नई दिल्ली के ऐतिहासिक राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ करने की तैयारी है। राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक तीन किलोमीटर में फैला यह सड़क सरकार की महत्वाकांक्षी सेंट्रल विस्टा (Central Vista) पुनर्विकास परियोजना का हिस्सा है।

केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार (8 सितंबर) की शाम सेंट्रल विस्टा एवेन्यू (Central Vista Avenue) का उद्घाटन करेंगे। विजय चौक से इंडिया गेट तक के खंड को सेंट्रल विस्टा एवेन्यू नाम दिया गया है।

अंग्रेजी हुकूमत के दौरान राजपथ को किंग्सवे के नाम से जाना जाता था। आजादी के बाद नाम बदलकर राजपथ कर दिया गया, जो लगभग किंग्सवे का ही हिंदी अनुवाद था। स्वतंत्रता दिवस के भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने पांच प्रणों का जिक्र किया था, जिसमें से एक औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्ति था। राजपथ को कर्तव्य पथ करना उसी प्रण की दिशा में बढ़ाया कदम मालूम पड़ता है।

उत्तर प्रदेश सरकार में जल शक्ति मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता स्वतंत्र देव सिंह ने ट्वीट किया है, ”गुलामी का अहसास खत्म हुआ, भारत की शक्ति पर विश्वास शुरू हुआ! प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार द्वारा देश के सबसे प्रमुख मार्गों में से एक दिल्ली के राजपथ का नाम बदल कर ‘कर्तव्यपथ’ करने का निर्णय अभिनंदनीय है।”

हालांकि यह पहला मौका नहीं जब ‘गुलामी के प्रतीक’ को मिटाने को लेकर मोदी सरकार ने कोई कदम उठाया हो। आइए जानते हैं वो 5 फैसले जो औपनिवेशिक प्रतीक को खत्म करने से जुड़ा है:

रेस कोर्स रोड बना लोक कल्याण मार्ग

साल 2016 में रेस कोर्स रोड का नाम बदलकर लोक कल्याण मार्ग कर दिया गया था। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अध्यक्षता में हुई नई दिल्ली नगरपालिका परिषद की उच्च स्तरीय बैठक में यह फैसला लिया गया था। इस सड़क पर प्रधानमंत्री आवास भी है, सड़क नाम बदलने से प्रधानमंत्री के आवास का पता भी 7 रेसकोर्स रोड से बदलकर 7 लोक कल्याण मार्ग हो गया था।

रेसकोर्स रोड अंग्रेजों द्वारा साल 1940 में स्थापित दिल्ली रेस क्लब का हिस्सा था। साल 2016 में भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी ने नई दिल्ली नगर निगम को पत्र लिखकर कहा था कि जिस रास्ते पर प्रधानमंत्री आवास है उसका नाम भारतीय संस्कृति के अनुरूप होना चाहिए। इसके बाद नाम बदलने की कवायद शुरू हुई थी।

जॉर्ज पंचम की जगह स्थापित हुए सुभाष चंद्र बोस

इस साल 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती के अवसर पर पीएम मोदी ने इंडिया गेट के पास बोस की होलोग्राम प्रतिमा का अनावरण किया था। मूर्ति इंडिया गेट की उसी जगह पर लगाई गई है जहां कभी जॉर्ज पंचम की प्रतिमा लगी थी।

इंडिया गेट के पास जॉर्ज पंचम की 1938 में लगी थी। आजादी के बाद 1968 मूर्ति को हटा कर बुराड़ी के पास स्थित कोरोनेशन पार्क पहुंचा दिया गया। तब से वह जगह खाली थी। मोदी सरकार वहीं 25 फीट ऊंची बोस की होलोग्राम प्रतिमा लगा दी। प्रतिमा का अनावरण करते हुए पीएम मोदी ने कहा था कि देश आजादी के बाद की गई “गलतियों” को सुधार रहा है।

‘एबाइड विद मी’ को हटा ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ को किया गया शामिल

साल 1950 से लगातार गणतंत्र दिवस के बीटिंग द रिट्रीट समारोह के समापन पर यानी 29 जनवरी को ‘एबाइड विद मी’ का अंश मिलिट्री बैंड द्वारा बजाया जाता था। साल 2022 में बीटिंग द रिट्रीट समारोह में बजाई जाने वाली 26 धुनों की आधिकारिक सूची से ‘एबाइड विद मी’ को हटा दिया गया। उसकी जगह प्रसिद्ध गायिका लता मंगेशकर के गाए गीत ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ को रखा गया। सरकारी सूत्रों ने कहा कि सरकार बीटिंग द रिट्रीट समारोह में अधिकतम भारतीय धुनों को रखना चाहती है इसलिए ‘एबाइड विद मी’ को हटा दिया गया।

‘एबाइड विद मी’ एक ईसाई प्रार्थना है, जिसे 19वीं शताब्दी में स्कॉटलैंड के एंग्लिकन हेनरी फ्रांसिस लाइट ने लिखा था और विलियम हेनरी मोंक ने उसके लिए धुन तैयार की थी।

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह का नाम बदला

साल 1943 में सुभाष चंद्र बोस ने सुझाव दिया था कि अंडमान और निकोबार द्वीप समूह का नाम बदलकर क्रमशः शाहिद और स्वराज द्वीप रखा जाए। दिसंबर 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंडमान और निकोबार के तीन द्वीपों के नाम बदल दिया। रॉस द्वीप का नाम बदलकर नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप रखा गया, नील द्वीप को शहीद द्वीप और हैवलॉक द्वीप को स्वराज द्वीप कर दिया गया।

नौसेना के झंडे से हटाया सेंट जॉर्ज क्रॉस

2 सितंबर 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय नौसेना के नए निशान का अनावरण किया था। पुराने निशान पर सेंट जॉर्ज क्रॉस था, जिसे हटाकर छत्रपति शिवाजी महाराज की मुहर से प्रेरित आकृति को लगाया गया।

नया निशान सफेद है, जिसमें ऊपर की तरह बाईं ओर तिरंगा बना है। बगल में नीले रंग के बैकग्राउंड पर सुनहरे रंग का अशोक चिन्ह बना है। अशोक चिन्ह के ठीक नीचे संस्कृत भाषा में ‘शं नो वरुणः’ लिखा है। इसका हिंदी अनुवाद हुआ-‘हमारे लिए वरुण शुभ हों’ हिंदू धर्म में समुद्र के देवता का नाम वरुण है।