हरियाणा के लोकसभा चुनाव में आधी सीटें गंवा चुकी बीजेपी अब विधानसभा चुनाव की तैयारियां जोर-शोर से कर रही है। लेकिन, अंदरूनी घमासान पार्टी के लिए मुसीबत खड़ी कर सकता है।
हरियाणा में बीजेपी ने सत्ता में वापसी के लिए मेगा प्लान तैयार किया है। सत्ता विरोधी लहर से मुकाबले के लिए भाजपा ने ‘बाप-बेटा’ के तंज से कांग्रेस पर हमला बोलने और उसे वंशवाद की राजनीति को बढ़ावा देने वाली पार्टी ठहराने की नीति बनाई है।
साथ ही, मुख्यमंत्री नायब सैनी ताबड़तोड़ योजनाओं की घोषणा, शिलान्यास आदि भी कर रहे हैं और खाली पड़े पदों पर भर्ती की प्रक्रिया तेज कर युवाओं को भी साधने की कोशिश में लगे हैं। उधर, भाजपा राज्य भर में अपने पन्ना प्रमुखों को सक्रिय कर रही है। साथ ही, दलित मतदाताओं से संपर्क साधने का खास अभियान चलाने जा रही है।

इस मेगा प्लान के बीच भाजपा के अंदर ही घमासान मचा हुआ है। हरियाणा सरकार के पूर्व मंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के पूर्व ओएसडी के बीच बादशाहपुर विधानसभा से चुनाव लड़ने की होड़ लगी हुई है।
राव नरबीर सिंह बोले- लड़ूंगा विधानसभा चुनाव
हरियाणा के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले दक्षिणी हरियाणा यानी अहीरवाल क्षेत्र के नेता राव नरबीर सिंह के ऐलान से बीजेपी की चिंता बढ़ गई है। राव नरबीर सिंह ने ऐलान किया है कि वह बादशाहपुर विधानसभा सीट से चुनाव जरूर लड़ेंगे। इस क्षेत्र के बड़े अहीर नेताओं में शुमार राव नरबीर सिंह ने कहा है कि या तो बीजेपी के टिकट पर या बिना बीजेपी के टिकट पर वह चुनाव मैदान में उतरेंगे।
साथ ही, जवाहर यादव भी यहां से चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं। जवाहर, मनोहर लाल खट्टर के पूर्व ओएसडी हैं। बताया जाता है कि इनमें से कोई भी पीछे हटने को तैयार नहीं है।
राव नरबीर सिंह बादशाहपुर सीट से विधायक रहे हैं और खट्टर सरकार में कैबिनेट मंत्री भी। 2019 के विधानसभा चुनाव में टिकट कटने के बाद भी राव नरबीर सिंह चुप रहे थे लेकिन इस बार वह आर-पार की लड़ाई लड़ने का ऐलान कर चुके हैं। 2019 के विधानसभा चुनाव में बादशाहपुर की सीट से निर्दलीय राकेश दौलताबाद चुनाव जीते थे लेकिन कुछ महीने पहले राकेश दौलताबाद का निधन हो चुका है।

लोकसभा चुनाव में बीजेपी का प्रदर्शन इस बार बेहद खराब रहा है। अब वह विधानसभा का चुनाव जीतने के लिए रणनीति बनाने में जुटी हुई है और मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी है। लेकिन टिकटों का बंटवारा करना उसके लिए आसान नहीं होगा।
राव नरबीर सिंह ने द ट्रिब्यून अखबार से कहा है कि 2019 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने पार्टी के आदेश को माना था और विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ा था लेकिन इस बार वह ऐसा नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि उन्हें टिकट देना या ना देना यह पार्टी के हाथ में है।
क्या है अहीरवाल?
अहीरवाल के इलाके में रेवाड़ी, महेंद्रगढ़ और गुड़गांव की विधानसभा सीटें आती हैं। इस क्षेत्र में यादव मतदाताओं की अच्छी संख्या है और इस वजह से ही इस क्षेत्र को अहीरवाल कहा जाता है।
अहीरवाल की राजनीति में मुख्य रूप से दो धड़े हैं। एक धड़ा राव इंद्रजीत सिंह का है जबकि दूसरा धड़ा बाकी नेताओं का है। दूसरे धड़े में पूर्व कैबिनेट मंत्री राव नरबीर सिंह के अलावा पूर्व विधायक रणधीर सिंह कापड़ीवास, पूर्व डिप्टी स्पीकर संतोष यादव, भाजपा संसदीय बोर्ड की सदस्य सुधा यादव, सिंचाई मंत्री डॉ. अभय सिंह यादव, पर्यटन निगम के अध्यक्ष डॉक्टर अरविंद यादव आदि शामिल हैं।
अहीरवाल में आती हैं ये सीटें
अहीरवाल में गुरुग्राम, बादशाहपुर, सोहना, महेंद्रगढ़, रेवाड़ी, पटौदी, नारनौल, नांगल चौधरी, बावल, कोसली और अटेली विधानसभा सीटें आती हैं।

राव इंद्रजीत सिंह से है 36 का आंकड़ा
राव नरबीर सिंह का अहीरवाल के सबसे बड़े नेता माने जाने वाले और भारत सरकार में मंत्री राव इंद्रजीत सिंह से 36 का आंकड़ा है। 2019 के विधानसभा चुनाव में जब राव नरबीर सिंह का टिकट कटा था तो इसके पीछे वजह राव इंद्रजीत सिंह को ही माना गया था। राव इंद्रजीत सिंह जब इस बार लोकसभा का चुनाव लड़ रहे थे तो बादशाहपुर में राव नरबीर सिंह ने उनके लिए प्रचार नहीं किया था।
राव इंद्रजीत की बेटी भी हैं दावेदार
राव इंद्रजीत सिंह अपनी बेटी को इस बार किसी भी सूरत में विधानसभा का चुनाव लड़ाना चाहते हैं। राव इंद्रजीत सिंह अपनी बेटी आरती राव के लिए 2014 और 2019 में रेवाड़ी विधानसभा सीट से बीजेपी का टिकट मांग चुके हैं। लेकिन दोनों ही बार आरती को टिकट नहीं मिला था। इस बार आरती राव की तैयारी बादशाहपुर, कोसली और रेवाड़ी की सीट पर भी है।

ये भी चाहते हैं टिकट
बादशाहपुर विधानसभा सीट से राव नरबीर सिंह के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के पूर्व ओएसडी जवाहर यादव का नाम भी चर्चा में है। राकेश दौलताबाद की पत्नी भी बादशाहपुर से चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी हैं। राकेश दौलताबाद ने निर्दलीय चुनाव जीतने के बाद बीजेपी को समर्थन दिया था।
राव इंद्रजीत सिंह ने दिखाई थी नाराजगी
राव इंद्रजीत सिंह कुछ दिन पहले इस बात पर खुलकर नाराजगी जता चुके हैं कि उन्हें मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री नहीं बनाया गया। उन्होंने कहा था कि वह भारत के इतिहास में अकेले ऐसे नेता हैं जो पांच बार राज्य मंत्री बन चुके हैं।
राव इंद्रजीत सिंह ने बीते दिनों जिस तरह अहीरवाल से बाहर निकलकर अपनी सक्रियता बढ़ाई है और नाराजगी भी दिखाई है, उससे अहीरवाल के इलाके में टिकट बंटवारे में उनकी पसंद को नजरअंदाज कर पाना बीजेपी के लिए आसान नहीं होगा।