मध्य प्रदेश (MP) में ग्रामीण कृषि श्रमिकों को देश में सबसे कम दैनिक मजदूरी मिलती है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जुटाए आंकड़ों के मुताबिक, मध्य प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में पुरुष कृषि श्रमिकों को एक दिन की सिर्फ 229.2 रुपये मजदूरी मिलती है। वहीं मॉडल स्टेट होने का दावा करने वाले गुजरात में यह 241.9 रुपये है। दोनों राज्यों में मिलने वाली दैनिक मजदूरी राष्ट्रीय औसत 345.7 रुपये से काफी कम है।

MP की तुलना में तीन गुना से भी अधिक कमाते हैं केरल के मजदूर

बीते शुक्रवार (17 नवंबर) को ही मध्य प्रदेश विधानसभा के 230 सीटों के लिए मतदान हुए। 74 फीसदी वोटिंग हुई। अब अगर राज्य के मजदूरों की कमाई की बात करें तो यदि मध्य प्रदेश में एक ग्रामीण खेतिहर मजदूर को महीने में 25 दिन काम मिलता है, तो उसकी मासिक कमाई लगभग 5,730 रुपये प्रति माह होगी। इतने पैसे को चार या पांच लोगों के परिवार के घरेलू खर्चों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं माना जाता है। गुजरात के खेतिहर मजदूर का मासिक वेतन लगभग 6,047 रुपये बनता है।

अन्य खराब भुगतान वाले राज्यों में उत्तर प्रदेश है। यूपी के ग्रामीण खेतिहर श्रमिकों का औसत दैनिक वेतन 309.3 रुपये है। ओडिशा में यह 285.1 रुपये है। सबसे अधिक औद्योगिक राज्य होने का दावा करने वाले महाराष्ट्र में पुरुष खेतिहर मजदूरों को प्रतिदिन 303.5 रुपये मिले हैं।

दूसरी तरफ सीपीआईएम शासित केरल मजदूरों को सबसे अधिक पैसा देने के लिए जाना जाता है। केरल के एक ग्रामीण खेतिहर मजदूर को एक दिन काम करने का 764.3 रुपये मिलता है। एक महीने में 25 दिनों के काम के लिए औसतन 19,107 रुपये मिलते हैं। यह किसी भी राज्य की तुलना में सबसे अधिक मजदूरी है। यही वजह है कि कम भुगतान वाले राज्यों के कृषि श्रमिक केरल की तरफ आकर्षित हो रहे हैं। कथित तौर पर लगभग 25 लाख प्रवासी श्रमिक केरल में रह रहे हैं।

जम्मू और कश्मीर (J&K) में खेतिहर मजदूरों को औसतन 550.4 रुपये, हिमाचल प्रदेश में 473.3 रुपये और तमिलनाडु में 470 रुपये प्रति व्यक्ति वेतन मिलता है।

गैर-कृषि श्रमिकों को सबसे कम भुगतान MP में

आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, ऐसे पुरुष जो गैर-कृषि मजदूरी करते हैं, उन्हें सबसे कम भुगतान (औसत 246.3 रुपये) मध्य प्रदेश में ही किया जाता है। गुजरात (273.1 रुपये) और त्रिपुरा (280.6 रुपये) में भी यह राष्ट्रीय औसत (348 रुपये) से कम है।

दूसरी ओर केरल गैर-कृषि श्रमिकों की दैनिक मजदूरी 696.6 रुपये प्रति व्यक्ति के साथ फिर से सभी राज्यों से सबसे आगे है। केरल के बाद इस श्रेणी में जम्मू-कश्मीर (517.9 रुपये), तमिलनाडु (481.5 रुपये) और हरियाणा में (451 रुपये) सबसे अधिक भुगतान किया जाता है।

एमपी और गुजरात में निर्माण कार्य करने वाले मजदूरों की भी हालत खराब

ग्रामीण पुरुष निर्माण श्रमिकों के मामले में गुजरात और मध्य प्रदेश एक बार फिर राष्ट्रीय औसत 393.3 रुपये से नीचे हैं। मार्च 2023 को समाप्त हुए वित्त वर्ष के दौरान गुजरात के ग्रामीण निर्माण श्रमिकों को औसतन 323.2 रुपये मिला। एमपी में यह 278.7 रुपये और त्रिपुरा को 286.1 रुपये प्रति दिन था।

वहीं केरल के ग्रामीण निर्माण श्रमिकों का दैनिक वेतन केरल में 852.5 रुपये था। जम्मू-कश्मीर में यह 534.5 रुपये, तमिलनाडु में 500.9 रुपये और हिमाचल प्रदेश में 498.3 रुपये था। क्रिसिल के एक अध्ययन के अनुसार, ग्रामीण आय की संभावनाएं मौसम की अनिश्चितताओं पर निर्भर रहती हैं।

खाने पर कितना होता है खर्च

रेटिंग फर्म क्रिसिल के आंकड़ों के अनुसार, इस साल सितंबर तक शाकाहारी थाली की कीमत 27.9 रुपये और मांसाहारी थाली की कीमत 61.4 रुपये थी। इसका मतलब है कि पांच लोगों के परिवार को एक बार शाकाहारी भोजन के लिए 140 रुपये खर्च करना होगा। प्रति माह यह 8,400 रुपये होगा।

वित्तीय वर्ष 2021-22 ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए खराब था क्योंकि कोविड महामारी ने नौकरियों और कमाई को प्रभावित किया था। बढ़ती महंगाई और ब्याज दरों ने वित्तीय वर्ष 2022-23 में तबाही मचाई, जिससे ग्रामीण उपभोक्ताओं की हालत और खराब हो गई।