आरुषि जैन

हिंदी सिनेमा के 70 दशक की मशहूर अदाकारा जीनत अमान अब खुद 70 के पार हो चुकी हैं। हालांकि उम्र का बढ़ना उनके लिए कोई परेशानी की बात नहीं है। उनका मानना है कि बूढ़ा होना युवा होने जितना ही ‘अद्भुत’ है। जीनत अमान को हिंदी फिल्मों में नायिकाओं की भूमिका को नई तरह से परिभाषित करने के लिए जाना जाता है।

उनके ही ज़माने में नायिकाओं को ‘दुखियारी’ और ‘बेचारी’ से अपनी शर्तों पर जीने वाली में महिलाओं में बदलते देखा गया। यह बदलाव सिर्फ अभिनेत्रियों द्वारा निभाई जाने वाली भूमिकाओं तक ही सीमित नहीं था। बल्कि लुक और स्टाइल में भी दिखा। जीनत अमान ने अभिनेत्रियों को अपना आकर्षक पक्ष बेबाकी से दिखाने और अपनी पसंद की कोई भी ड्रेस पहनने की हिम्मत दी। उन्होंने ‘पारंपरिक ही सुंदर है’ की अवधारणा को तोड़ा।

दो साल की थीं, तब माता-पिता का हुआ तलाक

जीनत अमान का जन्म 19 नवंबर, 1951 को एक मुस्लिम पिता और एक महाराष्ट्रीयन हिंदू मां के घर में हुआ था। उन्होंने पंचगनी के एक बोर्डिंग स्कूल में नौ साल बिताए। जब वह दो साल की थी तब उनके माता-पिता का तलाक हो गया। उनकी मां ने एक जर्मन व्यक्ति से शादी कर ली। हालांकि जीनत ने इन सब का असर अपनी पढ़ाई पर नहीं पड़ने दिया। वह अपने स्कूल में हेड गर्ल थीं। आईएससी में उनके इतने अच्छे नंबर आए कि उन्हें छात्रवृत्ति मिल गई, जिससे वह एक वर्ष की हाई स्कूल की पढ़ाई के लिए कैलिफोर्निया जा सकीं।

भारत लौटने पर उन्होंने कुछ समय तक मॉडलिंग की और मिस इंडिया प्रतियोगिता में एंट्री ली। उन्होंने मिस एशिया पैसिफिक का खिताब जीता और ओपी रल्हन की फिल्म हलचल (1971) में एक छोटी सी भूमिका से डेब्यू किया। उस समय, जीनत सहित किसी ने भी नहीं सोचा था कि वह एक सनसनी बन जाएंगी और हिंदी सिनेमा में शीर्ष स्थान हासिल कर लेंगी।

जीनत अमान (Express archive photo)

नहीं आती थी हिंदी, UN जाकर दुभाषिया बनना चाहती थीं

एक इंटरव्यू में जीनत अमान ने बताया था, “मैंने सोचा भी नहीं था कि हिंदी फिल्म की नायिका बन जाऊंगी। मैं लैंग्वेज की पढ़ाई करने के बाद, यूएन जाकर दुभाषिया बनना चाहती थी।” लेकिन उन्हें क्या पता था कि देव आनंद से एक मुलाकात उनके करियर की दिशा हमेशा के लिए बदल देगी।

देव आनंद ने उन्हें हरे राम हरे कृष्णा के लिए कास्ट किया था। जीनत बताती हैं, “उन्हें (देव आनंद) मैं दूसरों से अलग लगी। मैं साउथ कैलिफ़ोर्निया से आयी एक कम उम्र की लड़की थी, जो अपने पीने के लिए पाइप तैयार कर रही थी।” उन्होंने यह भी खुलासा किया कि वह अभिनेत्री बनने के लिए इतनी तैयार नहीं थीं। उन्हें हिंदी भी नहीं आती थी और उन्होंने फिल्म के लिए अपना स्क्रीन टेस्ट अंग्रेजी में ही दिया था। लेकिन आनंद के कैमरामैन ने उनकी बात मान ली और आखिरकार उन्हें ‘दम मारो दम’ मिल गया।

फिल्म हरे राम हरे कृष्णा में देव आनंद के साथ जीनत अमान (Express archive photo)

सलवार कमीज पहनने से किया इनकार

अपनी बाद की फिल्मों में ज़ीनत ने हिंदी फिल्म में दशकों से चले आ रहे नायिका के चित्रण के तरीके को बदल दिया। उन्होंने फिल्म ‘यादों की बारात’ में लोकप्रिय फिल्म निर्माता नासिर हुसैन को अपनी नायिकाओं के प्रति उनके दृष्टिकोण को बदलने के लिए प्रेरित किया। फिल्म में अपने सुपरहिट गाने ‘चुरा लिया है तुमने जो दिल को’ की शूटिंग के दौरान उन्होंने गुलाबी सलवार-कमीज पहनने से इनकार कर दिया था।

जीनत अमान ने एक कार्यक्रम में शोमा चौधरी को बताया था, “नासिर हुसैन की प्रेरणा आशा पारेख थीं और वह अपनी नायिकाओं को उसी तरह से तैयार करने के आदी थे। इसलिए उन्होंने मुझे भी आशा पारेख की तरह कपड़े पहनाए। मैं बहुत पतली थी और उस गुलाबी कमीज-सलवार और नीले वास्कट में बेहद भड़कीली लग रही थी। जब मैंने इसे देखा, तो कहा, ‘सर, नहीं। यह काम ही नहीं कर रहा है। मैंने वह पोशाक चुनी जो मैं गाने में पहना है।”

ऐसा नहीं था कि हिंदी फिल्म उद्योग में अभिनेत्रियां पहले बिकनी (नूतन और शर्मिला टैगोर) या पश्चिमी कपड़े (तनुजा) नहीं पहनती थीं। लेकिन आत्मविश्वास के साथ स्टाइल और सेंसुअलिटी की सीमाओं को आगे बढ़ाते हुए, जीनत अमान ने अपने किरदारों के साथ हिंदी सिनेमा की रूढ़िवादिता को भी खत्म कर दिया। पहले फिल्मों में महिलाओं का किरदार या तो सती-सावित्री की होती थीं, या खलनायिका की। लेकिन जीनत अमान ने इस स्पष्ट बंटवारे को धुंधला कर दिया और  बॉलीवुड की ‘Bad-Good Girl’’ बन गईं।

जब सत्यम शिवम सुंदरम के लिए मिले सोने के सिक्के

साल 1977 में आई सोशल ड्रामा ‘सत्यम शिवम सुंदरम’ की जीनत अमान के फिल्मी करियर में महत्वपूर्ण भूमिका रही। यह फिल्म जीनत के उन आलोचकों का मुंह बंद करने का एक जरिया भी था, जो उन्हें सिर्फ ‘सेक्स सिंबल’ और ‘ग्लैमर गर्ल’ कहते थे। उन्होंने सत्यम शिवम सुंदरम में अपने शानदार अभिनय का लोहा मनवाया था। हालांकि यह फिल्म उनकी झोली में कुछ अजीब तरीके से आई थी।

जीनत अमान ने राज कपूर को यह समझाने के लिए कि रूपा का किरदार कोई उनसे बेहतर नहीं निभा सकता, एक बहुत ही अनोखा तरीका अपनाया था। ये उन दिनों की बात है जब जीनत और राज कपूर फिल्म वकील बाबू की शूटिंग कर रहे थे।

सत्यम शिवम सुंदरम के निर्देशक राज कपूर अक्सर जीनत से सत्यम शिवम सुंदरम की बात करते थे। खासकर रूपा के किरदार के बारे में। तब राज कपूर सत्यम शिवम सुंदरम की पटकथा भी लिख रहे थे। ज़ी क्लासिक शो ‘माई लाइफ माई स्टोरी’ में बात करते हुए जीनत अमान ने कहा था, “राज जी रूपा के चरित्र के बारे में बहुत भावुकता और गहनता से बात करते थे। वह अक्सर मुझे बताते थे कि रूपा कुछ चीजें कैसे करेगी। हमारी बातचीत ने मुझे बेहद उत्सुक बना दिया। धीरे-धीरे मुझे ऐसा लगने लगा कि मैं रूपा बनना चाहती हूं।”

फिल्म सत्यम शिवम सुंदरम के एक सीन में जीनत अमान (Express archive photo)

एक दिन अपनी शूटिंग खत्म करने के बाद ज़ीनत ने रूपा की भूमिका में आने का फैसला किया। उसने ‘घाघरा-चोली’ पहनी थी और जला हुआ चेहरा दिखाने के लिए टिशू लगा लिया। वह इस गेटअप में सीधे राज कपूर से मिलने पहुंची। लेकिन उन्हें दरवाजे पर रोक दिया गया। उनसे पूछा गया कि वह कौन हैं।

जीनत ने जवाब दिया, “राज जी से कहना रूपा आई है।” जीनत अमान को इस रूप में देखकर राज कपूर दंग रह गए। उन्होंने तुरंत अपनी पत्नी कृष्णा कपूर को बुलाया, जो ज़ीनत के लिए साइनिंग साइनिंग अमाउंट के रूप में सोने के कुछ सिक्के लेकर आईं।