पिछले महीने शर्मा ने एक न्यूज चैनल पर बहस के दौरान पैगंबर मुहम्मद पर टिप्पणी की, जिसके बाद कथित तौर पर धार्मिक भावनाएं आहत करने के मामले में मुंबई पुलिस ने उनके खिलाफ FIR दर्ज की थी। प्राथमिकी दर्ज होने के हफ्ते भर बाद, भाजपा ने अपने राष्ट्रीय प्रवक्ता को “आगे की जांच होने के लिए” निलंबित कर दिया था।
नूपुर शर्मा की टिप्पणी के कारण भारत को अरब देशों की कड़ी प्रतिक्रियाओं का सामना करना पड़ा था। तब भाजपा ने खुद को इस विवाद से दूर करते हुए कहा था कि ”भारतीय जनता पार्टी ऐसी किसी भी विचारधारा के खिलाफ है जो किसी भी संप्रदाय या धर्म का अपमान करती है। भाजपा ऐसे लोगों या विचार को बढ़ावा नहीं देती है।” ट्विटर पर नुपुर शर्मा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, गिरिराज सिंह और भूपेंद्र यादव फॉलो करते हैं।
रजा अकादमी के मुंबई विंग के संयुक्त सचिव इरफान शेख की शिकायत पर 28 मई को नूपुर शर्मा के खिलाफ FIR पर दर्ज की गई थी। FIR में कहा गया कि शर्मा ने ज्ञानवापी मुद्दे पर एक टीवी डिबेट के दौरान कथित तौर पर पैगंबर के बारे में अपमानजनक टिप्पणी की थी। वहीं शर्मा ने कुछ भी अपमानजनक या “गलत” कहने से इनकार किया था। उन्होंने दावा किया कि विवाद शुरू होने के बाद से उन्हें मौत और बलात्कार की धमकी मिल रही है।
37 वर्षीय नूपुर शर्मा ने दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज से अर्थशास्त्र में ग्रेजुएशन और इसी विश्वविद्यालय के विधि संकाय से एलएलबी किया है। उनके पास लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से कानून में मास्टर डिग्री भी है। नूपुर शर्मा एक छात्र नेता के रूप में राजनीति में आयी थीं। उनके राजनीतिक करियर की शुरुआत साल 2008 में दिल्ली विश्वविद्यालय का छात्रसंघ अध्यक्ष चुने जाने के साथ हुई। ये वो वक्त था जब कांग्रेस की छात्र-शाखा NSUI (भारतीय राष्ट्रीय छात्र संघ ) का कैंपस में दबदबा था। तब नूपुर शर्मा छात्रसंघ अध्यक्ष का पद तो जीत गयी थीं लेकिन शेष अन्य पदों पर एनएसयूआई के उम्मीदवार ही जीते थे। हालांकि शर्मा के चुनावी राजनीति का सबसे हाई-प्रोफाइल मुकाबला 2015 का दिल्ली विधानसभा चुनाव रहा, जब उन्होंने नई दिल्ली सीट से आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक अरविंद केजरीवाल के खिलाफ चुनाव लड़ा था। नूपुर शर्मा वह चुनाव 31,583 मतों से हार गई थीं।
शर्मा भारतीय जनता पार्टी की युवा शाखा भारतीय जनता युवा मोर्चा की प्रमुख चेहरा रही हैं। वो पार्टी में कई पदों पर रह चुकी हैं। उन्होंने युवा विंग की राष्ट्रीय कार्यकारी समिति सदस्य और दिल्ली राज्य कार्यकारी समिति के सदस्य के रूप में भी कार्य किया है। साल 2017 में तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने जब अपनी टीम बनाई थी, तब शर्मा को दिल्ली भाजपा का प्रवक्ता नियुक्त किया गया था।
दिल्ली भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “भले ही वह दिल्ली टीम का हिस्सा थीं लेकिन उनके कानूनी कौशल, राष्ट्रीय मुद्दों की बेहतर समझ और दोनों भाषाओं (हिन्दी-अंग्रेजी) में दक्षता की वजह से उन्हें राष्ट्रीय मुद्दों पर टीवी बहस के लिए भेजा जाने लगा।” सितंबर 2020 में जब जेपी नड्डा ने अपनी टीम बनाई, तब शर्मा को राष्ट्रीय प्रवक्ता के रूप में चुना गया। भाजपा के एक अन्य नेता ने कहा, ” वह कभी-कभी ओवरबोर्ड जाती हैं, लेकिन ज्यादातर लोगों के साथ ऐसा होता है, जो टीवी डिबेट में दिखाई देते हैं। यह उस प्लेटफार्म (न्यूज चैनल) का नेचर है।”
नूपुर शर्मा ने पिछले हफ्ते द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ”कई एडिटेड वीडियो हैं, जिन्हें ऑनलाइन फैलाया गया। एक और वीडियो था जिसमें मुझे अश्लील, बेवकूफ और क्या नहीं कहा गया। मैं माननीय शीर्ष अदालत से अंतिम फैसला लेने का अनुरोध करती हूँ। क्या हम सभ्य तरीके से बहस करेंगे या हम शरिया कानून लागू करने की अनुमति देने जा रहे हैं?” बता दें कि नूपुर शर्मा अपनी विवादास्पद टिप्पणी वापस ले चुकी हैं। उन्होंने कहा है कि उनका इरादा किसी की धार्मिक भावनाओं को आहत करना नहीं था।