली दल का था गठबंधन

बीजेपी और शिरोमणि अकाली दल लंबे वक्त तक पंजाब के साथ ही हरियाणा में भी मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ते थे और दिल्ली में भी भाजपा विधानसभा चुनाव में अकाली दल के लिए कुछ सीटें छोड़ देती थी लेकिन अब दोनों दलों का गठबंधन खत्म हो चुका है।

बीजेपी ने 2019 के विधानसभा चुनाव में बहुमत न मिलने पर जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के साथ मिलकर सरकार बनाई थी लेकिन कुछ महीने पहले उसने जेजेपी के साथ गठबंधन तोड़ दिया था।

पंजाब की तरह ही हरियाणा में भी सिख समुदाय के लोग खेती और किसानी के काम से जुड़े हुए हैं। किसान आंदोलन में पंजाब के साथ ही हरियाणा के भी सिख समुदाय के लोगों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया था।

भाजपा पिछले कई महीनों से पंजाब से लगने वाले हरियाणा के जिलों में रहने वाले सिख और पंजाबी समुदाय के लोगों से लगातार संपर्क कर रही है।

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हरियाणा का विधानसभा चुनाव जीत पाएगी बीजेपी?(Source-FB)

हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के चुनाव कराने की मांग

इसके अलावा हरियाणा के सिख समुदाय के सदस्यों ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से मांग की है कि विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के चुनाव कराए जाने चाहिए। इस संबंध में मुख्यमंत्री को ज्ञापन भी सौंपा गया है। 

मोदी सरकार की बताई उपलब्धियां

बीजेपी पंजाब और हरियाणा के सिख समुदाय के लोगों के बीच मोदी सरकार की तमाम उपलब्धियों का प्रचार कर रही है। इसमें करतारपुर गलियारे को फिर से खोलना, गुरु गोबिंद सिंह को श्रद्धांजलि देने के लिए 26 दिसंबर को ‘वीर बाल दिवस’ के रूप में घोषित करना, 1984 के दंगों में शामिल लोगों को दोषी ठहराना आदि शामिल है। इसके अलावा दंगा पीड़ित सिख परिवारों को मुआवजा देने की बात भी सिखों के बीच पहुंचाई जा रही है।

देखना होगा कि सिख समुदाय की इस मांग को बीजेपी और कांग्रेस कितनी गंभीरता से लेते हैं और विधानसभा के चुनाव में इस समुदाय के लोगों को कितनी राजनीतिक भागीदारी देंगे। 

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पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुडा और सीएम नायब सैनी। (Source- FB)

बीजेपी-कांग्रेस में जोरदार मुकाबले के आसार

हरियाणा के लोकसभा चुनाव के नतीजों से साफ पता चलता है कि इस बार के विधानसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के बीच जोरदार लड़ाई होने जा रही है क्योंकि हरियाणा की 90 में से 44 सीटों पर बीजेपी आगे रही है जबकि 46 सीटों पर इंडिया गठबंधन। इंडिया गठबंधन में कांग्रेस 42 और आप चार विधानसभा सीटों पर आगे रही है। लेकिन विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और आप अकेले-अकेले चुनाव मैदान में उतरेंगे।