Rajasthan Elections 2023: राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने जमीनी तैयारी पूरी कर ली है। इस बार पार्टी का 48 सीटों पर विशेष ध्यान है। राज्य की ये 48 विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जिनमें से 19 पर भाजपा कभी नहीं जीती है और बाकी पर एक बार ही जीत सकी है। साथ ही, दूसरे राज्यों के 200 विधायकों को हालात आंकने के लिए राजस्थान के हरेक विधानसभा क्षेत्र में भेजा गया है। राजस्थान विधानसभा में उप नेता प्रतिपक्ष और राज्य भाजपा के पूर्व अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया ने यह जानकारी दी। पूनिया जनसत्ता.कॉम के कार्यक्रम ‘बेबाक’ में बतौर मेहमान बोल रहे थे।
पूनिया से जनसत्ता डॉट कॉम के संपादक विजय कुमार झा ने पूछा कि पिछली बार भाजपा लगभग कांग्रेस के बराबर वोट लाकर भी सीटों के मामले में पिछड़ गई थी, तो इस बार जमीनी स्तर पर क्या रणनीति बनी है?
पूनिया ने बताया, “पिछली बार वोट में 0.5 प्रतिशत का अंतर था। करीब डेढ़ लाख वोटों का फर्क था। एक दर्जन ऐसी विधानसभा सीटें थीं, जो हम एक हजार से भी कम वोटों से हारे। मैं 90 के दशक से हूं (चुनावी राजनीति में)। मैं यह देख रहा हूं कि हमारे लिए कुछ सीटें राजनीतिक रूप से और हमारी अपनी कोशिशों की कमजोरी के कारण भी चुनौतीपूर्ण रही हैं। 48 सीटें ऐसी हैं जहां हम एक बार जीते या कभी नहीं जीते। इनमें से 19 सीटों पर हम कभी नहीं जीते हैं। इस बार हमारी कोशिश है कि हम उन सीटों पर फोकस करें। जो हमारी अपनी सहूलियत की सीट है, जो हमारे लिए वैचारिक और संगठनात्मक रूप से मजबूत हैं वो तो जीतनी ही हैं, इसमें कोई संदेह नहीं है। लेकिन इस बार हम नई चीजों, नई संभावनाओं और नई सीटों के लिए काम कर रहे हैं। मैं यहां जनता के खुले मंच पर बात कर रहा हूं इसलिए खुलासा नहीं कर सकता। लेकिन पार्टी प्रतिबद्ध है कि इस बार हम मुश्किल सीटों पर अच्छा परफॉर्म करें।”
पार्टी को क्या इनपुट दे रहे हैं पूनिया?
विजय कुमार झा ने पूनिया से पूछा कि अध्यक्ष पद से हटने के बाद राजस्थान चुनाव को लेकर पार्टी को क्या इनपुट दिया है?
मार्च तक राजस्थान भाजपा के अध्यक्ष रहे पूनिया ने कहा, “हमारी कोर कमेटी है। हम वहां खुली चर्चा करते हैं। हमने काफी काम किया है… संगठनात्मक भी, राजनीतिक भी। पर कुछ मुद्दों हैं ही जिन पर हमें और अच्छे तरीके से काम करना है। इन कामों में कार्यकर्ताओं को एकजुट करना, कमजोर विधानसभा क्षेत्रों के लिए काम करना आदि शामिल हैं। इन सबके लिए हमने इंटरनली कुछ लोग नियुक्त किए हैं। जीते हुए विधायक के पास एक हारी हुई विधानसभा का जिम्मा है। कुछ सांसदों को भी इसमें लगाया है। हम उन लोगों को इनपुट के तौर पर यही बताते हैं कि जमीन पर क्या स्थिति है और उसमें क्या जोड़कर जीत पक्की की जा सकती है।”
पहले की तैयारियों में और क्या-क्या?
पूनिया बताते हैं कि उम्मीदवारों के चयन में यह कोशिश रहती है कि सोशल इंजीनियरिंग रहे। कैंपेन में गैप न हो। जिन पब्लिक लीडर्स की क्षेत्र विशेष में डिमांड होती है, उन्हें सोशल इंजीनियरिंग को ध्यान में रखकर पहले ही आइडेंटिफाइ कर लिया जाता है, ताकि टाइम आने पर उन्हें इंगेज किया जा सके। कई बार किसी सामाजिक वर्ग को प्रभावित करने के लिए नेता विशेष की जरूरत होती है। कई बार अच्छे वक्ताओं की जरूरत होती है। कहीं किसान नेता, कहीं युवा नेता, कहीं महिला नेता तो कहीं दलित या आदिवासी नेता की जरूरत होती है… तो स्ट्रेटेजी को ध्यान में रखकर उन्हें बुलाया जाता है।
अभी पार्टी ने एक और चीज शुरू की है। हमारे यहां दूसरे राज्यों के 200 विधायक आए हैं। वो धरातल पर एक सप्ताह रहेंगे और तमाम चीजों का संकलन करेंगे और पार्टी आलाकमान को रिपोर्ट देंगे।
जमाना सोशल मीडिया का है तो इस बात का भी ध्यान रखा जाता है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर धारदार तरीके से काम कैसे करें।
राजस्थान के चुनावी आंकड़े
2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 39.30 प्रतिशत और भाजपा को 38.77 प्रतिशत वोट मिले थे। वोट प्रतिशत में भले ही मामूली अंतर हो लेकिन सीटों की संख्या में बड़ा फर्क था। 200 विधानसभा सीटों वाले राजस्थान में भाजपा 73 और कांग्रेस 99 निर्वाचन क्षेत्र जीती थी।
राजस्थान में सरकार बनाने के लिए 101 सीटें होनी चाहिए। 2018 में कांग्रेस को 99 सीटें ही मिली थीं। लेकिन बाद में बहुजन समाज पार्टी (BSP) के सभी छह विधायकों ने कांग्रेस में शामिल होकर, पार्टी को बहुमत के आंकड़े तक पहुंचा दिया। वर्तमान में राज्य के विधानसभा में कांग्रेस के 106 और भाजपा के 71 सदस्य हैं। दो सीटें खाली हैं।
सतीश पूनिया ने बताया COngress को कैसे हराएगी BJP, देखें पूरा इंटरव्यू
Jansatta.com BEBAAK के बारे में
‘बेबाक’ सवाल-जवाब का एक ऐसा कार्यक्रम है जिसके जरिए कोशिश रहती है कि पाठकों की रुचि की जानकारी या उन्हें प्रभावित करने वाले सवालों के जवाब सामने लाए जाएं। डॉ. पूनिया से पहले उमर अब्दुल्ला, मुख्तार अब्बास नकवी और अश्विनी कुमार जैसे नेता इसमें शामिल हुए हैं।
उमर अब्दुल्ला के साथ BEBAAK का VIDEO देखें
पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता मुख्तार अब्बास नकवी से ‘बेबाक’ में कई मुद्दों पर बात हुई। उन्होंने यह भी बताया कि वह कैसे और किस व्यक्ति के जरिए बीजेपी (पहले जनसंघ) की ओर आकर्षित हुए। भ्रष्टाचार, UCC से लेकर बिहार की राजनीति तक पर मुख्तार अब्बास नकवी से हुई खास बातचीत का वीडियो देखें।